अमरनाथ यात्रा : ... 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं जवान, यह है बड़ी वजह
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अमरनाथ यात्रा : ... 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं जवान, यह है बड़ी वजह

एक जवान पहले श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए ड्यूटी करता है, जो थोड़ा समय उसे खाली मिलता है, वह श्रद्धालुओं की मदद और रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में चला जाता है. जबतक यह सारे काम खत्‍म होते हैं तब तक दोबारा जवान की ड्यूटी का टाइम हो जाता है.

कुदरत के बिगड़े मिजाज ने अमरनाथ यात्रा से जुड़ी तमाम योजनाओं पर पानी फेर दिया. लगातार तेज बारिश, भूस्‍खलन सहित अन्‍य वजहों के चलते पहले कुछ दिन ए‍क भी अमरनाथ यात्री बालटाल और पहलगाम से पवित्रगुफा के लिए आगे नहीं बढ़ सका. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: अमरनाथ यात्रा पर गए श्रद्धालुओं की सुरक्षा में तैनात जवान इस समय 24 घंटे ड्यूटी दे रहे हैं. आलम यह है कि अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी पर तैनात किसी भी जवान को बमुश्किल दो घंटे के लिए भी पलक झपकने का मौका मिल रहा हो.

  1. आराम छोड़ रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन और श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं जवान
  2. रात में अमरनाथ यात्रा की इजाजत दिए जाने के बाद जवानों पर बढ़ा दवाब
  3. बीमार होने वाले श्रद्धालुओं के रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में भी आ रही है परेशानी

इस कड़ी ड्यूटी की दो वजह है. पहली वजह से हर कोई वाकिफ है. यह वजह है अमरनाथ यात्रा पर पहुंचे श्रद्धालुओं पर आतंकियों की टेड़ी नजर. वहीं यात्रा के दौरान इस समय कुछ अन्‍य ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं, जिसकी वजह से जवान रात और दिन लगातार ड्यटी देने के लिए मजबूर है. 

अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से जुड़े वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, इस वर्ष अनुमान है कि 60 दिनों के अंतराल में करीब ढाई से तीन लाख श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए पहुंचेंगे. सीमित अवधि में इतनी बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं को सुरक्षित पवित्र गुफा तक पहुंचाना सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. 

अनुमान के तहत की गई व्‍यवस्‍थाओं के तहत सबकुछ ठीक तरीके से पूरा हो जाता, लेकिन कुदरत के बिगड़े मिजाज ने अमरनाथ यात्रा से जुड़ी तमाम योजनाओं पर पानी फेर दिया. दरअसल, लगातार तेज बारिश, भूस्‍खलन सहित अन्‍य वजहों के चलते पहले तीन दिन ए‍क भी अमरनाथ यात्री बालटाल और पहलगाम से पवित्रगुफा के लिए आगे नहीं बढ़ सका. जिसके चलते यात्रियों का भारी बैकलॉग हो गया. 

एक तरफ दोनों बेस कैंप में पहले से पहुंच चुके यात्री पवित्र गुफा की तरफ बढ़ने की तैयारी में थे, वहीं पीछे से श्रद्धालुओं को दूसरे जत्‍थे भी दोनों बेस कैंप में पहुंच गए. दोनों बेस कैंप में श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्‍या को देखते हुए अमरनाथ यात्रा का आयोजन कर रही एजेंसियों ने श्रद्धालुओं को रात में बेस कैंप से पवित्र गुफा की तरफ बढ़ने की इजाजत दे दी. 

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अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी पर तैनात किसी भी जवान को बमुश्किल दो घंटे के लिए भी पलक झपकने का मौका मिल रहा हो.

एक नजरिए से प्रशासन ने श्रद्धालुओं की इच्‍छा को ध्‍यान में रखते हुए यह फैसला लिया, लेकिन, दूसरी तरफ इस फैसले से कुछ परेशानियां भी खड़ी हो गई. सबसे बड़ी परेशानी मार्ग और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए तैनात जवानों के लिए खड़ी हुई है. दरअसल, यात्रा के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत जवानों की संख्‍या निर्धारित की गई थी.

वहीं, रात्रि में श्रद्धालुओं को यात्रा की इजाजत देने से जवानों की दोहरी ड्यूटी देनी पड़ रही है. जवानों की समस्‍या यहीं तक सीमित नहीं है. दरअसल, बारिश के बाद जमा हुए कीचड़ ने रास्‍ते को बेहद फिसलन भरा बना दिया है. जिसके चलते रात के समय श्रद्धालुओं का वहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं है.

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श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए जवान उन्‍हें अपना सहारा देकर टार्च के सहारे रास्‍ता पार करा रहे हैं. इस काम में भी अतिरिक्‍त जवानों की जरूरत पड़ रही है. इतरना हीं नहीं, लगातार भूस्‍खलन के चलते जवानों को लगातार रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन भी चलाना पड़ता है. 

नतीजतन, एक जवान पहले श्रद्धालुओं की रक्षा के लिए ड्यूटी करता है, जो थोड़ा समय उसे खाली मिलता है, वह श्रद्धालुओं की मदद और रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में चला जाता है. जबतक यह सारे काम खत्‍म होते हैं तब तक दोबारा जवान की ड्यूटी का टाइम हो जाता है. जिसके बाद वह अपनी AK-47 लेकर फिर अपनी लोकेशन पर पहुंच जाता है.

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रात दिन चल रही अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए पूरे मार्ग में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.

रात के सफर ने जवानों के लिए एक मुसीबत खड़ी कर दी है. सुरक्षा से एक अधिकारी ने बताया कि बीते दिनों यात्रा के दौरान कई यात्रियों की मृत्‍यु हार्ट अटैक से हुई है. रात के समय यदि किसी श्रद्धालु को हार्ट अटैक होता है तो जवान के सामने दो विकल्‍प होते हैं. पहला विकल्‍प श्रद्धालु को सीपीआर जैसी प्राथमिक चिकित्‍सा देकर सुबह होने का इंतजार करें. सुबह होने पर हेलीकॉप्‍टर पहुंचेगा और बीमार श्रद्धालु को लेकर अस्‍पताल के लिए रवाना होगा. 

जवानों के सामने दूसरा विकल्‍प है कि वह बीमार श्रद्धालु को स्‍ट्रेचर पर लिटा कर कई किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करें. दोनों ही परिस्थितियों के हार्ट अटैक से पीडि़त श्रद्धालु की जान पर खतरा बना रहेगा. दुखद है कि इस वर्ष किसी भी ऐसे श्रद्धालु को बचाया नहीं जा सका है, जिसको यात्रा के दौरान हार्ट अटैक आया हो. 

सूत्रों के अनुसार जवानों की इस परेशानी की आवाज गृह मंत्रालय पहुंच चुकी है. आज गृहमंत्री राजनाथ सिंह खुद पवित्र गुफा पहुंचकर अमरनाथ यात्रा के लिए की गई सुरक्षा व्‍यवस्‍था की समीक्षा के साथ मौजूदा परेशानियों के बाबत अधिकारियों से बातचीत करेंगे. 

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