Explainer: गोदाम में गेहूं छह साल में सबसे कम, जानिए क्यों और कैसे मैनेज होता है बफर स्टॉक
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Explainer: गोदाम में गेहूं छह साल में सबसे कम, जानिए क्यों और कैसे मैनेज होता है बफर स्टॉक

Wheat Buffer Stock: पिछले दो सालों के दौरान कम खरीद और खुले में अनाज की रिकॉर्ड बिक्री की वजह से भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास गेहूं का स्टॉक 2018 के बाद पहली बार 100 लाख टन से नीचे चला गया है...

Explainer: गोदाम में गेहूं छह साल में सबसे कम, जानिए क्यों और कैसे मैनेज होता है बफर स्टॉक

Buffer Stock News: देश में कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब हम देखते हैं कि गेहूं, आलू, प्याज, टमाटर या फिर किसी भी वस्तु का भाव आसमान पर पहुंच जाता है... उस फसल या वस्तु का भाव बढ़ने से आम जनता परेशान हो जाती है. तो ऐसे में कीमतों पर अंकुश लगाने और मार्केट में सस्ती कीमतों पर वह वस्तु उपलब्ध कराने के लिए सरकार बफर स्टॉक जारी करती है. इस साल गेहूं के भंडार में तेज गिरावट आई है. 

पिछले दो सालों के दौरान कम खरीद और खुले में अनाज की रिकॉर्ड बिक्री की वजह से भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास गेहूं का स्टॉक 2018 के बाद पहली बार 100 लाख टन से नीचे चला गया है... जो इस महीने घटकर 97 लाख टन रह गया है. हालांकि, चावल के स्टॉक के मामले में FCI के पास इस समय बफर मानक से चार गुना से ज्यादा स्टॉक है.

पिछले 8 सालों में कितना रहा गेहूं का स्टॉक- 

>> मार्च 2017 - 94.3 लाख टन
>> मार्च 2018 - 151.5 लाख टन
>> मार्च 2019 - 201 लाख टन
>> मार्च 2020 - 275.2 लाख टन
>> मार्च 2021 - 295.4 लाख टन
>> मार्च 2022 - 234 लाख टन
>> मार्च 2023 - 116.7 लाख टन
>> मार्च 2024 - 97 लाख टन

सीमित खरीदारी की वजह से आई गिरावट

यह गिरावट दो साल से सरकारी खरीद के सीमित रहने की वजह से देखने को मिली है. दूसरी ओर, चावल के भंडार भरे हुए हैं. एफसीआई के पास चावल बफर सीमा के दोगुना से ज्यादा है. बीते कुछ महीनों में सरकार ने कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए भंडार से गेहूं की खुले बाजार में बिक्री की थी. इससे भंडार में और कमी आ गई है. 97 लाख टन के साथ ही मौजूदा गेहूं भंडार जरूरी सीमा से काफी ऊपर है. नियमों के मुताबिक, सरकार के भंडार में पहली अप्रैल को 74.6 लाख टन गेहूं रहना चाहिए.

पिछले 8 सालों में कितना रहा चावल का स्टॉक- 

>> मार्च 2017 - 204 लाख टन
>> मार्च 2018 - 232.8 लाख टन
>> मार्च 2019 - 264 लाख टन
>> मार्च 2020 - 309.8 लाख टन
>> मार्च 2021 - 282.4 लाख टन
>> मार्च 2022 - 295.8 लाख टन
>> मार्च 2023 - 210.5 लाख टन
>> मार्च 2024 - 262.9 लाख टन

1 मार्च से शुरू हो चुका है सीजन

1 मार्च से गेहूं की खरीद का सीजन शुरू हो चुका है. इस साल गेहूं की सरकारी खरीद 2 साल के मुकाबले सबसे ज्यादा रह सकती है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, इस साल गेहूं की खरीद 3.20 करोड़ टन तक रह सकती है. इस सीजन में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 11.2 करोड़ टन रह सकता है. बता दें पिछले एक साल में सरकार ने गेहूं की कीमतों पर कंट्रोल लगाने के लिए कई बार 90 लाख टन गेहूं बाजार में उतारा था. 

क्या होता है बफर स्टॉक?

बफर स्टॉक एक तरह की सरकारी योजना है. इसका इस्तेमाल कीमतों को बढ़ने और गिरने से रोकने के लिए किया जाता है. सरकार की तरफ से अच्छी फसल के समय यह स्टॉक खरीदा जाता है और फिर उसको स्टोर किया जाता है. इसके बाद में जब भी उस फसल का खराब मौसम होता है तो इस स्टॉक का इस्तेमाल किया जाता है. मान लीजिए कि बारिश की वजह से प्याज की फसल खराब हो गई है और रिटेल मार्केट में प्याज का भाव सातवें आसमान पर पहुंच गया है तो उस स्थिति में आम जनता को राहत देने के लिए सरकार बफर स्टॉक से प्याज निकाल कर खुले बाजारों में बेचती है, जिससे आम जनता को कम कीमत पर वही सामान आसानी से मिल जाता है. 

किस तरह कंट्रोल होती है कीमतें?

साधारण भाषा में बात की जाए तो सरकार किसी भी फसल या वस्तु की कीमत कम होने पर उसको स्टोर कर लेती है. वहीं, जब उस फसल की कीमतें रिकॉर्ड पर होती हैं तो बफर स्टॉक को जारी कर देती है. इससे उस वस्तु की कीमत पर कंट्रोल किया जाता है और मार्केट में भाव बढ़ने से रोका जाता है. यानी बफर स्टॉक जारी करके वस्तु की कीमतों पर कंट्रोल किया जाता है. 

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