Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में सेध की जांच से मास्टरमाइंड ललित झा द्वारा रची गई योजना की एक छिपी हुई परत उजागर हुई है.
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नई दिल्ली: Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में सेध की जांच से मास्टरमाइंड ललित झा द्वारा रची गई योजना की एक छिपी हुई परत उजागर हुई है. जांच से जुड़े सूत्रों ने खुलासा किया कि प्रारंभिक प्रयास विफल होने की स्थिति में अपराधियों के पास एक बैकअप योजना तैयार थी.
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आधिकारिक सूत्रों ने खुलासा किया कि संसद के बाहर तैनात नीलम और अमोल, रंगीन धुएं के कनस्तरों से लैस, प्रारंभिक साजिश का हिस्सा थे. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी आकस्मिकताओं के लिए तैयार थे.
सूत्रों ने कहा, "उन्होंने दो और लोगों के साथ अपना 'प्लान बी' तैयार रखा था, जो रणनीतिक रूप से संसद के पास इंतजार कर रहे थे."
पूरी साजिश के पीछे के मास्टरमाइंड के रूप में पहचाने जाने वाले झा कथित तौर पर महेश और कैलाश के साथ संसद के बाहर मौजूद थे, दोनों को अब पुलिस ने पकड़ लिया है और मामले में उनसे पूछताछ की जा रही है.
झा गुरुवार को महेश के साथ कर्तव्य पथ थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद दोनों को जांच के लिए दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ले जाया गया. झा को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि महेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. पूछताछ के दौरान, कैलाश की संलिप्तता सामने आई, जिसके कारण उसे हिरासत में लिया गया.
सूत्रों ने आगे बताया कि यदि नीलम और अमोल संसद भवन के आसपास तक नहीं पहुंच पाते या सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उन्हें रोक लिया गया होता, तो बैकअप योजना (प्लान बी) में महेश और कैलाश को कार्यभार सौंपा गया था.
सूत्रों ने कहा, "वे अपने विरोध को व्यक्त करने के वैकल्पिक तरीके के रूप में मीडिया प्रतिनिधियों के सामने पटाखे और रंगीन गैस कनस्तर फोड़ने के लिए तैयार थे."
घटना के बाद, मूल रूप से बिहार से संबंध रखने वाले पश्चिम बंगाल निवासी झा ने दिल्ली से भागकर राजस्थान में शरण ली. उसने महेश के साथ राजस्थान के एक होटल में एक दिन बिताया.
सूत्र यह भी बताते हैं कि स्पेशल सेल सक्रिय रूप से जांच कर रही है कि क्या घटना में केवल छह से सात व्यक्ति शामिल थे या और लोग भी उनकी मदद कर रहे थे.
दिल्ली की एक अदालत ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले के कथित मास्टरमाइंड ललित झा को शुक्रवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया. दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया, "वह मास्टरमाइंड है. हमें पूरी साजिश और घटना के पीछे के मुख्य मकसद का पता लगाने के लिए उसकी हिरासत की जरूरत है. हमें यात्रा करने और उसे विभिन्न शहरों और स्थानों पर ले जाने की जरूरत है. हमें मोबाइल डिवाइस भी बरामद करने के लिए उसकी हिरासत की जरूरत है."
एक सूत्र ने कहा, "ललित झा ने जल्दबाजी में भागने से पहले अपनी योजना को अंजाम देने से ठीक पहले व्यक्तिगत रूप से चारों आरोपियों के मोबाइल फोन ले लिए."
सूत्रों ने बताया कि संसद सुरक्षा उल्लंघन के आरोपियों में से एक झा ने संसद के बाहर दो आरोपियों द्वारा किए गए पूरे विरोध-प्रदर्शन का वीडियो शूट किया था और इसे एक युवक के साथ साझा किया था, जो कोलकाता में एक गैर सरकारी संगठन (सामयाबादी सुभाष सभा) से जुड़ा है.
सूत्रों ने कहा, "संसद के बाहर और अंदर पकड़े गए चारों आरोपियों ने अपने मोबाइल फोन बिहार के रहने वाले ललित झा को सौंप दिए थे. वह भी संसद के बाहर मौजूद था और जब उसके साथियों को पकड़ा गया तो वह फोन से भरा बैग लेकर भाग गया. ऐसा प्रतीत होता है कि उसे भी किसी अन्य व्यक्ति से फोन लेकर वहां से भागने के निर्देश मिले थे.''
पश्चिम बंगाल पुलिस ने यह देखने के लिए जांच शुरू कर दी है कि झा से संबंध रखने वाले एनजीओ का माओवादियों से कोई संबंध है या नहीं. माओवादी संबंधों पर आशंका तब उभरी जब यह पता चला कि गैर सरकारी संगठन - सम्यवादी सुभाष सभा कभी माओवादियों के गढ़ रहे पुरुलिया जिले के तुनतुरी जिले में एक मुफ्त कोचिंग सेंटर चलाती है. पश्चिम बंगाल में झा के परिचित निलक्खा आइच को एनजीओ के संस्थापक सदस्यों में से एक कहा जाता है.
ललित झा का एक और बंगाल कनेक्शन सामने आया
कोलकाता के एक प्रतिष्ठित कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र और पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले के हलिसहर निवासी निलक्खा आइच के बाद संसद की सुरक्षा में सेंध के पीछे के मास्टरमाइंड ललित झा का एक और बंगाल कनेक्शन सामने आया है. दिल्ली पुलिस द्वारा पश्चिम बंगाल में अपने समकक्षों के साथ साझा की गई जानकारी के अनुसार, राज्य के एक अन्य व्यक्ति का नाम गैर-सरकारी संगठन, साम्यवादी सुभाष सभा के व्हाट्सएप ग्रुप में सामने आया है, जहां झा पर्दे के पीछे से काफी सक्रिय था. बंगाल राज्य के जिस दूसरे व्यक्ति का नाम इस प्रक्रिया में सामने आया है वह सायन पाल है जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता से सटे हावड़ा जिले का निवासी है. यह सुनने के बाद कि उनका नाम सामने आया है, पाल ने मीडिया के एक वर्ग को बताया कि यद्यपि वह उक्त समूह का सदस्य बना था, लेकिन झा के साथ उसका कभी किसी प्रकार का परिचय या बातचीत नहीं हुई.
पाल के अनुसार, चूंकि उन्हें स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर शोध करने में गहरी दिलचस्पी थी, इसलिए वह समूह के सदस्य बन गए.
पाल ने कहा, "यह 500 सदस्यीय समूह है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि समूह का एक सदस्य संसद सुरक्षा में सेंध जैसी अनैतिक गतिविधि में शामिल हो गया, जिसके लिए समूह के अन्य निर्दोष सदस्य भी किसी तरह की परेशानी में पड़ गए हैं." .
शुरुआती जांच से पता चला है कि झा ग्रुप में कम ही बातचीत करते थे, लेकिन उनका मुख्य काम वहां समान विचारधारा वाले युवाओं को जोड़ना था. पहले से ही, एनजीओ अपने संभावित माओवादी संबंधों के लिए जांच अधिकारियों के रडार पर आ गया है.
(इनपुट-आईएएनएस)