Team Rahul vs G-23: क्या एक और विभाजन की ओर बढ़ रही है कांग्रेस? असंतुष्ट करेंगे देशभर में बैठक
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Team Rahul vs G-23: क्या एक और विभाजन की ओर बढ़ रही है कांग्रेस? असंतुष्ट करेंगे देशभर में बैठक

क्या कांग्रेस बिखराव की दिशा में आगे बढ़ रही है. गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  के जम्मू में हुए कार्यक्रम के बाद कांग्रेस हाई कमान उनके अगले कदम पर नजर रखे हुए है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गुलाम नबी आजाद (फोटो साभार PTI)

नई दिल्ली: जम्मू में गुलाम नबी आजाद के 'एकजुटता प्रदर्शन' के बाद कांग्रेस (Congress) में असंतुष्ट नेताओं (G-23) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच दरार खुलकर सामने आ गई है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी चौराहे की स्थिति में है और उसे अब इस बात का चुनाव करना होगा कि या तो वह असंतुष्टों को शांत करे या उनके बिना आगे बढ़ने का फैसला करे. 

  1. गुलाम नबी के बागी रूख से राहुल की राह मुश्किल
  2. पार्टी के किरायेदार नहीं, सह-मालिक हैं- आनंद शर्मा
  3. कांग्रेस एक्शन की जल्दबाजी में नहीं है

गुलाम नबी के बागी रूख से राहुल की राह मुश्किल

सूत्रों के मुताबिक शनिवार को गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के कार्यक्रम के बाद पार्टी में बढ़े टकराव से राहुल गांधी के लिए आगे की राह कठिन हो रही है. सूत्रों का कहना है कि जम्मू के कार्यक्रम के बाद असंतुष्ट नेता अब कुरुक्षेत्र में एक सार्वजनिक बैठक की योजना बना रहे हैं. इसके बाद वे कांग्रेस (Congress) कार्यकर्ताओं और नेताओं का समर्थन हासिल करने के लिए देश भर में गैर-राजनीतिक मंचों पर भी बैठक करेंगे. 

पार्टी के किरायेदार नहीं, सह-मालिक हैं- आनंद शर्मा

सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस (Congress) के असंतुष्टों ने टकराव का जो रास्ता अख्तियार किया है, उसमें बाकी लोगों को शामिल होने से रोकना कठिन होगा. ऐसे में स्पष्ट संकेत जा रहे हैं कि यह राहुल गांधी के खिलाफ खुला विद्रोह है. असंतुष्ट नेताओं में शामिल आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने कहा कि वे पार्टी के किरायेदार नहीं बल्कि सह-मालिक हैं और वे पार्टी छोड़ने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आज हम जहां हैं, वहां पहुंचने के लिए ज्यादातर नेताओं ने बहुत मेहनत की है. हममें से कोई भी खिड़की के जरिए नहीं आया है, हम सभी दरवाजे से पार्टी में आए हैं.

नजरअंदाज कर रही है टीम राहुल- असंतुष्ट नेता

असंतुष्ट खेमे के नेताओं का कहना है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में उन्हें लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. विरोधियों का आरोप है कि जब से टीम राहुल ने अहम निर्णय लेने की बागडोर संभाली है, तब से पार्टी के तीन दशक तक महासचिव रह चुके आजाद (Ghulam Nabi Azad) जैसे नेता को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है.

कांग्रेस एक्शन की जल्दबाजी में नहीं है

बहरहाल, कांग्रेस (Congress) जल्दबाजी में नहीं है और इन नेताओं को शांत करने के लिए सतर्कता से आगे बढ़ रही है. पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता ने उन्हें 'सम्मानित' कहकर संबोधित किया है. कांग्रेस ने हालांकि नेताओं के योगदान को सराहा, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उन्हें इस वक्त पांच राज्यों के चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर पार्टी के लिए काम करना चाहिए. 

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अभिषेक मनु सिंघवी से भिजवाया मेसेज

कांग्रेस (Congress) ने नेताओं को शांत करने और उन्हें संदेश देने के लिए अभिषेक मनु सिंघवी से आग्रह किया है. सिंघवी ने कहा कि मैं बहुत सम्मान के साथ कहूंगा कि कांग्रेस के लिए सबसे अच्छा योगदान केवल आपस में ही सक्रिय होना नहीं है, बल्कि पांच राज्यों के मौजूदा चुनावों के मद्देनजर पार्टी के विभिन्न अभियानों' में सक्रिय होना भी है.

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