Sawan Kanwar Yatra: माता-पिता को कांवड़ में लेकर देवघर चला बेटा, लोग बोले- वाह श्रवण कुमार
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Sawan Kanwar Yatra: माता-पिता को कांवड़ में लेकर देवघर चला बेटा, लोग बोले- वाह श्रवण कुमार

Sawan Kanwar Yatra: सुल्तानगंज गंगा घाट पर गंगा स्नान के बाद अपने माता-पिता को कांवड़ मे बैठाकर चन्दन और उनकी पत्नी रानी देवी बाबा भोलेनाथ की नगरी देवघर के लिए निकले हैं. 

Sawan Kanwar Yatra: माता-पिता को कांवड़ में लेकर देवघर चला बेटा, लोग बोले- वाह श्रवण कुमार

भागलपुर: Sawan Kanwar Yatra: सावन का पवित्र माह चल रहा है. इस वक्त लाखों शिवभक्त, शिवालयों की कांवड़ लेकर चल पड़ रहे हैं. देवालयों की ओर जाने वाली राह पर हर-हर महादेव का जयघोष गूंज रहा है. इसी बीच भागलपुर के चंदन कुमार की चर्चा चारों ओर हो रही है. चंदन भी शिव-शंभू के द्वार पर जा रहे लाखों की भीड़ में से एक हैं, लेकिन उनकी खासियत उन्हों लाखों में एक बना रही है. दरअसल चंदन के कांधे पर जो कांवड़ है, वह सामान्य नहीं है, बल्कि बहुत विशेष है. असल में चंदन ने अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर तीर्थयात्रा कराने का संकल्प लिया है. इस संकल्प में उनकी पत्नी बराबर की सहयोगी बन हुई हैं. आधुनिक युग के इस श्रवण कुमार को जो भी देखता है तो वाह कर उठता है. इसी वजह से सुल्तानगंज से लेकर देवघर के रास्ते तक चंदन की ही चर्चा है. 

सुल्तानगंज से उठाई कांवड़
जानकारी के मुताबिक, जहानाबाद के रहने वाले चंदन कुमार अपने माता-पिता को तीर्थ कराने निकले हैं. कलियुग में श्रवण कुमार बनकर वह उन्हें कांवड़ में बिठाकर यात्रा कर रहे हैं. सुल्तानगंज गंगा घाट पर गंगा स्नान के बाद अपने माता-पिता को कांवड़ मे बैठाकर चन्दन और उनकी पत्नी रानी देवी बाबा भोलेनाथ की नगरी देवघर के लिए निकले हैं. मौके पर मौजूद सभी लोग यह नजारा देख हैरान रह गए. वहीं कुछ पुलिस जवानों ने सहारा देकर उनकी कांवड़ उठाने में मदद भी की. 

108 किमी क्षेत्र में एशिया का सबसे लंबा मेला
बाबाधाम देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक जो देवघर में है. झारखंड के देवघर में स्थित इस मनोकामना ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है. यह सिलसिला रोजाना सुबह 4 बजे से शुरू होता है जो रात 10 तक चलता रहा है. गौर हो कि बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तर वाहिनी गंगा से लेकर झारखंड के देवघर स्थित बाबाधाम तक 108 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में यह एशिया का सबसे लंबा मेला माना जाता है.

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