Lockdown के दौरान भारत में 50% तक कम हुआ प्रदूषण, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने जारी की तस्वीरें
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Lockdown के दौरान भारत में 50% तक कम हुआ प्रदूषण, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने जारी की तस्वीरें

यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा ली गई इन सैटेलाइट तस्वीरों में साल 2019 में 25 मार्च से 20 अप्रैल के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में पीले और लाल रंग से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर दिखाया गया है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के चलते एक तरफ जहां हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं वहीं दूसरी तरफ इसके चलते लगे लॉकडाउन ने कई जानें बचाई हैं. देशव्यापी लॉकडाउन होने से न सिर्फ कोरोना के मामलों में कमी आई है बल्कि देश के बड़े शहरों में पिछले साल के मुकाबले 40 से 50% तक प्रदूषण में भी गिरावट देखने को मिली है.

25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन ने भारत में न सिर्फ कोरोना के मामलों को नियंत्रित रखा है बल्कि प्रदूषण के स्तर को भी बेहद कम किया है. अप्रैल के महीने में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 16 मार्च से 15 अप्रैल के बीच राजधानी में पिछले साल के मुकाबले PM2.5 में 46% और PM 10 में 50 प्रतिशत तक गिरावट देखने हो मिली.

CPCB की रिपोर्ट के बाद अब यूरोपियन सैटेलाइट सिस्टम ने तस्वीरें जारी की हैं. तस्वीरों में पिछले साल और इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच प्रदूषण के स्तर को दिखाया गया है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी द्वारा ली गई इन सैटेलाइट तस्वीरों में साल 2019 में 25 मार्च से 20 अप्रैल के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में पीले और लाल रंग से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर दिखाया गया है. 

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वहीं दूसरी तस्वीर में इस साल यानी 2020 में 25 मार्च से 20 अप्रैल तक पीले लाल रंग से दिखाया गया प्रदूषण का स्तर पिछले साल की तुलना में लगभग आधा नजर आ रहा है. खास तौर पर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में प्रदूषण में इस साल 40 से 50% तक कमी देखने को मिली है.

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लॉकडाउन के दौरान सड़कों पर गाड़ियां, फैक्ट्री, इंस्डस्ट्री और निर्माण कार्यों पर रोक थी. यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में कई सालों बाद साफ आसमान देखने को मिला और प्रदूषण में कमी आई. ये सैटेलाइट तस्वीरें साफ बता रही हैं कि सिर्फ 32 दिन के लॉकडाउन में कैसे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 50% तक बेहतर हुई.

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आईपीसीए की डिप्टी डायरेक्टर राधा गोयल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान 3 महीनों में ही प्रदूषण के स्तर में काफी कमी देखने को मिली. सड़कों पर 90% तक कम वाहन थे, निर्माण कार्य बंद थे ऐसे में प्रदूषण में काफी कमी देखने को मिली है. 

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के इस समय को सरकार आने वाले समय में रिसर्च के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. सरकार इस बात पर रिसर्च कर सकती है कि जब देश या राज्यों में प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा तो किन गतिविधियों को रोक कर प्रदूषण कम किया जा सकता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदूषण की वजह से दुनियाभर में हर साल 70 लाख लोगों की मौत होती है. देश की राजधानी दिल्ली विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. ऐसे में लॉकडाउन ने दिल्ली वालों को कोरोना से तो बचाया ही साथ में प्रदूषण से भी राहत दी है.

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