पुरुष स्वास्थ्य के विशेषज्ञ डॉ जेरी बैले से बात की तो उन्होंने बताया कि हस्तमैथुन के दौरान शरीर में हार्मोन्स रिलीज होते हैं और इससे इम्यून सेल्स बढ़ती है.
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नई दिल्लीः दुनियाभर के विभिन्न समाजों में हस्तमैथुन (Masturbation) को अच्छा नहीं माना जाता है लेकिन विज्ञान इसे एक सामान्य प्रक्रिया माना जाता है. कुछ स्टडीज में हस्तमैथुन को हेल्थ के लिए फायदेमंद बताया गया है. खासकर तनाव को दूर करने, मूड सही करने और दर्द से राहत में यह काफी फायदा पहुंचा सकता है. कुछ रिसर्च में यह भी पता चला है कि Masturbation से इंसान की इम्यूनिटी पर भी असर पड़ता है! तो आइए जानते हैं कि रिसर्च इस बारे में क्या कहती है?
क्या इससे इम्यूनिटी बढ़ती है?
मेडिकल न्यूज टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, Neuroimmunomodulation नामक हेल्थ जर्नल में साल 2004 में एक स्टडी पब्लिश हुई थी. जिसमें हस्तमैथुन का इंसानी शरीर पर असर का अध्ययन किया गया था. इस स्टडी के तहत 11 पुरुष वालंटियर्स ने हिस्सा लिया था. इस स्टडी के तहत पहले इन वालंटियर्स का हस्तमैथुन के दौरान ब्लड सैंपल लिया गया और फिर हस्तमैथुन के बाद ब्लड सैंपल लिया गया.
इस दौरान ब्लड में इम्यून सिस्टम के विभिन्न मार्कर जैसे ल्यूकोसाइट, लिम्फोसाइट्स, लिपो-पॉलीसैकेराइड आदि की उपस्थिति की जांच की गई. स्टडी में पता चला कि कभी कभी हस्तमैथुन करने से इम्यून सिस्टम के मार्कर की एक्टिविटी बढ़ जाती है. खासकर ल्यूकोसाइट्स और कैंसर सेल्स से लड़ने वाली प्राकृतिक सेल्स की संख्या बढ़ जाती है.
मेडिकल न्यूज टुडे ने जब इस बारे में पुरुष स्वास्थ्य के विशेषज्ञ डॉ जेरी बैले से बात की तो उन्होंने बताया कि हस्तमैथुन के दौरान शरीर में हार्मोन्स रिलीज होते हैं और इससे इम्यून सेल्स बढ़ती है. उनका दावा है कि यह असर 24 घंटे तक रह सकता है. हालांकि यह सबसे ज्यादा हस्तमैथुन के एक घंटे तक रहता है. न्यू मैक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर डॉ. जगदीश खूबचंदानी का कहना है कि हस्तमैथुन से लंबे समय में इम्यूनिटी नहीं बढ़ती है. लेकिन इससे अच्छी नींद, तनाव से राहत और मूड अच्छा करने में मदद जरूर मिलती है.
हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोई भी धारणा बनाने से पहले इस पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत की है. सिर्फ 11 लोगों पर किए गए अध्ययन को वैज्ञानिक पर्याप्त नहीं मानते. साथ ही उक्त अध्ययन में फिर से भी कोई ट्रायल नहीं किए गए. ऐसे में सिर्फ चुनिंदा लोगों पर एक बार किए अध्ययन को पर्याप्त नहीं माना जा सकता. वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इम्यूनिटी मार्कर्स में अचानक बढ़ोतरी होने का मतलब ये नहीं है कि ये लंबे समय तक हमारी शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ा सकते हैं.