SC News:याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि मामले में निजता का उल्लंघन किया गया और उच्च न्यायालय का आदेश गलत है.
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Caste Survey: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार सरकार को उसके जाति आधारित सर्वेक्षण के और आंकड़ें प्रकाशित करने से रोकने से इनकार करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह राज्य सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकता है. जस्टिस संजय खन्ना और जस्टिस एस एन भट्टी ने पटना हाईकोर्ट के 1 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक औपचारिक नोटिस जारी किया. उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति सर्वेक्षण की मंजूरी दी थी.
आपत्तियों को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उन आपत्तियों को खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने कुछ आंकड़ें प्रकाशित कर स्थगन आदेश की अवहेलना की और मांग की कि आंकड़ों को प्रकाशित किए जाने पर पूर्ण रोक लगाने का आदेश दिया जाना चाहिए. बेंच ने कहा, ‘हम अभी किसी चीज पर रोक नहीं लगा रहे हैं. हम राज्य सरकार या किसी भी सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकते. यह गलत होगा...हम इस सर्वेक्षण को कराने के राज्य सरकार के अधिकार से संबंधित अन्य मुद्दे पर गौर करेंगे.’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि मामले में निजता का उल्लंघन किया गया और उच्च न्यायालय का आदेश गलत है.
निजता के उल्लंघन की दलील सही नहीं: SC
इस पर पीठ ने कहा कि चूंकि किसी भी व्यक्ति का नाम तथा अन्य पहचान प्रकाशित नहीं की गयी है तो निजता के उल्लंघन की दलील संभवत: सही नहीं है. न्यायालय ने कहा, ‘अदालत के लिए विचार करने का इससे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा आंकड़ों का विवरण और जनता को इसकी उपलब्धता है.’
बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दो अक्टूबर को अपने जाति सर्वेक्षण के आंकड़ें जारी कर दिए थे. इन आंकड़ों से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी में 63 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की है.
(इनपुट: भाषा)