2242 रुपये का चेक पड़ा 55 लाख में, 26 साल से कोर्ट के चक्कर काट रहा जालसाज
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2242 रुपये का चेक पड़ा 55 लाख में, 26 साल से कोर्ट के चक्कर काट रहा जालसाज

मामले में शारदा द्वारा शिकायतकर्ता हरि ओम माहेश्वरी को आपराधिक मामला निपटाने के लिए 50 लाख रुपये देने के अलावा दो दशक के अधिक समय से कानूनी दांवपेच का इस्तेमाल कर अदालतों का समय खराब करने के लिए 5 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: 26 साल पहले एक शख्स को करीब सवा दो हजार रुपये का चेक फर्जी तरीके से कैश करवाना 55 लाख रुपये का पड़ गया. 2242.50 रुपये के चेक को धोखाधड़ी से कैश करवाने वाले शख्स ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शिकायतकर्ता को 55 लाख रुपये अदा करने की बात कही है, जिसके बाद कोर्ट ने चेक को कैश करवाने वाले महेंद्र कुमार शारदा के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला वापस लिए जाने की मांग पर विचार करने पर सहमति जताई.

मामले में शारदा द्वारा शिकायतकर्ता हरि ओम माहेश्वरी को आपराधिक मामला निपटाने के लिए 50 लाख रुपये देने के अलावा दो दशक के अधिक समय से कानूनी दांवपेच का इस्तेमाल कर अदालतों का समय खराब करने के लिए 5 लाख रुपये का हर्जाना देना होगा.

मामले में आरोपी शारदा और शिकायतकर्ता माहेश्वरी मई 1992 तक दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज में एक साथ काम करते थे. महेश्वरी ने दिल्ली पुलिस में 1997 में शारदा के खिलाफ FIR दर्ज करवाई, जिसमें कहा गया कि उसकी कमिशन का 2242.50 रुपये का एक चेक शारदा के हाथ लग गया. इसके बाद उसने चेक हड़पने के लिए फर्जी तरीके से माहेश्वरी की फर्म के नाम पर खुद बैंक खाता खुलवाया और उसमें यह चेक डालकर चेक की रकम हड़प ली. पुलिस ने शारदा के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई कर दी.

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आरोपी ने FIR के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर की. शुरू में FIR खारिज करने के लिए बहस की और फिर बाद में शिकायतकर्ता के साथ समझौता करने को राजी हो गया. लेकिन हाई कोर्ट ने आरोप गंभीर प्रवृत्ति के देखते हुए मामला खारिज करते से मना कर दिया. इसके बाद आरोपी शारदा ने हाई कोर्ट फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. जिसमें उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने 2242.50 रुपये के चेक के बदले में शिकायतकर्ता को 50 लाख रुपये लेने को राजी कर लिया है और दोनों पक्ष समझौते को तैयार हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में आरोपी के वकील से सवाल किया कि मामले में समझौता करने में दो दशक से ज्यादा का समय लगा और इस दौरान अदालत का कीमती समय बर्बाद किया गया जो कि नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जिसपर आरोपी ने अदालत का समय बर्बाद करने को लेकर हरजाने के रूप में पांच लाख रुपये और शिकायतकर्ता को देने की बात कही.

सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता भी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मौजूद था जिसने समझौता करने की बात कहते हुए आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने की मांग की.
 
यह मामला गैरसमझौता वाले अपराध के तहत दर्ज है और बनाम राज्य सरकार है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी और शिकायतकर्ता को सुनने के बाद मामले पर सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख तय की है. इस दिन सुप्रीम कोर्ट दिल्ली पुलिस का पक्ष सुनेगा और फिर आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग पर फैसला सुनाएगा. 

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