विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च कोरोना वायरस के इलाज में काम आने वाली चार दवाओं पर शोध कर रहा है. इस रिसर्च में पाया गया है कि रेमेडिसिविर कोरोना के किसी भी मरीज में काम नहीं कर रही है.
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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के साथ मिलकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) कोरोना वायरस (Corona Virus) के इलाज में काम आने वाली चार दवाओं पर शोध कर रहा है. इस रिसर्च में पाया गया है कि रेमेडिसिविर कोरोना के किसी भी मरीज में काम नहीं कर रही है. चाहे बिना लक्षणों वाले मरीज हों, गंभीर मरीज हों या बुखार की शिकायत वाले मरीज.
इस ट्रायल में रेमेडिसिवर के अलावा इंटरफेरोन, लोपिनावीर और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन शामिल हैं. शुरुआती नतीजे बता रहे हैं कि रेमडिसिविर किसी मरीज पर असरदार नहीं है. ये स्टडी दुनिया के कई देशों में कोरोना के अस्पतालों में भर्ती 11 हज़ार से ज्यादा मरीजों पर की गई.
30 देशों के 500 अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर स्टडी
हालांकि इस स्टडी में बाकी तीन दवाओं का भी कोई खास असर नहीं दिखाई दिया. इससे पहले आईसीएमआर ने एक और स्टडी में पाया था कि प्लाज्मा थेरेपी से भी कोरोना के इलाज में विशेष मदद नहीं मिल पा रही है. रेमिडिसिवर की विशेष चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसे बनाने वाली कंपनी Gilead Sciences ने एक स्टडी में ये दावा किया था कि रेमिडिसिवर लेने से मरीजों की रिकवरी काफी तेज हो जाती है.
ईबोला वायरस के इलाज के लिए ईजाद
हम आपको बता दें कि रेमडिसिविर को ईबोला वायरस के इलाज के लिए ईजाद किया गया था. 1 मई को अमेरिका की एफडीए ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी. उसके बाद से कई देशों में ये दवा इस्तेमाल की जा रही थी. भारत में भी इस दवा को कोरोना मरीजों को दिया जाता है.
हालांकि गिलियड साइंस ने WHO की इस स्टडी के शुरुआती नतीजों को खारिज किया है. लेकिन असल मुश्किल ये है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए जितनी भी दवाएं प्रयोग की जा रही हैं उनमें से कोई भी कोरोना का शर्तिया इलाज कर पाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक मरीजों का इलाज डॉक्टरों के लिए चुनौती ही बना हुआ है.
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