एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसे रिस्क फैक्टर पुरुषों को डिमेंशिया की गिरफ्त में 10 साल पहले ला सकते हैं.
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डिमेंशिया एक दिमागी बीमारी है, जिसमें याददाश्त कमजोर, इमोशनल बैलेंस और सोचने-समझने की क्षमता कम या खत्म हो जाती है. वैसे, डिमेंशिया को आमतौर पर बुजुर्गों की बीमारी माना जाता है, हालांकि यह खतरा 50 की उम्र के पहले भी दस्तक दे सकता है. एक ताजा अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसे रिस्क फैक्टर पुरुषों को डिमेंशिया की गिरफ्त में 10 साल पहले ला सकते हैं.
जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकियाट्री में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, जहां महिलाओं में डिमेंशिया की शुरुआत औसतन 65 से 75 वर्ष की उम्र में होती है, वहीं पुरुषों में यह 55 से 75 वर्ष के बीच शुरू हो सकता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क के उन क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है, जो ऑडिटरी प्रोसेसिंग, विजुअल परसेप्शन, इमोशनल प्रोसेसिंग और मेमोरी से जुड़े होते हैं.
एपीओई4 जीन से अलग जोखिम
अध्ययन में यह भी स्पष्ट हुआ कि दिल की बीमारी के जोखिम जीन (APOE4) के प्रभाव के बिना भी पुरुषों और महिलाओं के दिमाग पर नुकसानदायक असर डाल सकते हैं.
अध्ययन में क्या आया सामने
34,425 प्रतिभागियों के दिमागी और पेट के स्कैन का विश्लेषण किया गया. अधिक पेट की चर्बी और आंत के आस-पास वसा (विसरल एडिपोस टिशू) वाले पुरुष और महिलाओं के मस्तिष्क का ग्रे मैटर वॉल्यूम कम पाया गया. मोटापा और दिल की बीमारी के कारण दिमाग का वॉल्यूम कई दशकों में धीरे-धीरे घट सकता है.
समाधान और रोकथाम के उपाय
अध्ययन में 55 साल की उम्र से पहले दिल की बीमारी के रिस्क फैक्टर्स को कम करने पर जोर दिया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को कंट्रोल करके डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.