West Bengal Governor CV Ananda Bose: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गुरुवार को कहा कि कोलकाता राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस की मौजूदगी के कारण वह सुरक्षित महसूस नहीं करते. पुलिसकर्मियों को राजभवन परिसर खाली करने का आदेश देने के कुछ दिनों बाद उनका यह बयान सामने आया है. हालांकि, कोलकाता पुलिस के जवान और अधिकारी अभी भी राजभवन में ड्यूटी पर हैं.
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Who is responsible for security to Governor: 'मैं राजभवन में तैनात मौजूदा कोलकाता पुलिस दल के साथ सुरक्षित नहीं हूं.' पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस के गुरुवार को दिए सनसनीखेज बयान से सियासी हलचल मच गई है. राज्यपाल बोस ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सूचित किया कि राजभवन में कोलकाता पुलिस के साथ मैं असुरक्षित महसूस कर रहा हूं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
राज्यपाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
इससे पहले राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राजभवन की सुरक्षा में तैनात कोलकाता पुलिस के प्रभारी अधिकारी को जवानों सहित परिसर को फौरन खाली करने का आदेश दिया था. राज्यपाल का कहना था कि सुरक्षा में तैनात स्थानीय पुलिसकर्मियों के साथ वह सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे. आइए, जानते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार में आखिर राज्यपाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
राज्यपाल की नियुक्ति और उनके सहयोगी अफसरों का काम
संविधान के अनुच्छेद 153 के तहत किसी भी राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है. राज्य में राष्ट्रपति के प्रतिनिधि और संवैधानिक प्रमुख के रूप में काम करने वाले राज्यपाल ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पुल के रूप में काम करते हैं. राज्यपाल के कामकाज और राजभवन की भूमिका के निर्वहन के लिए राज्यों में राज्यपाल का अपना अलग सचिवालय होता है. इसमें राज्य सरकार की ओर से प्रमुख सचिव समेत अफसरों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है.
हमेशा साथ रहते हैं एक ओएसडी, दो एडीसी और एक अर्दली
राज्यपाल के कामकाज के लिए ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) की नियुक्ति भी की जाती है. आमतौर पर राज्यपालों के एग्जिक्यूटिव असिस्टेंट के रूप में काम करने के लिए दो एडीसी होते हैं. इनमें से एक एडीसी सेना से और दूसरे भारतीय पुलिस सेवा से होते हैं. एडीसी बनने वाले सेना के अफसर के पास तीनों सशस्त्र बलों में से किसी एक में पांच से सात साल काम करने का अनुभव होना चाहिए.
वहीं, राज्य में तैनात भारतीय पुलिस सेवा के नए अफसर को राज्यपाल के एडीसी के रूप में तैनात किया जाता है. राज्यपाल के दोनों ही एडीसी हर मौके पर उनके साथ और अगल-बगल ही रहते हैं. इनके अलावा हमेशा राज्यपाल के पीछे सफेद कपड़ों और खास तरह की टोपी पहने एक अर्दली तैनात होता है.
राज्य सरकार के पास होती है राज्यपाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी
राज्यपाल के साथ तैनात दोनों एडीसी का काम आमतौर पर प्रोटोकॉल ऑफिसर का होता है. राज्यपाल की नियुक्ति वाले जिस राज्य के प्रोटोकॉल के हिसाब से राज्य सरकार के निर्देश पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन राज्यपाल और राजभवन की सुरक्षा में तैनात किए जाते हैं. इसका मतलब राज्यपाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के पास ही होता है. हालांकि, राज्यपाल के दोनों एडीसी राज्य सरकार के सुरक्षा बलों के साथ मिलकर प्रोटोकॉल लागू करवाते हैं.
इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय भी देता है सुरक्षा कवर
केंद्रीय गृह मंत्रालय समय-समय पर देशभर में वीआईपी की सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा करता है. अगर किसी राज्य के राज्यपाल को लेकर केंद्र सरकार के पास कोई इंटेलिजेंस इनपुट आता है, तो उसके आधार पर केंद्र सरकार राज्यपाल के लिए राज्य सरकार के अलावा और अलग से सुरक्षा की व्यवस्था कर सकती है. इसके लिए वह अलग-अलग कैटेगरी में सुरक्षा की व्यवस्था करती है. इसमें वाई कैटेगरी से लेकर जेड प्लस तक की सुरक्षा हो सकती है.
पश्चिम बंगाल के राज्यपालडॉ सीवी आनंद बोस के पास जेड प्लस सिक्योरिटी
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस के पास फिलहाल जेड प्लस सिक्योरिटी है. वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के दौरान सेंट्रल सिक्योरिटी और इंटेलीजेंस एजेंसियों के इनपुट के आधार पर जनवरी 2023 में ही उनकी सुरक्षा कड़ी की जा चुकी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान तैनात किए गए हैं. देश के किसी भी हिस्से में जाने पर प्रोटोकॉल के हिसाब से उनकी सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के 25 से 30 सशस्त्र जवान हर वक्त तैनात रहते हैं.
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राज्यपाल बनने से पहले चुनावी हिंसा जांच कमेट में शामिल थे सीवी बोस
1977 बैच के केरल कैडर के आईएएस ऑफिसर डॉक्टर सीवी आनंद बोस को नवंबर 2022 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. राज्यपाल बनने से पहले बोस पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई राजनीतिक हिंसा की जांच के लिए बनाई गई कमेटी में भी शामिल थे. इससे पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे और मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी केंद्र सरकार की ओर से जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई थी. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को भी जेड प्लस सिक्योरिटी मिली हुई है.
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