Chandigarh Mayor Chunav: चंडीगढ़ मेयर चुनाव में दिलचस्प मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. उनके खिलाफ केस चल सकता है और चुनाव भी फिर से कराए जा सकते हैं.
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Chandigarh Mayor Chunav Anil Masih: जब कोई नियम के खिलाफ या अनैतिक काम कर रहा होता है तो हड़बड़ाता है, दिखावा करता है, झेंपता है, उसका मन काम से ज्यादा इधर-उधर लगता है कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा. चंडीगढ़ मेयर चुनाव के निर्वाचन अधिकारी अनील मसीह का वायरल वीडियो देख शायद सुप्रीम कोर्ट को भी ऐसा ही लगा. SC ने इस अधिकारी को न सिर्फ फटकार लगाई बल्कि यहां तक कह दिया कि यह साफ है कि इन्होंने मतपत्रों को खराब किया और इसके लिए उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. उनका कार्य लोकतंत्र की हत्या है. ऐसे में जान लीजिए कि मतपत्रों की जांच करते चकर-पकर, ऊपर-नीचे देखने वाले यह चुनाव अधिकारी कौन हैं?
देखिए लोकतन्त्र की हत्या करते पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह..
इन्होंने चंडीगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव में इंडिया गठबंधन 8 वोटों की खारिज कर भाजपा को जीत दिलवाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस अधिकारी पर केस चलना चाहिए.@DgpChdPolice @ssputchandigarh कब करेंगे गिरफ्तार...? pic.twitter.com/GyTO3hG7H9
— Jharkhand Congress (@INCJharkhand) February 6, 2024
पहले बात मेयर चुनाव की
वास्तव में चंडीगढ़ मेयर चुनाव के नतीजे हैरान करने वाले रहे. नंबर होने के बावजूद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार हार गए. वजह 8 वोट थे जिसे अवैध घोषित कर दिया गया. कई वीडियो आए. दोनों खेमे अपने-अपने तरीके से वीडियो में दिखाई दे रहे निर्वाचन अधिकारी के क्रियाकलाप की व्याख्या करने लगे. 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी. भाजपा के मनोज सोनकर को 16 जबकि आप के कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.
निर्वाचन अधिकारी है या भगोड़ा...
चुनाव में गड़बड़ी से नाराज चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि वह इस प्रकार से लोकतंत्र की हत्या नहीं करने देगी. कोर्ट ने पूछा कि निर्वाचन अधिकारी एक अधिकारी है या भगोड़ा. 19 फरवरी को अनिल मसीह को पेश होने का निर्देश दिया गया है. महापौर का चुनाव हारने वाले AAP के पार्षद कुलदीप कुमार की याचिका में आरोप लगाया गया है कि निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस-आप गठबंधन के पार्षदों के आठ मत पत्रों पर निशान लगाते हुए उन्हें अमान्य करार दिया.
विपक्षी दलों की चिंता यह है कि अगर अधिकारी का कारनामा वीडियो में न आया होता तो क्या होता? CJI चंद्रचूड़ ने साफ कहा, 'देखिये, वह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं? श्रीमान सॉलिसिटर (जनरल), यह लोकतंत्र का माखौल है और लोकतंत्र की हत्या है, हम स्तब्ध हैं. क्या यह एक निर्वाचन अधिकारी का आचरण है.’ कोर्ट ने कहा कि यह शख्स मतपत्र को खराब कर देता है और कैमरे की ओर देखता है.
अनिल मसीह के बारे में जान लीजिए?