जलवायु परिवर्तन से केवल मौसम ही असंतुलित नहीं हो रहा है, बल्कि इसका प्रभाव इंसान की आंखों पर भी देखने को मिला है. एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि गर्म क्षेत्रों में बढ़ते तापमान की वजह से लोगों की नजरें कमजोर हो रही हैं.
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जलवायु परिवर्तन से केवल मौसम ही असंतुलित नहीं हो रहा है, बल्कि इसका प्रभाव इंसान की आंखों पर भी देखने को मिला है. एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि गर्म क्षेत्रों में बढ़ते तापमान की वजह से लोगों की नजरें कमजोर हो रही हैं. कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय ने अमेरिका के 50 राज्यों में 17 लाख लोगों पर सर्वे करके यह निष्कर्ष निकाला है.
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, गर्म स्थानों पर रहने वाले लोगों के देखने की क्षमता ठंडे स्थानों के लोगों की तुलना में पचास फीसदी कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि पराबैंगनी किरणें आंखों के कॉर्निया, लेंस और रेटिना को ज्यादा प्रभावित करती हैं. साथ ही आंखों में खुजली, संक्रमण जैसी परेशानियां भी होती हैं. ऑप्थेल्मिक एपिडेमियोलॉजी नाम के जर्नल में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है.
पराबैंगनी किरणों से भी हो रहा नुकसान
अध्ययन के दौरान लोगों की आंखों का लेंस धुंधला मिला और इसे ग्लूकोमा की बड़ी वजह माना गया. साथ ही कंजेक्टिवाइटिस या जलन की वजह से आंख की परत में सूजन की भी शिकायत भी सामने आई. अध्ययन में यह भी बताया गया कि पराबैंगनी किरणों की वजह से भी आंखों को नुकसान पहुंचता है.
चश्मा लगाने के बाद भी आंखें प्रभावित
टोरंटो विश्वविद्यालय में जेरोंटोलॉजिस्ट एस्मे फुल्लर थॉमसन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही तापमान बढ़ने से खासकर बुजुर्गों को आंखों की परेशानी होने की आशंका भी बढ़ रही है. इसमें भागीदारों से यह भी जानकारी दी कि चश्मा पहनने के बाद भी उन्हें आंखों में कुछ परेशानिया हो रही है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)