शिवसेना के मुखपत्र सामना में BJP और सचिन पायलट पर साधा गया निशाना
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शिवसेना के मुखपत्र सामना में BJP और सचिन पायलट पर साधा गया निशाना

शिवसेना के मुखपत्र सामना में राजस्थान के मुद्दे को लेकर बीजेपी और राज्य के उपमुखमंत्री सचिन पायलट पर निशाना साधा गया है. 

शिवसेना के मुखपत्र सामना में BJP और सचिन पायलट पर साधा गया निशाना

मुंबई: शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र सामना (Samna) में राजस्थान के मुद्दे को लेकर बीजेपी (BJP) और राज्य के उपमुखमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) पर निशाना साधा गया है. सामना में लिखा है कि एक ओर जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा है, भारतीय जनता पार्टी ने कुछ अलग ही उपद्रव मचाया हुआ है. इस दौरान भाजपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराई. अपनी जीभ पर लगे खून के पचने के पहले ही राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराकर डकार लेने की स्थिति में भाजपा दिख रही है, लेकिन यह संभव नहीं लगता. 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों के साथ भाजपा में विलीन हो गए. सिंधिया को इनाम के रूप में राज्यसभा मिली. भविष्य में वे मंत्री भी बनेंगे. जब मध्य प्रदेश का निवाला निगला तभी लोग आश्वस्त थे कि अगला नंबर राजस्थान का होगा. शर्त लगाकर कहा गया कि उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर ही चलेंगे. यह सच होता दिख रहा है.

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सचिन पायलट 30 विधायकों के साथ राजस्थान में बगावत कर रहे हैं ऐसी बात की जा रही है, लेकिन ये आंकड़ा ज्यादा दिखाया जा रहा है. 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 107 और भाजपा के 72 विधायक हैं. निर्दलीय और अन्य विधायक भी सरकार के साथ थे. उनमें से कुछ परंपरा के अनुसार बाड़ पर जाकर बैठे हैं. 

पायलट का दावा है कि कांग्रेस सरकार अब अल्पमत में है. हालांकि पायलट की बात सच भले हो लेकिन सरकार का भविष्य विधानसभा में तय होगा. विधायक दल के नेता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बुलाई गई कांग्रेस विधायकों की बैठक में दस से बारह पायलट समर्थक विधायक भी शामिल थे. इसलिए विधानसभा में सिरों की गिनती के बाद ही वास्तविक संख्या ज्ञात होगी. जब तक विधायकों के सिर ठीक से नहीं गिन लिए जाते तब तक भारतीय जनता पार्टी खुलकर कुछ नहीं करेगी. भारतीय जनता पार्टी इसके लिए खुलकर कुछ नहीं कर रही है लेकिन सरकार को अस्थिर करने के लिए पर्दे के पीछे से उनका राष्ट्रीय कार्य चल ही रहा है. 

फिलहाल भाजपा के दृष्टिकोण से पायलट का बच्चों वाला खेल कांग्रेस का एक आंतरिक मुद्दा है और इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है. जब ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने में मिलाया, उस समय भी यह भाजपा के लिए एक आंतरिक मुद्दा था और अब पायलट का खेल भी एक आंतरिक मुद्दा है. महाराष्ट्र में भाजपा ने अजीत पवार को साथ लेकर अलसुबह ही शपथ विधि कर ली. तब भी वो राकांपा का आंतरिक मामला था. ऐसे आंतरिक मामले सुविधानुसार तय होते रहते हैं. 

सामना सचिन पायलट पर निशाना साधने से भी नहीं चूकी और लिखा मध्य प्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया पायलट से कांग्रेस छुड़वाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. नौसिखिया थोड़ा जोर से बांग देता है, यही होता है और कोई भी पार्टी इससे अछूती नहीं है. राजनीति में यह कोई नया चलन नहीं है. यदि पायलट के साथ गहलोत का झगड़ा एक आंतरिक विवाद है तो भाजपा को फिलहाल उस झगड़े में नहीं पड़ना चाहिए. लेकिन भाजपा इस समय बाड़ पर है और उसने ज्योतिरादित्य सिंधिया को ‘ऑपरेशन लोटस’ के सूत्रधार के रूप में नियुक्त किया है, जिन्हें बगावत का ताजा अनुभव है. 

पायलट की महत्वाकांक्षा राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की है. फिलहाल वे उप-मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. वे युवा हैं और भविष्य में उनके लिए मौका है, लेकिन गहलोत द्वेष के कारण वे भविष्य में नहीं, बल्कि वर्तमान में ही एक बड़ी लड़ाई लड़कर मुख्यमंत्री पद हासिल करना चाहते हैं. यह कदम उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है. 

सामना चीन के मुद्दे पर भी बीजेपी को नही बख्शा और लिखा देश के समक्ष कोरोना के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और लद्दाख में चीनी घुसपैठ सहित कई मुद्दे हैं. लद्दाख सीमा पर हमारे 20 सैनिकों का गिरा खून अभी भी ताजा है. इन सभी मुद्दों को सुलझाने की बजाय राजस्थान में कांग्रेस के भीतरी विवाद में टांग डालकर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का काम चल रहा है. रेगिस्तान में राजनीतिक उपद्रव का तूफान पैदा करके भाजपा क्या हासिल करना चाहती है? इससे संसदीय लोकतंत्र रेगिस्तान में बदल जाएगा. देश में भाजपा की पूरी सत्ता है. कुछ घरों को उन्हें विरोधियों के लिए छोड़ देना चाहिए. इसी में लोकतंत्र की शान है!

 

 

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