गठिया का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि खान-पान से भी! एक नए शोध के मुताबिक, गठिया का कारण सिर्फ उम्र या जेनेटिक्स नहीं हो सकता है. हमारी आंतों में होने वाले कुछ बदलाव भी इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं.
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गठिया का इलाज सिर्फ दवाओं से नहीं, बल्कि खान-पान से भी! एक नए शोध के मुताबिक, गठिया का कारण सिर्फ उम्र या जेनेटिक्स नहीं हो सकता है. हमारी आंतों में होने वाले कुछ बदलाव भी इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं. शोधकर्ताओं ने आंत के माइक्रोबायोम में उन परिवर्तनों का पता लगाया है जिनके कारण रूमेटाइड अर्थराइटिस की शुरुआती होती है. इससे इस बीमारी का समय रहते उपचार संभव हो सकेगा.
ब्रिटेन के लीड्स यूनिवर्सिटी और लीड्स टीचिंग हॉस्पिटल्स एनएचएस ट्रस्ट के शोधकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि मरीजों में क्लिनिकल रूमेटाइड गठिया विकसित होने से लगभग 10 महीने पहले आंत में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं. इन निष्कर्षों से इस बीमारी के खतरे वाले लोगों की पहचान करने में मदद मिलेगी. साथ ही निवारक और विशेष उपचार करने में भी मदद मिलेगी.
इसको और बेहतर तरीके से समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने रूमेटाइड अर्थराइटिस विकसित होने के खतरे वाले 124 लोगों पर 15 महीने तक नजर रखी. इनमें से सात के हाल ही में बीमारी से पीड़ित होने का पता चला था जबकि 22 लोग स्वस्थ थे. पांच अलग-अलग समयों पर मल और रक्त के नमूनों का उपयोग करके आंत के माइक्रोबायोम प्रोफाइल में हो रहे परिवर्तनों का आकलन किया गया.
शोध में क्या पाया गया?
शोध में पाया गया कि रूमेटाइड अर्थराइटिस होने से तीन महीने पहले पीड़ितों ने जोड़ों में दर्द की शिकायत की और उनके शरीर में एंटी-साइक्लिक सिट्रुलिनेटेड प्रोटीन (एंटी-सीसीपी) नामक एंटीबॉडी पाई गई, जो हेल्दी सेल्स पर हमला करती है. अध्ययन के दौरान, इस बीमारी के खतरे वाले 124 लोगों में से 30 में रूमेटाइड अर्थराइटिस की समस्या विकसित हो गई. हेल्दी तुलनात्मक समूह की तुलना में, उनकी माइक्रोबायोम में विविधता भी कम हो गई थी.
शोधकर्ताओं ने पाया कि गठिया के विकास के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले जेनेटिक, खून और अन्य प्रकार के कारक भी माइक्रोबायोम में डायवर्सिटी की कमी से गहरे जुड़े थे, जैसा कि स्टेरॉयड का उपयोग जुड़ा हुआ है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि आंत के माइक्रोबायोम में बदलाव काफी देर से आता है. यह अध्ययन सिर्फ निरीक्षण पर आधारित है तथा इस संबंध में और अध्ययन करने की जरूरत है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.