अररिया सीट पर सियायत तेज, 2014 में मोदी लहर भी नहीं दिला सकी थी BJP को जीत
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अररिया सीट पर सियायत तेज, 2014 में मोदी लहर भी नहीं दिला सकी थी BJP को जीत

अररिया सीट राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई थी, इस सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होगा. 

उपचुनाव को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के लिए प्रतिष्ठा के प्रश्न के तौर पर देखा जा रहा है...(प्रतीकात्मक फोटो)

पटना: निवार्चन आयोग द्वारा अररिया लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए जाने की घोषणा के साथ ही सियासत गर्मा गई है. अररिया सीट राजद सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद खाली हुई थी. इस सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होगा. इसी दिन उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव कराए जाएंगे. उधर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद राज्य में यह पहला उपचुनाव होगा जिससे सभी की नजरें इस चुनाव पर लगी हैं.

  1. इस सीट पर तसलीमुद्दीन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी
  2. दो लाख से अधिक वोट से इस सीट पर आरजेडी ने जीत दर्ज की थी 
  3. भाजपा और जदयू के उम्मीदवार क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे

इस उपचुनाव को राजद प्रमुख लालू प्रसाद के लिए प्रतिष्ठा के प्रश्न के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि चारा घोटाला मामलों में सजा सुनाए जाने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. राजद ने ‘मोदी लहर’ के बावजूद 2014 लोकसभा चुनावों में यह सीट जीती थी. तसलीमुद्दीन ने 2014 के लोकसभा चुनाव में दो लाख से अधिक वोट से सीट पर जीत दर्ज की थी. वहीं अलग अलग चुनाव लड़ने वाली भाजपा और जदयू के उम्मीदवार क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे थे.

आयोग की घोषणा के बाद तेजी से घटे एक घटनाक्रम में जोकिहाट से जदयू के निलंबित विधायक सरफराज आलम ने पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और आरजेडी में शामिल हो गए. आलम का अररिया लोकसभा से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन करते थे. आलम ने विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद राजद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबडी देवी से उनके आवास जाकर मुलाकात की और उसके बाद राजद के कार्यालय में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी की उपस्थिति में दल की सदस्यता ग्रहण कर ली.

इस सीट पर मुस्लिम वोटरों में अल्पसंख्यकों की तादाद ज्यादा है. अररिया लोकसभा सीट में कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा सीटों के हिसाब से देखें तो फिलहाल फारबीसगंज से बीजेपी, रानीगंज से जदयू, नरकटगंज से राजद, सिकटी से बीजेपी, जोकिहाट से जदयू और अररिया से कांग्रेस के विधायक हैं.

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सूत्रों का कहना है कि आलम ने इस्तीफा तेजस्वी के इशारे पर किया है. पार्टी ने उन्हें अररिया लोकसभा सीट से टिकट का आश्वासन दिया है. आलम अररिया में जोकिहाट से विधायक थे और उन्हें दो वर्ष पहले इस शिकायत पर पार्टी से निलंबित कर दिया गया था कि उन्होंने ट्रेन में सफर के दौरान एक दम्पति से दुर्व्यवहार किया.

इस्तीफा देने के बाद सरफराज आलम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू पर भाजपा से हाथ मिलाकर ‘‘धर्मनिरपेक्ष ताकतों को धोखा देने’’ का आरोप लगाया. राजद की सदस्यता ग्रहण करने के बाद आलम ने कहा, ‘‘मैं जदयू में इसलिए शामिल हुआ था क्योंकि वह उस समय महागठबंधन का हिस्सा थी जो धर्मनिरपेक्ष ताकतों का प्रतिनिधित्व करता था. पार्टी द्वारा धर्मनिरपेक्ष ताकतों को धोखा देने के बाद से ही मैं अपने मतदाताओं और अपनी मां की ओर से दबाव में था कि मैं अपनी पिता की पार्टी में शामिल हो जाऊं.’’

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