एरोबिक व्यायाम से बढ़ता है दिमाग का आयतन, मेमोरी होती है तेज
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एरोबिक व्यायाम से बढ़ता है दिमाग का आयतन, मेमोरी होती है तेज

अमेरिका में हुए एक नए शोध से पता चला है कि हल्के संज्ञानात्मक हानि (एमसीआई) वाले व्यक्ति जो तेज चलते, दौड़ते, जॉगिंग या हफ्ते में चार बार तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम करते हैं, उनके मस्तिष्क के आयतन में बढ़ोतरी के साथ संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है।

एरोबिक व्यायाम से बढ़ता है दिमाग का आयतन, मेमोरी होती है तेज

न्यूयॉर्क : अमेरिका में हुए एक नए शोध से पता चला है कि हल्के संज्ञानात्मक हानि (एमसीआई) वाले व्यक्ति जो तेज चलते, दौड़ते, जॉगिंग या हफ्ते में चार बार तैराकी जैसे एरोबिक व्यायाम करते हैं, उनके मस्तिष्क के आयतन में बढ़ोतरी के साथ संज्ञानात्मक कार्य में वृद्धि होती है।

अमेरिका के नार्थ कैरोलिना के वेक फारेस्ट विश्वविद्यालय के जियोंगचुल किम ने कहा, किसी भी प्रकार का व्यायाम लाभकारी है। लेकिन एरोबिक गतिविधियां उच्च संज्ञानात्मक कार्यों के ज्यादा लाभकारी हैं। अध्ययन में कहा गया है कि एमसीआई वाले व्यक्तियों में इसका प्रभाव यादाश्त और विचार कौशल पर पड़ता है। इससे अल्जाइमर रोग के विकसित होने का खतरा होता है। यह मनोभ्रम का एक सामान्य प्रकार है।

वेक फारेस्ट विश्वविद्यालय के लौरा डी बेकर ने कहा, यहां तक की एक छोटी अवधि के बाद, हम एरोबिक व्यायाम को अग्रणी रूप से मस्तिष्क में एक खास बदलाव के लिए देखते हैं। अध्ययन के लिए दल ने 35 एमसीआई वाले व्यक्तियों पर परीक्षण किया। प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया। 16 वयस्कों (औसत आयु 63 साल) को एरोबिक गतिविधियों में लगाया गया। इसमें ट्रेड मिल, स्टेशनरी बाइक या इलिपटिकल प्रशिक्षण एक हफ्ते में चार बार दिया गया। यह प्रक्रिया छह महीनों तक चली। एक 19 वयस्कों (औसत आयु 67 साल) वाले समूह को इसी अवधि के दौरान खींचने वाले व्यायाम में लगाया गया।

परिणाम हाई रिज्योल्यूशन वाले एमआरआई चित्रों पर आधारित रहे। इसे छह महीने पहले और छह महीने बाद किए गए एरोबिक और खींचने वाले व्यायामों के आधार पर देखा गया। इसमें प्रतिभागियों के ग्रे मैटर इलाके में मस्तिष्क का आयतन बढ़ा दिखाई दिया। किम ने कहा, खींचने वाले समूह की तुलना में, एरोबिक गतिविधियों वाले समूह में कुल दिमाग के आयतन में ज्यादा संरक्षण दिखाई दिया, इस समूह में ग्रे मैटर के आयतन और मस्तिष्क ऊतक में बढ़ोतरी देखी गई। अध्ययन का प्रस्तुतीकरण शिकागों के रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नार्थ अमेरिका (आरएसएनए) के वार्षिक बैठक में हाल में किया गया।

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