सड़कों पर गाने को मजबूर है दिव्यांग मकसूद, कभी इंडियन आइडल का रहे थे हिस्सा
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सड़कों पर गाने को मजबूर है दिव्यांग मकसूद, कभी इंडियन आइडल का रहे थे हिस्सा

बोकारो के रहने वाले दिव्यांग मोहम्मद इन दिनों सड़कों पर गाते हुए नजर आ रहे हैं. मोहम्मद मकसूद ने साल 2017 में इंडियन आइडल में भाग लिया था और उसी से अपनी पहचान बनाई थी. हालांकि वह बीते कुछ समय से अपना घर चलाने के लिए सड़क किनारे गाना गाकर गुजारा कर रहे हैं. 

(फाइल फोटो)

Bokaro: झारखंड के बोकारो के रहने वाले दिव्यांग मोहम्मद इन दिनों सड़कों पर गाते हुए नजर आ रहे हैं. मोहम्मद मकसूद ने साल 2017 में इंडियन आइडल में भाग लिया था और उसी से अपनी पहचान बनाई थी. हालांकि वह बीते कुछ समय से अपना घर चलाने के लिए सड़क किनारे गाना गाकर गुजारा कर रहे हैं. साथ ही लोगों को एंटरटेन कर रहे हैं. जिसके कारण स्थानीय लोग मकसूद की आर्थिक सहायता करते हैं. उसी सहायता के चलते वह अपने घर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं.  

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मकसूद
साल 2017 में मकसूद इंडियन आइडल के मंच पर नजर आए थे. वह इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और अपनी कला का प्रदर्शन वह सड़को पर कर रहे हैं. मोहम्मद मकसूद बोकारो के गोमिया के झिड़की के रहने वाले है. जो कि बोकारो के चौक चौराहों पर गाना गाते हुए दिखाई दिए हैं. लोग उनके गाने को सुनकर रास्ते में थम जाते हैं. जिसके बाद लोग उन्हें मदद के तौर पर पैसे भी दे जाते हैं. लोग उनकी सुरीली आवाज सुनकर मंत्र मुग्ध हो जाते हैं. 
मकसूद का कहना है कि अगर उन्हें सही प्लेटफार्म मिलता तो गायन के क्षेत्र में झारखंड और बोकारो समेत पूरे देश भर का नाम रोशन करते. 

24 राउंड तक पहुंचे थे
उन्होंने बताया कि रांची के एक होटल में इंडियन आइडल के लिए उनका चयन हुआ था. जिसके बाद वे वहां से मुम्बई गए थे. मकसूद 24 राउंड तक पहुंचे थे. हालांकि उसके बाद शो के मेंटर सुरेश वाडेकर उन्हें अपने घर ले गए. जिसके बाद वाडेकर ने उन्हें गायकी सिखाई. लेकिन इसी दौरान कोरोना आ गया और मकसूद को मुंबई से वापस बोकारो भेज दिया गया. लेकिन उसके बाद से वाडेकर से मकसूद का संपर्क टूट गया है. वहां से दोबारा कोई कॉल नहीं आया है. 

झारखंड सरकार से लगाई मदद की गुहार
मकसूद ने बताया कि घर में उसकी पत्नी दो साल का बेटा और माता पिता हैं. जिसकी जिम्मेदारी उनके ऊपर है. इसलिए परिवार का भरण पोषण करने के लिए मकसूद सड़कों पर गाने को मजबूर हैं. वहीं मकसूद ने बताया लोग गाना सुनकर खुश होकर थोड़े बहुत पैसे दे जाते हैं. जिससे वो जैसे तैसे गुजारा कर रहे हैं. मकसूद ने झारखंड सरकार से आर्थिक सहायता मांगी है. साथ ही उन्होंने सरकार से नौकरी की भी मांग की है. मकसूद का कहना है कि वह दिव्यांगों के लिए संगीत अकादमी खोलना चाहते हैं, जिससे दिव्यांग आत्मनिर्भर बन सके. 

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