मकर संक्राति का त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन कहीं तिल-गुड़ के लड्डू और खिचड़ी खाने की परंपरा रही है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में दही-चूड़ा खाने की परंपरा है. इस शुभ दिन पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा सदियों पुरानी है. ऐसे में जानिए यहां क्यों खाया जाता है दही-चूड़ा.
दही-चूड़ा के फायदे
दही-चूड़ा पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है. कहते हैं कि चूड़ा में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है जो पाचन के लिए बहुत अच्छी होती है.
1. पचाने में आसान- चूड़ा या चिवड़ा पचाने में आसान होता है. नाश्ते में जब दही का सेवन किया जाता है, तो यह न केवल आपको ज्यादा समय तक भूख का अहसास नहीं होने देता और इसके साथ ही आपकी पाचन क्रिया को आसान बनाता है. इसमें मौजूद तत्व आपको इंस्टेंट एनर्जी भी देता है.
2. पेट खराब होने पर फायदेमंद- ये डिश पेट की खराबी से उबरने में मदद करती है. यूपी-बिहार में आज भी लूज मोशन को कंट्रोल करने के लिए लोग पहले इस कॉम्बो को खाने के लिए देते हैं. हल्की और बड़े आराम से पच जाने वाली ये डिश पाचन तंत्र को शांत करती है और आंत को भी ठंडा करती है.
3. आयरन से भरपूर- कहा जाता है कि इस डिश में आयरन का भरपूर सोर्स होता है. इसलिए प्रेगनेंसी में महिलाओं को इस कॉम्बो का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसमें आयरन की भरपूर मात्रा होती है.
4. वेट लॉस में मददगार- जो लोग हाई एनर्जी लेकिन कम कैलोरी के मंत्र को मानते हैं, उनके लिए ये बेस्ट और पर्फेक्ट हेल्दी ऑप्शन है. कैलोरी एक्सपर्ट्स यानी डाइटीशियंस के मुताबिक दही के साथ बस एक छोटी कटोरी चिवड़ा मिलाकर खाने से पोषक तत्व शरीर को मिलते है जिसमें सिर्फ 300 कैलोरी होती है.
5. डायबिटीज में फायदेमंद- डायबिटीज पेशेंट को दही-चिवड़ा खिलाने से फायदा मिलता है. इसमें मौजूद रफेज और कैल्शियम शरीर को मजबूती प्रदान करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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