National Doctor’s Day 2024: ऐसा कहा जाता है कि जब डॉक्टर ही बीमार पड़ जाए तो फिर मरीजों का क्या होगा. भले ही चिकित्सकों का जीवन चुनौतीपूर्ण हो लेकिन उनको अपनी सेहत का ख्याल रखना ही चाहिए.
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Why is it important for doctors to take care of their own health: भारत में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. इस दिन को इसलिए चुना गया क्योंकि ये मशहूर फिजीशियन, स्वतंत्रता सेनानी और पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम डॉ. बिधान चंद्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) का जन्मदिन और पुण्यतिथि है. हमारे समाज में चिकित्सकों का काफी ज्यादा सम्मान जाता है, क्योंकि रोगियों का मर्ज दूर करना उनकी जिम्मेदारी होती है, लेकिन क्या वो खुद का ख्याल रख पाते हैं.
सेहत का रखना होगा ख्याल
डॉक्टर्स को अक्सर रोल मॉडल की तरह पेश किया जाता है, इसकी वजह ये है कि वो पेशेंट्स की जान बचाने और उनके हेल्थ को मेंटेन रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं, हालांकि ये भी जरूरी है कि चिकित्सक खुद की सेहत को तरजीह दें. तभी वो अच्छी क्वालिटी की हेल्थ केयर दूसरों को दे पाएंगे.
क्या है डॉक्टर की राय?
डॉ. गरिमा साहनी (Dr Garima Sawhney), सीनियर गायनोलॉजिस्ट (प्रिस्टीन केयर) के मुताबिक सबसे अहम बात ये है कि मेडिकल प्रोफेशन की फिजिकल और मेंटल डिमांड बहुत ज्यादा हैं. लॉन्ग वर्किंग ऑवर्स, ज्यादा स्ट्रेस वाले सिचुएशन और मरीजों की परेशानी को दूर करने का इमोशनल प्रेशर बर्नआउट का कारण बन सकता है. डॉक्टर्स में बर्नआउट एक अहम मुद्दा है, जिसकी खासियत भावनात्मक थकावट, पर्सनलाइजेशन में कमी और व्यक्तिगत उपलब्धि की भावना में कमी होती है. ये न सिर्फ डॉक्टर की वेल बीइंग को प्रभावित करता है बल्कि इससे मरीज की केयर पर भी असर पड़ सकता है.
गलतियों की होती है आशंका
कई रिसर्च से ये पता चला बर्नआउट की वजह से डॉक्टर ज्यादा गलतियां कर सकते है, जिससे पेशेंट की हेल्थ कॉम्प्रोमाइज होती है. इसके अलावा मेडिकल प्रैक्टिसनर्स की मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है, जो डिप्रेशन और एंग्जायटी का कारण बन सकता है. यही वजह कै कि डॉक्टर्स को खुद की सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए ताकि वो अपना फर्ज सही तरीके से निभा पाएं.
हेल्दी डॉक्टर से पेशेंट होंगे हैप्पी
दूसरा पहलू ये है कि डॉक्टर अपने मरीजों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं होते. जब वो खुद की सेहत को तरजीह देते हैं, तब वो अपने पेशेंट के लिए पॉजिटिव एग्जाम्पल सेट करते हैं. जब वो अपने डॉक्टरों को इतना अच्छा एटीट्यूड देखते हैं. तब मरीजों को हेल्दी लाइफस्टाइल, डाइट, एक्सरसाइज और प्रिवेंटिव केयर के बारे में सलाह पर ध्यान देने की अधिक संभावना होती है. हेल्दी बिहेवियर की ये मॉडलिंग एक रिपल इफेक्ट ला सकता है, जो लोगों में हेल्दी कल्चर को प्रमोट कर सकता है. ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि उनके पास सेल्फ केयर, फैमिली और हॉबी के लिए वक्त मिले, जो उनके ओवरऑल हैप्पिनेस और सटिस्फैक्शन के लिए जरूरी है.
डॉक्टर्स को सिर्फ पर्सनल बेनेफिट के लिए ही अपनी सेहत का ख्याल नहीं रखना चाहिए, बल्कि ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे मरीजों को बेस्ट ट्रीटमेंट या सलाह मिल सकती है, यानी मेडिकल प्रैक्टिस का स्टैंडर्ड बढ़ जाता है जो हेल्थ केयर सिस्टम ते लिए जरूरी है. एक हेल्दी डॉक्टर ही सही तरीके से रोगियों की केयर कर सकता है.