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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अब खत्म हो गए हैं और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की दोबारा से ताजपोशी हो चुकी है. लेकिन राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच की कड़वाहट दूर नहीं हुई है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच लंब वक्त से ठनी हुई है.
ताजा मामले में ममता ने बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (West Bengal Governor) को भ्रष्ट आदमी करार दिया. ममता बनर्जी ने कहा कि 1996 के जैन हवाला मामले की चार्जशीट में जगदीप धनखंड का नाम आया था. ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्यपाल को हटाने के लिए तीन बार केंद्र सरकार को खत लिख चुकी हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर केंद्र सरकार को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि आरोप पत्र में राज्यपाल का नाम है, तो मैं उन्हें अभी बता रही हूं. उन्हें इसका पता लगाना चाहिए.’ममता ने राज्यपाल धनखड़ की हाल में हुई उत्तर बंगाल यात्रा के मकसद पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के उत्तरी हिस्से को विभाजित करने की साजिश रची जा रही है.
वहीं, राज्यपाल धनखड़ ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोप को निराधार बताते हुए ममता पर पलटवार भी किया. उन्होंने कहा कि महामारी के वक्त ममता बनर्जी ने अपने लोगों को रेबड़ी बांटी. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेरे खिलाफ कोई चार्जशीट नहीं है. इस तरह का कोई दस्तावेज नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है.
राज्यपाल ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए ममता के आरोपों का जवाब दिया और कहा कि भ्रष्टाचार पर वो चुप नहीं रहेंगे. राज्यपाल ने कहा कि उनके ऊपर हवाला केस में कोई चार्जशीट नहीं हैं, ममता शर्मनाक राजनीति कर रही हैं.
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राज्यपाल ने उलटे तृणमूल कांग्रेस के दो नेताओं के नामों का जिक्र किया, जो उस समय अन्य दलों के साथ थे और उनके नाम इस मामले में सामने आए थे. इससे पहले दिन में धनखड़ ने कहा था कि वह दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र के विकास की देखभाल करने वाले स्वायत्त निकाय गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के खातों का कैग द्वारा विशेष ऑडिट सुनिश्चित करेंगे, क्योंकि उन्हें इस संबंध में कई शिकायतें मिली हैं.
जैन हवाला मामला 1990 के दशक में एक बहुत बड़ा राजनीतिक और वित्तीय घोटाला था जिसमें हवाला के जरिए धन विभिन्न दलों के शीर्ष राजनीतिज्ञों को दिए जाने का दावा किया गया था. नामित लोगों में लालकृष्ण आडवाणी, वीसी शुक्ला, शरद यादव और कई अन्य शामिल थे. हालांकि, उनके खिलाफ लगाए गए आरोप कानूनी जांच में नहीं टिक पाये थे.