Cervical Cancer In Women: सर्वाइकल कैंसर महिलाओं को अपना शिकार बनाती है. महिलाओं और लड़कियों को इसके लक्षण जानना बहुत जरूरी है. हालांकि भारत में इस कैंसर की वैक्सीन उपलब्ध है.
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Cervical Cancer In Women: सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं पर अधिक प्रभावी है. भारत में इस कैंसर से होने वाली मौत का आंकड़ा भी कुछ कम नहीं है. लेकिन इस कैंसर से डरने वाली जैसी कोई बात नहीं है. क्योंकि सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा कैंसर है जिससे बचाव और इलाज दोनों संभव हैं. वहीं भारत में इस रोग के प्रति जागरुकता की कमी देखी गई है. जिसकी वजह से कई बार इलाज में देरी के कारण मरीज की मौत तक हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में भारत में 45 हजार से अधिक महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर के कारण मौत हुई थी. हालांकि इससे बचाव के लिए भारत के पास अब अपनी पहली सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन है. साथ ही इससे बचाव और इलाज के बारे में हर महिला को पता होना चाहिए.
जानें क्या है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर में महिला के सर्विक्स के सेल्स प्रभावित होते हैं और इससे कैंसर हो जाता है. सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर अलग-अलग तरह के यौन संचारित संक्रमणों के कारण होता है. जिन्हें मानव पेपिलोमा वायरस के रूप में जाना जाता है. साथ ही महिला को सुरक्षित यौन संबंध बनाने पर ध्यान देना होगा. यौन गतिविधियों के दौरान यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी नियमित जांच से बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है.
कैसे करें बचाव
1. जैसी कि भारत के अपनी पहली सर्वाइकल कैंसर वैक्सीन लॉन्च कर दी है. इस तरह से वैक्सीन इस कैंसर के जोखिम को खत्म कर सकता है. इस वैक्सीन को लेने के बाद आप वायरस से सुरक्षित हो जाते हैं. वहीं अगर वैक्सीन लगवाने के बाद वायरस आपकी बॉडी में प्रवेश करता है तो कैंसर का खतरा नहीं होता है क्योंकि इसके बाद शरीर इस वायरस से लड़ने तके लिए एंटीबॉडीज का उत्पादन करता है.
2. अगर कोई महिला गर्भ निरोधक दवाएं या धूम्रपान करती है तो इस कैंसर का जोखिम बढ़ने का खतरा रहता है. क्योंकि स्मोक करने से इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. जिसकी वजह से इस वायरस से लड़ना मुश्किल हो जाता है.
3. सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए टीका लगवाना जरूरी है. इसके लिए 26 साल की उम्र की लड़कियां व महिलाएं ये टीका लगवा सकती हैं. बता दें यौन गतिविधियों के शुरू होने से पहले ही अगर लड़की को टीका लगा है तो टीके का अधिक प्रभाव देखने को मिल सकता है. हालांकि टीके के बाद भी नियमित स्क्रीनिंग जरूरी है.
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