G-20 का भले ही हिस्सा ना बनें शी जिनपिंग, पीएम मोदी दे गए बड़ा संदेश
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G-20 का भले ही हिस्सा ना बनें शी जिनपिंग, पीएम मोदी दे गए बड़ा संदेश

G 20  Summit kya hai Delhi:  दिल्ली में होने वाले जी 20 बैठक से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने एक आर्टिकल लिखा है, उस आर्टिकल में उन्होंने बताया कि भारत जब वसुधैव कुटुंबकम की जब बात करता है तो उसका अर्थ व्यापक है, पूरी दुनिया को हम एक परिवार मानते हैं जहां किसी भी रूप में या किसी भी प्रकार में बाधा नहीं है.

G-20 का भले ही हिस्सा ना बनें शी जिनपिंग, पीएम मोदी दे गए बड़ा संदेश

G 20  Summit Delhi: 9 और 10 सितंबर को वैश्विक जगत के लिए भारत बड़ा उदाहरण पेश करने वाला है. जी 20 की बैठक (G 20 meeting in delhi) में दुनिया के बड़े बड़े मुल्क शामिल हो रहे हैं जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस समेत चीन भी शामिल होने वाला है. इस बैठक में जहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन(joe biden),ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक(rishi sunak) खुद हिस्सा लेंगे वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग(xi jinping) ने दूरी बनाई है. इस बैठक से पहले एक आर्टिकल में पीएम मोदी(narendra modi) ने जी 20 बैठक के महत्व को बताते हुए वसुधैव कुटुंबकम (vasudhav kutumbkam)का जिक्र किया जिसमें उन्होंने बताया कि हम सब एक परिवार की तरह हैं जहां ना तो भाषाई बाधा और ना ही विचारधारा बंधन है.

दुनिया महज जमीन का टुकड़ा नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि जब हम वसुधैव कुटुंबकम की बात करते हैं तो उसका अर्थ बिल्कुल स्पष्ट है, हमें शांतिपूर्ण सहअस्तित्व (coexistence)में भरोसा कर आगे बढ़ने की बात करते हैं. हमारे लिए कोई भी मुल्क सिर्फ जमीन का टुकड़ा मात्र नहीं है. हम वो लोग हैं जो सभी तरह के विचारों को सम्मान देते हुए आगे बढ़ने की ना सिर्फ परिकल्पना करते हैं बल्कि विकास के लिए एक ऐसे वातावरण की हिमायत करते हैं जिसमें हर कोई आगे बढ़ सके. हमारे विचार किसी देश की तरक्की में बाधक नहीं बनते बल्कि हमारी सोच, कार्यपद्धति इस तरह का माहौल बनाने में मदद करते हैं जिसका फायदा समाज के हर एक तबके को हो चाहे उसका संबंध किसी भी मुल्क से हो.

मानव केंद्रित विकास जरूरी

भारत, ग्लोबल सप्लाई चेन, सतत विकास लक्ष्य, ग्लोबल साउथ, रचनात्मक कार्यसंस्कृति के साथ एक ऐसे ग्लोबल इकोसिस्टम पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में सोचता है. हमें यह देखना होगा कि हमारी कार्यपद्धति से किसी दूसरे मुल्क का अहित तो नहीं हो रहा. कोविड के बाद वैश्विक व्यवस्था में कई तरह के बदलाव हुए हैं. अब दुनिया के मुल्कों को यकीन हो रहा है कि सिर्फ हमें जीडीपी तक ही अपनी सोच को केंद्रित ना कर मानव विकास के लिए आगे बढ़ना होगा. ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूती प्रदान करते हुए एक दूसरे की मदद के लिए आगे आना होगा. इसके साथ ही वैश्विक संस्थानों में सुधार के जरिए बहुपक्ष को बढ़ावा देना होगा.

आर्टिकल में उन्होंने 2022 में इंडोनेशिया(indonesia g 20 2023 meeting) में जी 20 सम्मेलन का जिक्र भारत के संदर्भ में किया. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल जब हमने अध्यक्षता संभाली तो उस समय उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस संगठन की मानसिकता में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है. ग्लोबल साउथ और हाशिए पर पड़े अफ्रीकी देशों के बारे में भी सोचना होगा और उसी दिशा में वायस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का आयोजन किया गया जिसमें 125 देशों ने शिरकत की थी.

अफ्रीकी देशों पर जोर

भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी देशों ने अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी की थी. यही नहीं जी 20 में अफ्रीकन यूनियन को भी स्थाई सदस्य के तौर पर जोड़ने पर जोर दिया गया. पूरी दुनिया एक दूसरे से जुड़ी है ऐसे में कहीं भी अगर किसी तरह का बदलाव मानवीय जरूरतों के अनुसार ना हो तो उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. आज हम 21 वीं सदी के तीसरे दशक के मध्य में हैं और इस तरह की आशंका जताई गई है कि एसडीजी के गोल को हासिल करने वाले प्रयास बेपटरी हो चुके हैं. ऐसे में हमें 2023 में जी 20 के एक्शन प्लान में इन्हें शामिल करने के लिए रास्ता बनाना होगा.

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