ब्रेन स्ट्रोक में सुनने-देखने की क्षमता खो देता है मरीज, दुनिया का हर छठा व्यक्ति है इसका शिकार
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ब्रेन स्ट्रोक में सुनने-देखने की क्षमता खो देता है मरीज, दुनिया का हर छठा व्यक्ति है इसका शिकार

इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति के शरीर का कोई एक हिस्सा सुन्न होने लगता है और उसमें कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति होने लगती है. मरीज को बोलने में दिक्कत आ सकती है, झुरझुरी आती है और उसके चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे लार बहने लगती है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : दुनियाभर में फैली तमाम जानलेवा बीमारियों के बीच एक और खतरनाक बीमारी धीरे धीरे लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है. इस बीमारी का नाम है ब्रेन स्ट्रोक. आज हालत यह है कि दुनिया का हर छठा व्यक्ति कभी न कभी ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुआ है और 60 से ऊपर की उम्र के लोगों में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण ब्रेन स्ट्रोक है. यह 15 से 59 वर्ष के आयुवर्ग में मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है.

30फीसदी मरीजों को पड़ती है दूसरे की सहारे की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार स्ट्रोक आने के बाद 70 फीसदी मरीज अपनी सुनने और देखने की क्षमता खो देते हैं. साथ ही 30 फीसदी मरीजों को दूसरे लोगों के सहारे की जरूरत पड़ती है. आमतौर पर जिन लोगों को दिल की बीमारी होती है उनमें से 20 फीसदी मरीजों को स्ट्रोक की समस्या होती है. धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, न्यूरो-सर्जरी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव बताते है कि मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है. उनके अनुसार मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं इसलिए समय रहते रोगी को उपचार मिलने से उसे सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है, अन्यथा मृत्यु अथवा स्थायी विकलांगता हो सकती है. 

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सही समय पर इलाज मिलने से सही हो सकती है बीमारी
उन्होंने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक को समय पर सही इलाज देकर ठीक किया जा सकता है, लेकिन इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होने लगते हैं. इससे प्रभावित होने पर व्यक्ति के शरीर का कोई एक हिस्सा सुन्न होने लगता है और उसमें कमजोरी या लकवा जैसी स्थिति होने लगती है. मरीज को बोलने में दिक्कत आ सकती है, झुरझुरी आती है और उसके चेहरे की मांस पेशियां कमजोर हो जाती हैं जिससे लार बहने लगती है.

हर साल आते हैं 15 लाख नए मामले
उन्होंने बताया कि देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किए जाते हैं और यह असामयिक मृत्यु और विकलांगता की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है. यहां यह भी अपने आप में परेशान करने वाला तथ्य है कि हर 100 में से लगभग 25 ब्रेन स्ट्रोक रोगियों की आयु 40 वर्ष से नीचे है. यह हार्ट अटैक के बाद दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण है. 

क्या है बीमारी के लक्ष्ण
पी.एस.आर.आई हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अमित श्रीवास्तव बताते है कि समय रहते स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानकर तत्काल उपचार कराने पर कुछ ही समय में यह बीमारी ठीक हो जाती है. इसके लक्षणों और तत्काल एहतियाती उपायों की जानकारी देते हुए डा. गोयल ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति का चेहरा एक तरफ से टेढ़ा होने लगे और उसे बोलने में दिक्कत हो तो उस व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा मुस्कुराना चाहिए ताकि चेहरे की मांसपेशियों की कसरत हो. इसी तरह अगर एक हाथ कमजोर या सुन्न लगे तो उपचार मिलने से पहले उसे ऊपर नीचे करने की कोशिश करें.

उन्होंने बताया कि यदि बोलने में दिक्कत हो तो ऐसे व्यक्ति किसी एक वाक्य को बार बार दोहराएं और उसका सही उच्चारण करने की कोशिश करें. वह हिदायत देते हुए कहते हैं कि इनमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर मरीज को तत्काल किसी नजदीकी अस्पताल में लेकर जाएं. गोल्डन ऑवर में उपचार मिलने से मरीज को स्ट्रोक से बचाया जा सकता है. 

क्यों तेजी से फैल रही है ये बीमारी
चिकित्सकों के मुताबिक इसका मुख्य कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह, रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल, शराब, धूम्रपान और मादक पदार्थों की लत के अलावा आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का सेवन और तनाव है. युवा रोगियों में यह अधिक घातक साबित होता है, क्योंकि यह उन्हें जीवन भर के लिए विकलांग बना सकता है. 

डॉ. राजुल अग्रवाल, सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के अनुसार पहले यह समस्या बढती उम्र में होती थी वही आज स्ट्रोक का खतरा युवाओ पर भी मंडरा रहा है. अनियमित जीवन शैली, खानपान और तनाव स्ट्रोक होने के मुख्य कारणों में से है. इससे बचाव के लिए व्यायाम, उचित खानपान और नशे से दूर रहने की सबसे ज्यादा जरूरत है. साथ ही व्यक्ति को तनाव से बचने की कोशिश करनी चाहिए. तनाव कई बीमारियों की जड़ है जो धीरे धीरे घुन की तरह शरीर को खोखला कर देती हैं.

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