दिल्ली एम्स ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अपनी तैयारी तेज कर दी है. अस्पताल ने गंभीर श्वसन संक्रमण के लक्षण वाले मरीजों की जांच बढ़ाने का फैसला किया है.
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दिल्ली एम्स ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अपनी तैयारी तेज कर दी है. अस्पताल ने गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (SARI, जिसे तीव्र श्वसन संक्रमण भी कहा जाता है) के लक्षण वाले मरीजों की जांच बढ़ाने का फैसला किया है. एक आधिकारिक ज्ञापन के मुताबिक, सी6 वार्ड में 12 बिस्तर गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं. इसके साथ ही, नए प्राइवेट वार्ड में कमरा नंबर 1 से 12 तक कोरोना पॉजिटिव ईएचएस लाभार्थियों के अस्पताल में भर्ती होने के लिए चिह्नित किए जाएंगे.
यह आधिकारिक दिशानिर्देश ऐसे समय आए हैं जब दिल्ली में कोरोना वायरस के तेजी से फैल रहे जेएन.1 वैरिएंट का पहला मामला सामने आया है. बुधवार को एम्स दिल्ली के निदेशक ने अस्पताल के सभी विभागाध्यक्षों के साथ एक बैठक की, जिसमें कोरोना रोकथाम के उपायों पर चर्चा की गई. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस बैठक में कोरोना जांच की नीति, पॉजिटिव मरीजों के लिए निर्धारित क्षेत्रों और उनके अस्पताल में भर्ती होने पर चर्चा हुई.
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली में ओमिक्रॉन के उप-रूप जेएन.1 का पहला मामला सामने आया है. जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजे गए 3 नमूनों में से एक जेएन.1 है और बाकी दो ओमिक्रॉन के हैं.
इन लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी
एम्स द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (तीव्र श्वास संक्रमण), लगातार बुखार या पिछले 10 दिनों में शुरू हुआ 100.4 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक का बुखार और खांसी के लक्षण वाले मरीजों का कोरोना टेस्ट किया जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में जेएन.1 को एक चिंताजनक वैरिएंट का रूप बताया है, जो अपने मूल रूप बीए.2.86 से अलग है. हालांकि, ग्लोबल हेल्थ बॉडी ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा सबूतों के आधार पर जेएन.1 से कुल मिलाकर कम जोखिम है.
क्या है SARI टेस्टिंग?
इस टेस्ट में उन मरीजों की पहचान के लिए किया जाता है जिन्हें गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन हो सकता है. 'एक्यूट' का मतलब अचानक से शुरुआत और 'रेस्पिरेटरी' का मतलब सांस संबंधी है. इस टेस्ट में आमतौर पर मरीज के लक्षणों के बारे में पूछना, फेफड़ों की आवाज सुनना और छाती का एक्स-रे लेना शामिल होता है, लेकिन कुछ मामलों में ब्लड या बलगम का टेस्ट भी किया जा सकता है. SARI टेस्ट किसी खास बीमारी की जांच नहीं करता है, बल्कि ये इस बात की पुष्टि करता है कि मरीज को सांस संबंधी गंभीर समस्या है, जिससे उसके जल्द ठीक होने के लिए और संक्रमण फैलने से रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जरूरत है.
कोरोना वैरिएंट Jn.1 के लक्षण कम
भारत में जेएन.1 वैरिएंट का पहला मामला 8 दिसंबर को केरल में सामने आया था. यह वैरिएंट वर्तमान में अमेरिका में आधे कोरोना मामलों के लिए जिम्मेदार है और तेजी से फैल रहा है. देश में पहले ही जेएन.1 वैरिएंट के 100 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. त्योहारों के मौसम और जश्न के समय को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सतर्कता बरतने और संक्रमण के लक्षणों पर ध्यान देने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए टेस्ट कराने की चेतावनी दी है.