Sandstorm Reason: दिल्ली में रहने वालों ने ध्यान दिया होगा कि उन्हें आसमान कई बार धुंधला दिखाई देता है. ऐसा राजस्थान में चलने वाली धूल भरी आंधी की वजह से हो रहा है. हजारों किलोमीटर से धूल दिल्ली आ रही है. आइए इसकी वजह जानते हैं.
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Aravalli Range: अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं तो आपने महसूस किया होगा कि कई बार आसमान धुंधला-धुंधला सा दिखाई देता है. ऐसा लगता है जैसे आसमान में धूल छाई हुई है. काफी वक्त से दिल्ली-एनसीआर में धूल भरी आंधी भी चलने लगी है. क्या आपको पता है ऐसा क्यों हो रहा है? क्योंकि राजस्थान (Rajasthan) के रेगिस्तानी इलाकों से उठने वाली धूल भरी आंधियां अब दिल्ली तक पहुंचने लगी हैं. अब आप कहेंगे कि ऐसा क्यों और कैसे हो रहा है? तो इसका जवाब दिया है राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च रिपोर्ट ने. जिसमें ये बताया गया है कि दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला यानी अरावली के पहाड़ (Aravalli Range) तेजी से गायब हो रहे हैं, जिसकी वजह से राजस्थान के रेगिस्तानों में उठने वाली धूल की आंधियां दिल्ली तक आ रही हैं. ऐसा कैसे हो रहा है इसका जवाब भी राजस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट में दिया गया है. जिसके बारे में हम आपको बताएंगे लेकिन पहले आपको अरावली हिल्स के बारे में थोड़ा सामान्य ज्ञान दे देते हैं ताकि आपको इस खबर की गंभीरता का अंदाजा हो सके.
250 करोड़ साल पुरानी पर्वत श्रृंखला है अरावली
अरावली हिल्स के बारे में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो यही है कि करीब 250 करोड़ वर्ष पुरानी ये पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है. अरावली पर्वत श्रृंखला कुल 692 किलोमीटर के इलाके में फैली हुई है. जिसका 80 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में, 10 प्रतिशत हिस्सा गुजरात मे, 7 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा में और 3 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली में आता है. दिल्ली में जिन इलाकों को रिज एरिया कहा जाता है वो अरावली का ही पार्ट है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अरावली रेंज की वजह से दिल्ली-एनसीआर का तापमान सात से आठ डिग्री कम रहता है. एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि अगर अरावली ना होती तो दिल्ली-एनसीआर रेगिस्तान बन जाता और राजस्थान की तरह दिल्ली-एनसीआर का तापमान भी 50 डिग्री तक पहुंच जाता. अब आपको समझ आ रहा होगा कि दिल्ली में धूल भरी आंधियों का अरावली रेंज से क्या कनेक्शन है तो एक बार फिर राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट पर आते हैं.
31 से ज्यादा पहाड़ दो दशकों में गायब
इस रिपोर्ट में अरावली रेंज में 31 से ज्यादा पहाड़ों की पहचान की गई है जो पिछले दो दशक में गायब हो गईं हैं यानी पूरे के पूरे पहाड़ ही गायब हो गए. इसके अलावा निचले और मध्यम ऊंचाई की सैकड़ों पहाड़ियां भी गायब हो चुकी हैं. कुल मिलाकर अरावली रेंज के कुल 25 प्रतिशत पहाड़ और पहाड़ियां लुप्त हो चुके हैं. यहां पहाड़ उन्हें कहा गया है जिनकी लंबाई समुद्र तल से 200 मीटर से ज्यादा होती है और पहाड़ियां वो हैं जिनकी लंबाई समुद्र तल से 60 मीटर से 200 मीटर तक होती है. इतना ही नहीं वर्ष 1999 से 2019 के बीच दो दशकों में अरावली रेंज में जंगल का इलाका भी 41 प्रतिशत घट चुका है.
कैसे गायब हो जा रहे अरावली के पहाड़?
अब आप कहेंगे कि इतनी बड़ी और पुरानी पर्वत श्रृंखला के इतने पहाड़ गायब कैसे हो गए? तो इसका जवाब है- अवैध खनन और अतिक्रमण. आप कहेंगे कि इसका जिम्मेदार कौन है? ये जानने के लिए वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण टिप्पणियां की थीं. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा था- क्या लोग हनुमान बन गए हैं जो अरावली पर्वत को उठा ले गए? फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- राजस्थान में सरकारी मशीनरी सड़ चुकी है. अफसरों ने अवैध खनन करने वालों से हाथ मिला रखे हैं. और अब राजस्थान की सेंट्रल यूनिवर्सिटी की जो रिसर्च रिपोर्ट आई है उसमें भी यही बात साबित हुई है कि अवैध खनन की वजह से अरावली के पहाड़ गायब होने का असर होना अब शुरू हो गया है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सैकड़ों किलोमीटर दूरी वाली इस अरावली पर्वत श्रृंखला के पहाड़ों के लुप्त होने की वजह से भारत-पाकिस्तान तक फैले थार रेगिस्तान से आने वाली रेत वाली आंधी जिसे SANDSTORM भी कहा जाता है वो Sandstorm हजारों किलोमीटर दूर हरियाणा, दिल्ली–NCR और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक आएगा. यानी हरियाणा, दिल्ली–NCR और पश्चिमी यूपी के आसपास भले ही रेगिस्तान ना हो लेकिन हजारों किलोमीटर दूर स्थित रेगिस्तान से धूल भरी आंधी यहां भी आएगी और इसकी वजह है अरावली के गायब पहाड़ जिनके गायब होने की वजह से हरियाणा, दिल्ली–NCR और पश्चिमी यूपी की तरफ थार के रेगिस्तान से Sandstorm आने का रास्ता बिलकुल साफ हो गया है.
