क्या आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए पर्सनलाइज्ड केयर प्लान की जरूरत है? एक्सपर्ट से जानें
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क्या आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए पर्सनलाइज्ड केयर प्लान की जरूरत है? एक्सपर्ट से जानें

हर साल 29 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है. आज के दौर में जिस तरह की लोगों की लाइफस्टाइल हो गई है, हमें अपनी दिल की सेहत पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है. 

क्या आपको कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए पर्सनलाइज्ड केयर प्लान की जरूरत है? एक्सपर्ट से जानें

हर साल 29 सितंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है. आज के दौर में जिस तरह की लोगों की लाइफस्टाइल हो गई है, हमें अपनी दिल की सेहत पर ध्यान देना बेहद जरूरी हो गया है. दुनिया भर में पर कार्डियोवस्कुलर बीमारियां (CVDs) मौत का सबसे बड़ा कारण बनी हुई हैं. भारत में भी, 2020 में दिल की बीमारी के कारण लगभग 4.77 मिलियन (47.7 लाख) मौतें दर्ज की गईं. परंपरागत रूप से, दिल की बीमारियों का इलाज एक जैसे तरीके से किया जाता था, जो हर व्यक्ति की अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में नहीं रखता. अब, विशेषज्ञों का मानना है कि पर्सनलाइज्ड केयर के जरिए दिल की बीमारियों से निपटना ज्यादा प्रभावी हो सकता है.

LDLC (जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है) दिल की सेहत पर गहरा असर डालता है. इसकी अधिकता नसों में प्लाक जमने का कारण बन सकती है, जिससे दिल के दौरे और अन्य गंभीर दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने हाल ही में गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिनमें यह बताया गया है कि हर व्यक्ति के लिए बैड कोलेस्ट्रॉल के टारगेट का निर्धारण उनके रिस्क प्रोफाइल के आधार पर किया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए, जिन व्यक्तियों को पहले से ही दिल की बीमारी या डायबिटीज है, उनके लिए बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर 55 mg/dL से कम होना चाहिए.

एक्सपर्ट की राय
दिल्ली स्थित सफदरजंग हॉस्पिटल में प्रोफेसर डॉ. प्रीति गुप्ता बताती हैं कि इफेक्टिव कोलेस्ट्रॉल मैनेजमेंट के लिए हर मरीज की पर्सनल जरूरतों के आधार पर इलाज जरूरी है. जब इलाज को पर्सनल तरीके से ढाला जाता है, तो मरीज तेजी से ठीक होते हैं और परिणाम भी बेहतर होते हैं.

पर्सनलाइज्ड हार्ट हेल्थ प्लान के मुख्य तत्व
सही डाइट, नियमित व्यायाम और तनाव मैनेजमेंट जैसे कदम हर व्यक्ति की स्थिति के अनुसार बदले जा सकते हैं.
नियमित जांच से LDLC लेवल को ट्रैक किया जा सकता है और समय-समय पर उपचार में बदलाव किए जा सकते हैं.
कई मामलों में, केवल लाइफस्टाइल में बदलाव पर्याप्त नहीं होते. दवाओं का सही डोज और संयोजन भी पर्सनलाइज्ड प्लान के तहत तय किया जा सकता है.
अपने डॉक्टर से खुलकर बातचीत करना जरूरी है, ताकि इलाज को बेहतर ढंग से समझा जा सके और उसका पालन किया जा सके.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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