अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट खाने से अवसाद का खतरा कम हो जाता है और एकाग्रता का स्तर बेहतर होता है.
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नई दिल्ली : अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट खाने से अवसाद का खतरा कम हो जाता है और एकाग्रता का स्तर बेहतर होता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने अखरोट खाने वाले लोगों में अवसाद का स्तर 26 प्रतिशत कम, जबकि इस तरह की अन्य चीजें खाने वालों में अवसाद का स्तर 8 प्रतिशत कम पाया है. यह अध्ययन न्यूट्रेंट जर्नल में प्रकाशित किया गया है. स्टडी में पाया गया कि अखरोट खाना शरीर में ऊर्जा को बढ़ाता है और इसका बेहतर एकाग्रता से संबद्ध है.
यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधार्थी लेनोर अरब ने एक स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि अध्ययन में शामिल किए गए छह में से हर एक युवा जीवन में एक समय पर डिप्रेशन का शिकार होता है. इससे बचने के लिए किफायती उपायों की जरूरत है जैसे कि खान-पान में बदलाव करना आदि. अरब ने बताया कि अखरोट पर शोध पहले हृदय रोगों के संबंध में किया गया है और अब इसे अवसाद के लक्षण से संबद्ध कर देखा जा रहा है. इस स्टडी में 26 हजार से अधिक अमेरिकी युवाओं को शामिल किया गया.
कैंसर, हृदय रोग से बचाए
अखरोट का सेवन कैंसर, हृदय और कुछ अन्य बीमारियों के खतरे को कम करता है. दरअसल अखरोट खाने से कोलेस्ट्रल कम होता है और आप दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रहते हैं. इसे खाने से कैलोरी संबंधित चिंताओं को कम करने में भी मदद मिलती है.
शुक्राणु बढ़ाने में मददगार
पुरुषों की शुक्राणु संख्या दुनिया भर में एक बड़ी समस्या मानी जाती है और वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे बढ़ाने का बहुत आसान तरीका है मुट्ठी भर अखरोट खाना. रिसर्च में भी पाया गया कि अखरोट का सेवन करने से शुक्राणुओं के स्तर में पाया गया. रिसर्च के आधार पर बताया गया कि रोजाना 75 ग्राम अखरोट का सेवन करने से 21 से 35 साल के आयुवर्ग के स्वस्थ पुरुषों के समूह में शुक्राणु जीवन-शक्ति, गतिशीलता और सामान्य आकृति में सुधार हुआ.
एंटी ऑक्सिडेंट भी है अखरोट
अखरोट अकेला ऐसा मेवा है जो पौधा आधारित ओमेगा-3 फैटी ऐसिड- अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) का शानदार स्रोत है. बहरहाल, एएलए के अलावा अखरोट में उच्च हैं, और साथ ही अनेक माइक्रो-न्यूट्रिशिएंट भी जिनके बारे में वेंडी का सोचना है कि उन सब का मिला जुला असर पड़ता है.