Priyanka Gandhi: पहले राहुल और अब प्रियंका... क्या जिम्मेदारी का बोझ उतार परदे के पीछे से बैटिंग करेगा गांधी परिवार?
Advertisement
trendingNow12025763

Priyanka Gandhi: पहले राहुल और अब प्रियंका... क्या जिम्मेदारी का बोझ उतार परदे के पीछे से बैटिंग करेगा गांधी परिवार?

Congress Party Internal Politics: प्रियंका गांधी राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी लेने से बच रही हैं. इसके पीछे उनकी क्या रणनीति हो सकती है, आइए समझ लेते हैं.

Priyanka Gandhi: पहले राहुल और अब प्रियंका... क्या जिम्मेदारी का बोझ उतार परदे के पीछे से बैटिंग करेगा गांधी परिवार?

Priyanka Gandhi Strategy: कांग्रेस (Congress) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बदलाव वाकई स्थिर नियम है. तेलंगाना में पार्टी को जीत नसीब तो हुई लेकिन मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार ने चेहरों को बदलने पर मजबूर कर दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है खरगे ने पार्टी पदाधिकारियों और प्रभारियों की एक नई टीम तैयार की है, जिसमें उन्होंने 12 महासचिव और 12 प्रदेश प्रभारियों को नियुक्त किया है. बड़ी बात है कि इस फेरबदल में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का महासचिव पद तो बरकरार रखा गया है लेकिन उन्हें के यूपी प्रभार से मुक्त कर दिया गया है. अब इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं. क्या प्रियंका गांधी भी अपने भाई राहुल गांधी की राह पर हैं? क्या वो भी जिम्मेदारी के बोझ से बचकर परदे के पीछे बैटिंग करेंगी?

जिम्मेदारी लेने से क्यों बच रहीं प्रियंका?

यूपी में योगी राज का मुकाबला करने के लिए प्रियंका की जगह अविनाश पांडे को राज्य का प्रभार मिला है. सवाल है कि प्रियंका गांधी ने खुद कोई बड़ी जिम्मेदारी क्यों नहीं ली? 2022 में यूपी में हुई करारी हार के बाद प्रियंका गांधी वहां बिल्कुल भी एक्टिव नहीं दिखीं. क्या वो समझ गई हैं कि यूपी में कांग्रेस के लिए फिलहाल कुछ खास नहीं बचा है. या फिर प्रियंका को इस बात का डर है कि पार्टी के लगातार खराब प्रदर्शन से उनकी छवि को धक्का लग सकता है. इसी से बचने के लिए उन्होंने यूपी की जिम्मेदारी अविनाश पांडे को दी जाने दी.

रिमोट कंट्रोल वाली पॉलिटिक्स

इतना ही नहीं प्रियंका गांधी ने यूपी की जिम्मेदारी तो छोड़ी ही, लेकिन किसी और राज्य की भी प्रभारी नहीं बनीं. ये तो किसी से छिपा नहीं है कि कांग्रेस में गांधी परिवार की कितनी चलती है. ऐसा में क्या प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी की राह पर हैं. जैसे राहुल गांधी पार्टी चीफ की कुर्सी पर मल्लिकार्जुन खरगे को बैठाकर खुद परदे के पीछे से सबकुछ करते दिखते हैं. पार्टी के बड़े फैसलों में के केंद्र में तो वो रहते हैं लेकिन खुद पार्टी की किसी जिम्मेदारी या कुर्सी से नहीं बंधे हुए हैं.

राजस्थान में गहलोत को संदेश

जान लें कि कांग्रेस के इस फेरबदल में सचिन पायलट को तरक्की मिली है. पायलट महासचिव बनाए गए हैं. साथ ही उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभार दिया गया है. इस बहाने राजस्थान हार के बाद अशोक गहलोत को संदेश देने की कोशिश की गई है. जबकि बिहार में आरजेडी और जेडीयू के सामने पार्टी को खड़ा रखने की जिम्मेदारी मोहन प्रकाश को मिली है.

सुरजेवाला से छिना एमपी का प्रभार

इसके अलावा दीपक बाबरिया दिल्ली के प्रभारी बनाए गए हैं. वहीं, मुकुल वासनिक को गुजरात में मोदी लहर को थामने का टास्क सौंपा गया है. जबकि मध्य प्रदेश में मिली मात के बाद रणदीप सुरजेवाला से प्रभार छीन लिया गया है. हालांकि, उन्हें कर्नाटक प्रभारी के बतौर बनाए रखा गया है. कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ से हटा दिया गया है
लेकिन उत्तराखंड की जिम्मेदारी सौंप दी गई है.

किसको मिली राजस्थान की जिम्मेदारी?

कांग्रेस ने रमेश चेन्निथाला को महाराष्ट्र का प्रभार, राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का प्रभार सौंपा गया है. सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का और देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया है. असम के प्रभारी जितेंद्र सिंह को सुरजेवाला की जगह मध्य प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

कांग्रेस के सामने पहाड़ जैसी चुनौती

2024 के लिहाज से कांग्रेस की चुनौतियां पहाड़ जैसी हैं. हिंदी पट्टी और पश्चिम भारत में कांग्रेस को मोदी ब्रिगेड के खिलाफ चमत्कारिक प्रदर्शन करना होगा. लेकिन उससे पहले I.N.D.I.A. कुनबे के भीतर भी पार्टी को अपना दमखम दिखाना होगा. कांग्रेस की मंशा है कि इस गठबंधन की कमान उसके हाथ में रहे. इसके लिए पार्टी में राष्ट्रीय गठबंधन समिति का गठन किया गया है ताकि सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर मुहर लग सके.

जाहिर है I.N.D.I.A. कुनबे का भविष्य सीट बंटवारे पर ही टिका है. सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी जनवरी के दूसरे हफ्ते से भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा सीजन शुरू करने वाले हैं और इस यात्रा पर कांग्रेस का चुनावी भविष्य टिका है.

Trending news