Anti Paper Leak Law: एंटी पेपर लीक कानून क्या है? 10 साल जेल.. 1 करोड़ जुर्माना.. जानिए क्या-क्या हैं प्रावधान
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Anti Paper Leak Law: एंटी पेपर लीक कानून क्या है? 10 साल जेल.. 1 करोड़ जुर्माना.. जानिए क्या-क्या हैं प्रावधान

Anti Paper Leak Law: एंटी पेपर लीक कानून यानी सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 (Public Examinations Prevention of Unfair Means Act 2024) के तहत पेपर लीक के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि एंटी पेपर लीक कानून क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं.

Anti Paper Leak Law: एंटी पेपर लीक कानून क्या है? 10 साल जेल.. 1 करोड़ जुर्माना.. जानिए क्या-क्या हैं प्रावधान

What is Anti Paper Leak Law: पेपर लीक को लेकर सवालों के घेरे में दिख रही मोदी सरकार एक्शन में आ गई है. शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में भर्ती के लिए होने वाली सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ियों को लेकर केंद्र सरकार ने देर रात पेपर लीक के खिलाफ नया कानून लागू कर दिया है. इसी साल फरवरी में पेपर लीक कानून पारित हुआ था और अब सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, जिसे 'लोक परीक्षा कानून 2024' (Public Examination Act 2024) नाम दिया गया है. एंटी पेपर लीक कानून यानी सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 के तहत पेपर लीक के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि एंटी पेपर लीक कानून (Anti Paper Leak Law) क्या है और इसमें क्या-क्या प्रावधान हैं.

एंटी पेपर लीक कानून में क्या-क्या प्रावधान?

एंटी पेपर लीक कानून (Anti Paper Leak Law) में पेपर लीक से लेकर डमी कैंडिडेट बिठाने को लेकर भी सजा का प्रावधान है. कानून के मुताबिक, पेपर लीक मामले में दोषी पाए जाने के बाद व्यक्ति को 10 साल की सजा और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा दूसरे कैंडिडेट के स्थान पर परीक्षा देने के मामले में दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3 से 5 साल की जेल होगी और 10 लाख का जुर्माना भी लगाया जाएगा. अगर परीक्षा में गड़बड़ी मामले में किसी संस्थान का नाम सामने आता है तो उस संस्थान से परीक्षा का पूरा खर्चा वसूला जाएगा. वहीं, संस्थान की संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है. सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में भारतीय न्याय संहिता का उल्लेख है लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता के प्रावधान इसके लागू होने तक प्रभावी रहेंगे. संहिता और अन्य आपराधिक कानून 1 जुलाई को लागू होने वाले हैं.

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क्या परीक्षार्थियों पर भी होगी इस कानून से कार्रवाई?

प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल परीक्षार्थी या उम्मीदवारों को इस कानून के दायरे में शामिल नहीं किया गया है और उन पर कोई कार्रवाई का प्रावधान नहीं है. बता दें कि संसद में बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इसकी जानकारी दी थी. तब उन्होंने कहा था कि एंटी पेपर लीक कानून (Anti Paper Leak Law) का मकसद सभी सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना और धांधली करके युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को रोकना है. इसलिए, परीक्षार्थियों या उम्मीदवारों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है.

कानून के दायरे में कौन-कौन की परीक्षाएं?

एंटी पेपर लीक कानून (Anti Paper Leak Law) के दायरे में सभी प्रतियोगी परीक्षाएं शामिल हैं, जिनका आयोजन सार्वजनिक परीक्षा निकाय करते हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाएं भी इसमें शामिल हैं. कानून के दायरे में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाने वालीं सभी कंप्यूटर आधारित परीक्षाएओं के अलावा यूपीएससी (UPSC), एसएससी (SSC), रेलवे भर्ती, बैंकिंग भर्ती जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं शामिल हैं.

उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति बनेगी

प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रही धांधली को रोकने और एंटी पेपर लीक कानून (Anti Paper Leak Law) अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति बनाने की सिफारिश की गई है. ताकि कंप्यूटर आधारित परीक्षाएं अधिक सुरक्षित बनाई जा सकें. परीक्षाओं के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और फुलप्रूफ आईटी सिक्योरिटी सिस्टम का उपयोग किए जाने का भी प्रावधान किया जा सकता है.

फरवरी में कानून लेकर आई थी मोदी सरकार

नेट-यूजीसी (NET-UGC), यूपीएससी (UPSC), एसएससी (SSC), रेलवे भर्ती, बैंकिंग जैसे परीक्षाओं में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए मोदी सरकार फरवरी में ये कानून लाई थी, जिसे सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) कानून 2024 (Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act 2024) नाम दिया गया है. अब सरकार ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा यानी नीट (NEET) में सामने आ रही गड़बड़ी के बीच इस कानून को लागू कर दिया है. इस कानून का मकसद सभी सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना और प्रतिस्पर्धा कर रहे युवाओं को गड़बड़ी नहीं होने के लिए आश्वस्त करना है.

काउंसलिंग पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

वहीं, दूसरी तरफ नीट-यूजी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से फिर किया इनकार किया है और NTA को नोटिस भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने लंबित याचिकाओं के साथ नई याचिकाओं को भी टैग किया है और इन याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी. बता दें कि विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक(NEET-UG)-2024 की 6 जुलाई से काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि यह कोई ‘खोलने और बंद करने’ की प्रक्रिया नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने पांच मई को आयोजित परीक्षा में कथित अनियमितता को लेकर नीट-यूजी को रद्द करने के आग्रह वाली याचिका पर राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA), केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी किए हैं. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने परीक्षा में धांधली का आरोप लगाने वाली अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इस मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को तय की है.

नीट-यूजी को लेकर क्या है विवाद?

राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा यानी नीट (NEET) यूजी में हुई गड़बड़ियों को लेकर विवाद हो रहा है. दरअसल, 5 मई को आयोजित नीट-यूजी में बहुत अधिक नंबर दिए जाने के आरोप लगे हैं. इस वजह से रिकॉर्ड 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 नंबर हासिल किए. छात्रों का आरोप है कि परीक्षा परिणामों में बेतरतीब ढंग से नंबर घटाए या बढ़ाए गए हैं, जिससे रैंकिंग प्रभावित हुई है. इसके अलावा 6 एग्जाम सेंटर्स पर परीक्षा में देरी के कारण समय की बर्बादी की भरपाई के लिए 1500 से अधिक छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स भी विवाद और जांच के दायरे में हैं. इसके साथ ही कथित रूप से पेपर लीक होने की बात भी सामने आ रही है, जिसको लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. इसके बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने माना कि परीक्षा में गड़बड़ी हुई है.

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