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Qutub Minar: ज्ञानवापी मस्जिद और ताज महल पर किए गए दावों के बाद अब कुतुब मीनार को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है. कुतुब मीनार को सूर्य स्तंभ बताया जा रहा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने कहा है कि ऊपर से देखने पर कुतुब मीनार सूर्यमुखी जैसा दिखता है.
उन्होंने कहा कि इतिहास को सही करने का वक्त आ चुका है. कुतुब मीनार दरअसल एक वेदशाला (observatory) है. इसे ध्रुव स्तंभ भी कहा जाता है. गंधर्व काल में इसे बनाया गया है. विद्वान वराहमिहिर ने इसे बनाया था, जो खगोल विद्वान थे.
वहां एक गुप्तकाल का लोहे का स्तंभ (Iron Pillar) है, ये विष्णु गुप्त काल का है. इसलिए कई लोग इसे विष्णु मंदिर भी कहते हैं. भगवान नरसिंह की मूर्ति वहां है. वहां राजाओं के अवशेष मिल जाएंगे. इसकी बुनियाद आयताकार है और यह 64 फीट लंबा और 62 फीट चौड़ा है. ये 25 इंच दक्षिण की ओर झुका हुआ है. कुतुब मीनार को ऐसा इसलिए बनाया गया क्योंकि ये कर्क रेखा पर 5 डिग्री ऊंचाई पर स्थित है.
उन्होंने बताया कि 21 जून के 12 बजे सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में शिफ्ट होता है. उसकी स्टडी के लिए कुतुब मीनार को बनाया गया है. इस वक्त कुतुब मीनार की छाया नहीं बनती. इसमें 27 झरोखे बने हैं जो 27 नक्षत्रों की गणना के लिए हैं. इसमें संकेत चिन्ह भी बने हैं जो ज्योतिष और नक्षत्रों की गणना के लिए बनाए गए हैं.
कुतुबनुमा का मतलब होता है उत्तर दिशा में बना कम्पास. यहां आप एक विशेष दिशा में रहेंगे और कुतुब मीनार के नीचे खड़े होकर 25 इंच झुककर देखेंगे तो आपको ध्रुव तारा दिखेगा. कुतुब मीनार को पूरे हिंदू आर्किटेक्चर के तहत बनाया गया है. कुतुब मीनार पर अरबी में लिखी शिलालेख को मुगल से जोड़ा जाता है. सर सैयद अहमद खां ने इसका अध्य्यन करके ये कहा था कि ये ऊपर से चिपकाए गए लगते हैं. मुगलों की जब सल्तनत आई तो अपने महिमामंडन के लिए उन्होंने ये सब चिपका दी.
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