ढाई हजार वर्ष पुरानी अरावली रेंज दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है. लेकिन अवैध खनन की रेंज में आकर अरावली हिल्स अब प्लेन हो चुकी हैं. लेकिन खनन माफिया के लालच का पहाड़ अभी भी टूटने के लिए तैयार नहीं है. अरावली की पहाड़ियों के बचे खुचे अवशेषों पर ट्रैक्टर के टायरों के निशान गवाही दे रहे हैं कि अरावली की समतल हो चुकी जमीन को भी नहीं छोड़ा जा रहा.
स्थानीय लोगों की मानें तो इस इलाके में 2004 के बाद से संगठित खनन तो बंद हो गया लेकिन जब तक हुआ तब तक इतना जोर-शोर से हुआ कि गुरुग्राम में पड़ने वाला अरावली हिल्स के एक बड़े इलाके में पहाड़ ही गायब हो गए. गुरुग्राम के कादरपुर गांव में भी एक समय सैकड़ों फीट ऊंची अरावली की पहाड़ियां हुआ करती थीं लेकिन अब पहाड़ियों की जगह सिर्फ छोटे-छोटे टीले बचे हैं जो अवैध खनन की गवाही दे रहे हैं.
खनन माफिया से डरे सहमे स्थानीय लोगों की मानें तो यहां अब खनन पहाड़ी पर नहीं जमीन पर होता है और पहाड़ खत्म करने के बाद अब खनन माफिया जमीन को भी नहीं छोड़ रहे हैं. दुनिया की धरोहर सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला जिसका ढ़ाई करोड़ वर्षों से कुदरत कुछ नहीं बिगाड़ पाई उसे इंसानों ने चंद वर्षों ने मिट्टी में मिला दिया और अब इसका नुकसान इंसान को ही उठाना पड़ेगा.
ये रिपोर्ट देखकर आपको समझ में आ गया होगा कि अरावली रेंज में अभी भी अवैध खनन हो रहा है और इसका खामियाजा अरावली के पहाड़ भुगत रहे हैं जो तेजी से गायब हो रहे हैं. इसका असर अरावली रेंज में रहने वाले जानवरों और वनस्पति को भी हो रहा है. स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1975 से 2019 तक 44 वर्ष के दौरान अरावली में 3676 वर्ग किलोमीटर भूमि बंजर हो गई और 776.8 वर्ग किलोमीटर अरावली वन श्रेत्र में बस्तियां बस गईं.
रिपोर्ट के मुताबिक, अरावली रेंज में पाए जाने वाले कई दुर्लभ पौधों पर भी लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. पर्यावरणविदों की मानें तो अरावली के पहाड़ों पर अवैध खनन से जितना नुकसान हो चुका है और लगातार हो रहा है. उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. जिस अरावली रेंज को सुप्रीम कोर्ट देश की धरोहर बता चुका है और वर्ष 2002 में वहां खनन पर पूरी तरह रोक लगा चुका था. उस अरावली रेंज में अवैध खनन माफिया ने कैसी लूट मचाई, इसका पता वर्ष 2017 में आई Comptroller and Auditor General of India यानी कैग की रिपोर्ट से चलता है. जिसके मुताबिक, वर्ष 2011 से 2017 के दौरान 6 वर्षों में अरावली रेंज में अवैध खनन के 4072 केस दर्ज किए गए. इस दौरान 6 वर्षों में अरावली रेंज में 98 लाख टन खनिज पदार्थों का अवैध तरीके से खनन किया गया था.
अरावली रेंज में अवैध खनन माफिया की मौजूदगी का सबूत पूरी दुनिया ने तब देखा था जब जुलाई 2022 में हरियाणा के तावड़ू में डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की खनन माफिया ने हत्या कर दी थी. जो अरावली की पहाड़ियों पर अवैध खनन को रोकने के लिए गए थे. यानी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद अरावली हिल्स में अवैध खनन जारी रहा और आज भी चोरी-छिपे चालू है और अब इसका असर भी दिखना शुरू हो चुका है. ऐसे में अगर आने वाले वर्षों में अरावली के लुप्त पहाड़ों की संख्या और बढ़ती हैं तो हो सकता है जैसे रेगिस्तान में SANDSTORM आता है वैसे ही हरियाणा, दिल्ली एनसीआर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी Sandstorm आना सामान्य हो जाए.
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