कोरोना वैक्सीन के नतीजे काफी शानदार, जानिए कब तक आपको मिल जाएगा टीका
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कोरोना वैक्सीन के नतीजे काफी शानदार, जानिए कब तक आपको मिल जाएगा टीका

रिपोर्ट के अनुसार भारत को बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव हैं. एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोरोना वायरस (Coronavirus) के लिए अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के वैक्सीन का परीक्षण तेज गति से आगे बढ़ रहा है, ऐसे में भारतीय बाजार में 2021 की शुरुआत में एक स्वीकृत वैक्सीन उपलब्ध हो जाने की उम्मीद बढ़ रही है. बर्नस्टीन ने एक रिपोर्ट में ये कहा है.

  1. चार वैक्सीनों पर हो रहा तेजी से काम
  2. 225 से 550 रुपये तक हो सकती है वैक्सीन की कीमत
  3. भारत के लिए 40 से 50 करोड़ वैक्सीन की खुराक उपलब्ध होंगी​

चार वैक्सीनों पर हो रहा तेजी से काम
इस समय वैश्विक स्तर पर चार संभावित वैक्सीन हैं, जिन्हें 2020 के अंत तक या 2021 की शुरुआत में स्वीकृति मिल जाने का अनुमान हैं. इनमें से दो वैक्सीन ‘एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड का वायरल वेक्टर वैक्सीन' और 'नोवावैक्स का प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन’ के लिए भारत की भागीदारी की हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार, ‘इन दोनों टीकों के लिए सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की क्षमता बढ़ाने में पहले व दूसरे चरण के परीक्षण भरोसेमंद लगते हैं. हम इस बारे में आशावादी हैं कि भारत में 2021 की पहली तिमाही में बाजार में एक स्वीकृत वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगा.’

वैक्सीन की कीमत
बर्नस्टीन ने कहा कि वैक्सीन की कीमत प्रति खुराक तीन से छह डॉलर (225 से 550 रुपये) हो सकती है और क्रियांवयन की दिक्कतों के कारण सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित होने में दो साल लग सकते हैं. इसका कारण व्यापक स्तर पर टीकाकरण के मामले में कम अनुभव होना है.

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रिपोर्ट के अनुसार भारत को बड़े स्तर पर टीकाकरण के दो अनुभव हैं. एक 2011 का पोलिया उन्मूलन अभियान और दूसरा हालिया सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई), लेकिन इनका स्तर कोविड-19 के लिए अपेक्षित स्तर का एक तिहाई भर था.

भारत के सामने होंगी चुनौतियां
बर्नस्टीन ने कहा कि कोल्ड स्टोर्स की संख्या और कुशल श्रम की कमी दो बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं. यदि ये भी मानकर चलें कि क्रियांवयन की गति पहले की तुलना में दो गुना होगी, तब भी सरकारी कार्यक्रम के अमल में आने में 18 से 20 महीने लगेंगे.

उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि शुरुआत में वैक्सीन स्वास्थ्यकर्मियों और 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों आदि जैसे संवेदनशील वर्ग को उपलब्ध करवाए जाएंगे. इसके बाद वैक्सीन आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों और आर्थिक रूप से गरीब लोगों को दिया जा सकता है.’

रिपोर्ट के अनुसार नोवावैक्स का वैक्सीन एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड वाले की तुलना में बेहतर परिणाम दे रहा है. दोनों ने पहले दो चरणों में अच्छे परिणाम दिए हैं और अब तीसरे चरण में हैं. इसके लिए एक व्यक्ति को 21 से 28 दिन के अंतराल में दो खुराक देने की जरूरत होगी.

वैक्सीन की एक अरब खुराक बनाने में भारत सक्षम
बर्नस्टीन ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पहले वैक्सीन को पेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड और नोवावैक्स दोनों के साथ उनके संभावित टीके के उत्पादन का करार किया है. उसके पास प्रोटीन सब यूनिट और वायरल वेक्टर दोनों तरह के वैक्सीन के उत्पादन की क्षमता है. जरूरत पड़ने पर दोनों की प्रकार की क्षमताओं को बदलकर किसी एक को और बढ़ा जा सकता है. हमें विनिर्माण के मोर्चे पर कोई अवरोध नहीं दिखाई देता है.

उन्होंने कहा, ‘सीरम इंस्टीट्यूट एक अरब खुराक की अतिरिक्त क्षमता पर भी काम कर रहा है. हमारा अनुमान है कि वो 2021 में 60 करोड़ खुराक और 2022 में एक अरब खुराक बना सकेंगे. इनमें से 2021 में भारत के लिए 40 से 50 करोड़ खुराक उपलब्ध होंगी.’

इसके अलावा भारत की तीन कंपनियां जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई भी अपने-अपने वैक्सीन पर काम कर रही हैं. ये वैक्सीन पहले और दूसरे चरण के परीक्षण में हैं.

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