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सुपौल:Bihar News: कोसी नदी के जलस्तर में भले ही कम हो गया हो लेकिन सुपौल जिले के कोसी तटबंध के आस पास रहने वाले की जिंदगी अभी भी बेदम बनी हुई है. इलाके में 15 जून से ही बाढ़ की शुरुआत हो चुकी है. जिला प्रशासन अब तक कहीं नजर नहीं आ रही है. कोसी तटबंध के इलाकों में ना तो अब तक सरकारी नाव का इंतजाम किया जा सका है और ना ही कोसी यहां रहने वाले लोगों के लिए बाढ़ अवधि के दौरान शिविरों का व्यवस्था किया गया है. हालांकि कागजों पर जिला प्रशासन ने सारी व्यवस्था कर रखी है
1,83000 क्यूसेक तक पहुंचा जलस्तर
इलाके के लोगों का आरोप है कोशी नदी ने अब तक ढाई सौ ज्यादा घर कोशी नदी मे समा चुके हैं. सरकारी आकड़ो में 157 घर कोसी नदी में विलीन हो चूका है मगर कटाव पीड़ितों को किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करवाया गया है. कटाव पीड़ित सरकार से राहत कि मांग कर रहे हैं. बता दें कि सरकारी कैलेंडर के अनुसार 1 जून से लेकर 31 अक्टूबर तक कोसी तटबंध के भीतर बाढ़ की अवधि निर्धारित की गई है. 1 महीने 6 दिनों के दौरान कोशी नदी का जलस्तर सबसे अत्यधिक 1,83000 क्यूसेक तक पहुंच गया है.
250 से ज्यादा नदी में विलीन
सरकारी आंकड़ों के अनुसार किशनपुर प्रखंड के विभिन्न गांव में 138 घर कोसी नदी के कटाव से नदी में विलीन हो गया है. वहीं मरौना प्रखंड में विभिन्न गांवो मे 19 घर कोसी नदी में विलीन हो चूका है यह आंकड़े सिर्फ सरकारी हैं मगर सरकारी आंकड़ों से इतर की ढाई सौ ज्यादा घर कोसी नदी में समा चुके हैं. बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि कोसी नदी के जलस्तर में घर विलीन हुआ है बल्कि हर साल कोसी नदी कई घरों को निगल जाती है.
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बाढ़ के दौरान किसानों की मुंग और मकई की फसल भी बर्बाद हो गई है. मगर अब तक बर्बाद हुए फसलों का आंकड़ी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुआ है. किसानों की मांग है कि सरकार उनकी मांगों को सुनकर विचार करे. कोशी तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों का कहना है कि सरकारी स्तर पर नाव की व्यवस्था की जाए ताकि लोगों को आवागमन में सुविधा हो.