Income Tax Notice: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आयकर विभाग ने कांग्रेस को रिकवरी नोटिस थमाए हैं. दक्षिण के दो और राजनीतिक दल भी इनकम टैक्स विभाग के रडार पर हैं.
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Income Tax News: इनकम टैक्स विभाग का शिकंजा सिर्फ कांग्रेस पर ही नहीं कसा. कार्रवाई की जद में जल्द ही दक्षिण की दो सियासी पार्टियां भी आने वाली हैं. इन दलों ने सहकारी बैंकों में जमा करीब 380 करोड़ रुपये की जानकारी अपने टैक्स रिटर्न में नहीं दी थी. इकॉनमिक टाइम्स (ET) ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि दोनों पार्टियों को आयकर विभाग से नोटिस मिलने वाला है. यह रकम वित्त वर्ष 2020-21 या असेसमेंट ईयर 2022 में जमा कराई गई थी. IT विभाग के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से ईटी ने यह रिपोर्ट छापी है. अधिकारी ने कहा कि आयकर विभाग लोकसभा चुनाव में काले धन के इस्तेमाल पर नजर रख रहा है. उनके मुताबिक, 'दो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के सहकारी बैंकों में जमा धन में कुछ अनियमितताएं पाई गई हैं. उनकी जांच की जा रही है.' आयकर विभाग ने इन दोनों पार्टियों की ओर से पहले जमा कराई गई रकम का ब्योरा छानना भी शुरू किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इन पार्टियों की तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में पैठ है.
तमिलनाडु की एक पार्टी ने अपने दो सदस्यों के खातों का इस्तेमाल कर सहकारी बैंकों में रुपये जमा कराए. IT विभाग ने पिछले महीने उनसे पूछताछ की थी लेकिन वे अचानक इतनी बड़ी रकम जमा होने की वजह नहीं बता सके. IT विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, 'हम पार्टी के अन्य सदस्यों से जुड़े बैंक खातों में बड़ी रकम जमा किए जाने पर भी नजर रख रहे हैं.' इस अधिकारी ने ET को बताया कि दूसरी पार्टी ने रकम जमा करने के लिए डमी राजनीतिक पार्टियों का इस्तेमाल किया.
वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई (FIU) ने चुनाव में ब्लैक मनी का इस्तेमाल रोकने के लिए सहकारी बैंकों पर नजर रखनी शुरू की है. एजेंसी ने 12 सहकारी बैंकों की पहचान की थी जिन्होंने पिछले साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान, अपने यहां खातों में बड़े लेन-देने की जानकारी नहीं दी थी.
मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स की धारा 13ए के तहत छूट मिलती है. इस छूट को पाने के लिए उन्हें कुछ शर्तों को पूरा करना होता है. पार्टी के खातों का ऑडिट एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से होना चाहिए. 2000 रुपये से ज्यादा का चंदा कैश में नहीं लिया जा सकता. 20,000 रुपये से ज्यादा के चंदों की जानकारी चुनाव आयोग को आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख से पहले देनी होती है. पार्टियों को पिछले वित्तीय वर्ष का रिटर्न तय समय सीमा के भीतर फाइल करना होता है. अगर ये सब नहीं किया तो इनकम टैक्स से मिली छूट दिन जाती है. कांग्रेस के खिलाफ तीन मामले में हैं. पहला केस वित्त वर्ष 1994-95 (असेसमेंट ईयर 1993-94) का है. उसमें 25 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड की गई है. बाद की अपीलों में डिमांड कम होकर 11 करोड़ तक आ गई. अभी ब्याज वगैरह मिलाकर करीब 53 करोड़ रुपये की डिमांड बैठती है. बसपा और जनता पार्टी का केस भी इसी मामले के साथ क्लब कर दिया गया.
Notice, account freeze, notice, account freeze. That is the BJP’s modus operandi of stifling INC financially. In a new bizarre notice, a penalty of Rs. 1800 crore has been imposed on INC.
Is this how a fair election is supposed to be conducted? Is the idea of a level playing…
— K C Venugopal (@kcvenugopalmp) March 29, 2024
दूसरा केस वित्त वर्ष 2017-18 का है, जब कांग्रेस ने 199 करोड़ रुपये की छूट का दावा करते हुए 'निल' इनकम दिखाई थी. जुलाई 2021 में असेसमेंट ऑर्डर आया और छूट खारिज कर दी गई. आधार यह बना कि पार्टी ने डेडलाइन गुजर जाने के बाद रिटर्न फाइल किया था. 2,000 रुपये से ऊपर के कैश डोनेशन का भी आरोप था. 105 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड हुई. अक्टूबर में कांग्रेस ने अपील दायर की. पार्टी से 20% रकम जमा कराने को कहा गया. कांग्रेस ने सिर्फ 78 लाख जमा कराए. जनवरी 2023 में आयकर विभाग ने 104 करोड़ रुपये का टैक्स डिमांड नोटिस जारी किया. मार्च 2023 में कमिश्नर (अपील) ने कांग्रेस की अर्जी खारिज कर दी. मई 2023 में मामला ट्रिब्यूनल में पहुंचा. अक्टूबर में कांग्रेस ने 1.7 करोड़ रुपये और जमा किए. मार्च 2024 में IT विभाग ने पार्टी के बैंक खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट से 135 करोड़ रुपये की रिकवरी की.
क्या है इनकम टैक्स का सेक्शन 226(3)? जिसके जरिये कांग्रेस से वसूले गए 135 करोड़
तीसरा मामला काफी बड़ा है. मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में छापेमारी के दौरान विभाग को कथित रूप से 'मुकदमा चलाने लायक सबूत' मिले. उनके आधार पर आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर 2014-15 से लेकर 2020-21 की फाइलें खोल दीं. मार्च 2023 में नोटिस जारी किया गया. 31 मार्च, 2024 तक रीअसेसमेंट पूरा कर लिया जाना था. कई और नोटिस भी भेजे गए मगर IT विभाग के मुताबिक, 'संतोषजनक जवाब' नहीं मिला.
कांग्रेस को आयकर विभाग से 'फौरी राहत'
कांग्रेस ने दिल्ली हाई कोर्ट में दो रिट याचिकाएं दायर की थीं. पिछले हफ्ते वे भी खारिज हो गईं. पिछले वित्तीय वर्ष के खत्म होने से पहले, कांग्रेस ने दावा किया था कि उसे तीन नोटिस मिले हैं, जिसमें टैक्स की मांग 3,567 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सोमवार को IT विभाग ने कहा कि वह लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस से करीब 3,500 करोड़ की रिकवरी के लिए 'प्रतिकूल कदम' नहीं उठाएगा.