Korean War 72nd Anniversary: कोरियाई युद्ध में भारतीय सेना ने दिखाई थी गजब की बहादुरी, इस प्रदर्शनी को देख गर्व कर उठेंगे आप
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Korean War 72nd Anniversary: कोरियाई युद्ध में भारतीय सेना ने दिखाई थी गजब की बहादुरी, इस प्रदर्शनी को देख गर्व कर उठेंगे आप

72nd anniversary of the Korean War: वर्ष 1950-53 में हुए उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के युद्ध में भारतीय सेना ने भी अहम भूमिका निभाई थी. भारतीय सेना ने इस युद्ध में घायल सैनिकों का युद्ध क्षेत्र में ही इलाज किया था, जिसके लिए उसे बहुत सराहना मिली थी. 

Korean War 72nd Anniversary: कोरियाई युद्ध में भारतीय सेना ने दिखाई थी गजब की बहादुरी, इस प्रदर्शनी को देख गर्व कर उठेंगे आप

72nd anniversary of the Korean War: कोरियाई युद्ध की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर दक्षिण कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र ने भारतीय सेना की पैरा फील्ड एंबुलेंस पर प्रदर्शनी का आयोजन किया है. इस प्रदर्शनी में भारतीय सेना के मिलिट्री हॉस्पिटल की ओर से कोरियाई युद्ध में घायल सैनिकों की मदद और उपचार से जुड़े 32 फोटो और वीडियो दिखाए गए है. यह प्रदर्शनी आम लोगों के लिए 24 जून से खुली है और 24 जुलाई तक चलेगी.

1950-53 में हुआ था कोरियन युद्ध

उत्तर और दक्षिण कोरिया (North Korea-South Korea War) के बीच 1950-53 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था. भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में खतरों के बीच घूम-घूम कर घायल सैनिकों का इलाज किया था.

लेफ्टिनेंट कर्नल एजी रंगराज की कमान वाली यह टुकड़ी कोरिया में 27वीं राष्ट्रमंडल ब्रिगेड से जुड़ी हुई थी. इसमें चार लड़ाकू सर्जन, दो एनेस्थिसियोलॉजिस्ट और एक दंत चिकित्सक थे. सैनिकों की कुल संख्या 627 थी और कोरियाई युद्ध (North Korea-South Korea War) के दौरान यह अपनी तरह की सबसे बड़ी टुकड़ी थी.  

भारतीय सेना की टुकड़ी ने भी लिया था भाग

60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस ने युद्ध के दौरान अनुमानित 2.2 लाख घायलों को सहायता प्रदान की और 2,324 सैनिकों की फील्ड सर्जरी की. सेना को आगे डेगू स्टेशन और उइजोंगबू जैसी छोटी सहायता इकाइयों में विभाजित किया गया था. इस युद्ध के दौरान यूनिट के कुल 10 सदस्य घायल हुए और 2 की जान चली गई थी.  

1953 में जैसे ही लड़ाई (North Korea-South Korea War) थम गई, भारत ने कस्टोडियन फोर्स इंडिया (सीएफआई) बनाने के लिए 5230 सैनिकों को भेजा, जिसे युद्धबंदियों (पीओडब्ल्यू) की देखभाल करने और उनके प्रत्यावर्तन के मुद्दे को हल करने का काम सौंपा गया था. संयुक्त राष्ट्र में एक स्थायी प्रतिनिधि के रूप में भारत ने 27 जुलाई, 1953 को हस्ताक्षरित 'कोरियाई युद्धविराम समझौते' के साथ शांति प्रक्रिया में मध्यस्थता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

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घायल सैनिकों का युद्ध क्षेत्र में किया था इलाज

कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया के निदेशक  ह्वांग इल-योंग कहते हैं, 'इस प्रदर्शनी के माध्यम से, केंद्र 60 पैरा फील्ड एम्बुलेंस को श्रद्धांजलि देता है और याद करता है कि आज का विकसित कोरिया गणराज्य उनकी वजह से संभव था. उन्होंने कहा कि कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र ऐसे कार्यक्रम बनाना जारी रखेगा, जो कोरिया और भारत के बीच मजबूत संबंधों को विकसित करने में भूमिका निभाते हैं.' 

दिल्ली में एक कोरियाई युद्ध (North Korea-South Korea War) स्मारक है, जिसका उद्घाटन 26 मई, 2021 को 'इंडो-कोरिया फ्रेंडशिप पार्क' नाम से किया गया था. यह स्मारक कोरियाई युद्ध के दौरान भारतीय सेना के योगदान को प्रदर्शित करता है. 

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