अमृतसर हादसे का गुनाहगार कौन? घटना के बाद से लापता क्यों हैं पार्षद
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अमृतसर हादसे का गुनाहगार कौन? घटना के बाद से लापता क्यों हैं पार्षद

दशहरा समारोह की मुख्य आयोजक नगर निगम पार्षद विजय मदान और सौरभ मदान मिट्ठू अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भूमिगत हो गये है. 

अमृतसर ट्रेन हादसा मामले में अभी तक किसी को भी आरोपी नहीं बनाया गया है.

अमृतसर: रेल पटरियों पर खड़े 59 लोगों की ट्रेन की चपेट में आने से हुई मौत मामले की दुनिया भर में चर्चा हो रही है. हादसे के दो दिन बाद भी इस मामले में किसी को आरोपी नहीं बनाया गया है. दुनिया भर से लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इस हादसे का गुनाहगार कौन है. इन सबके बीच दशहरा समारोह की मुख्य आयोजक नगर निगम पार्षद विजय मदान और सौरभ मदान मिट्ठू अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ भूमिगत हो गये है. 

पुलिस के अनुसार इस हादसे से नाराज कुछ लोगों ने शनिवार को उनके आवास पर हमला कर दिया,खिड़कियों के शीशे तोड़ दिये और पथराव किया. इसके बाद मदान परिवार के सदस्य किसी अज्ञात स्थान पर चले गये और उन्होंने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिये. हालांकि उनके आवास पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. विजय मदान अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के तहत वार्ड संख्या 29 से मौजूदा पार्षद है. मदान परिवार के सदस्य उस दशहरा कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे जहां ट्रेन हादसा हुआ था.

पुलिस ने कार्यक्रम के लिये एनओसी दी थी, निगम से नहीं ली गई थी कोई मंजूरी : अधिकारी
हादसे को लेकर आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच पुलिस ने स्वीकार किया कि उसने आयोजकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया था लेकिन कहा कि कार्यक्रम के लिये नगर निगम की भी मंजूरी की जरूरत थी. इस बीच सामने आए एक खत से संकेत मिले हैं कि आयोजकों - स्थानीय कांग्रेस पार्षद के परिवार - ने कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा इंतजाम की भी मांग की थी जहां पंजाब के मंत्री नवजोत सिद्धु और उनकी पूर्व विधायक पत्नी नवजोत कौर सिद्धू के आने की उम्मीद थी.

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प्रत्यक्षदर्शियों ने हालांकि शिकायत की कि जोड़ा फाटक के पास पटरियों के साथ लगे मैदान में लोगों की सुरक्षा के लिये इंतजाम पर्याप्त नहीं थे. सुजीत सिंह ने पूछा, ‘सरकार ने सुरक्षा के पर्याप्त प्रबंध क्यों नहीं किये थे. रेलवे पटरी के निकट इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करने की अनुमति क्यों दी गई.’

एक वीडियो के सामने आने के बाद नवजोत कौर सिद्धू पर आरोपों को हवा मिली है जो कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल थीं और कथित तौर पर मंच पर किसी ने उन्हें बताया कि लोग रेल की पटरियों पर भी खड़े हैं. अकाली दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने कार्यक्रम की इजाजत देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अकाली दल ने पंजाब की कांग्रेस सरकार से सिद्धु को बर्खास्त किये जाने की मांग की. 

रेलवे ने कहा, हमसे नहीं मांगी गई इजाजत
उधर रेलवे अधिकारियों ने कहा कि उनसे कार्यक्रम के लिये कोई मंजूरी नहीं मांगी गई थी. रेलवे ने मामले में किसी तरह की जांच से इनकार किया और कहा कि यह कोई रेल दुर्घटना नहीं बल्कि रेल पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश का एक मामला है.

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गर्वनमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने ‘अज्ञात लोगों’ के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं जो चार हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट देंगे. सिंह ने दुर्घटनास्थल जोड़ा फाटक और अस्पतालों का दौरा किया और बताया कि हादसे में 59 लोगों की जान गई है जबकि 57 घायल हैं. उप जिलाधिकारी राजेश शर्मा ने हालांकि मृतकों का आंकड़ा 61 बताया. अमृतसर के पुलिस उपायुक्त अमरीक सिंह पवार ने कहा कि आयोजकों को इस शर्त पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया था कि वे नगर निगम और प्रदूषण विभाग से भी मंजूरी लेंगे. अमृतसर नगर निगम ने इस हादसे से खुद को अलग बताया. 

निगम आयुक्त ने कहा, हमने नहीं दी इजाजत
अमृतसर नगर निगम आयुक्त सोनाली गिरी ने यहां बताया, ‘दशहरा समारोह आयोजित करने की अनुमति किसी को नहीं दी गई थी. इससे भी ज्यादा यह है कि किसी ने अनुमति के लिए अमृतसर नगर निगम में आवेदन भी नहीं किया था.’ मध्यरात्रि घटनास्थल का दौरा करने वाले रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्विनी लोहानी ने कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि यह हादसा दो स्टेशनों- अमृतसर एवं मनावाला के बीच हुआ, न कि रेलवे फाटक पर.

सुबह तक पटरियों को साफ कर दिया गया था और शवों के अवशेषों को हटा दिया गया था. कुछ लोगों ने रेलवे की पटरियों के पास प्रदर्शन किया और जब पुलिस ने उनको बैरीकेड के पास से हटाने का प्रयास किया तो इस दौरान वहां माहौल थोड़ा तनावपूर्ण भी हो गया. कुछ लोगों ने कांग्रेस पार्षद विजय मदान के बेटे के घर पर पथराव भी किया. मदान का परिवार ही कार्यक्रम का आयोजक था. घटना के बाद से दोनों को नहीं देखा गया है. अस्पतालों के बाहर अपने रिश्तेदारों को खोने वाले लोगों की चीखों से वहां मौजूद लोगों का कलेजा मुंह को आ रहा था.

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