Bihar Politics: 'दही-चूड़ा' भोज के बहाने चढ़ गई ‘सियासी खिचड़ी’, क्या अब सियासत करवट लेने वाली है?
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Bihar Politics: 'दही-चूड़ा' भोज के बहाने चढ़ गई ‘सियासी खिचड़ी’, क्या अब सियासत करवट लेने वाली है?

Bihar Politics: बिहार की राजनीति हमेशा से तीज-त्योहारों के इर्द-गिर्द ही चली है. 2022 में नीतीश कुमार लालू यादव की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे. इफ्तार की दावत का ऐसा असर हुआ कि लालू-नीतीश ने मिलकर बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया था. अब एक खिचड़ी पर दही-चूड़ा भोज को लेकर काफी चर्चा हो रही है. 

फाइल फोटो

Bihar Politics: बिहार की राजनीति हमेशा तीज-त्योहारों के इर्द-गिर्द ही चलती दिखाई देती है. अब मकर संक्रांति का 'दही-चूड़ा’ भोज पर सभी की निगाहें टिकी हैं. 'दही-चूड़ा' खाने के बाद क्या बिहार में सियासत करवट लेने वाली है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि राज्य का सियासी पारा पहले से ही चढ़ा हुआ है. इंडी अलायंस के संयोजक नहीं बनाए जाने पर नीतीश कुमार अब नाराज चल रहे हैं. दूसरी ओर सीट शेयरिंग का पेंच भी नहीं सुलझ पा रहा है. ऐसे में दलों की ओर से सियासी खिचड़ी चढ़ा दी गई है अब इसमें कौन सा तड़का लगेगा, ये आने वाला वक्त बताएगा.

विधानसभा में नेता-प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने शुक्रवार (12 जनवरी) को अपने आवास पर 'दही-चूड़ा भोज' का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी शामिल हुए. इस भोज में अगर चूड़ा दही परोसा गया तो आगंतुकों ने खिचड़ी का भी स्वाद चखा. इसके अलावा बीजेपी के नेता और पूर्व मंत्री नितिन नवीन आज यानी शनिवार (13 जनवरी) को चूड़ा दही के भोज का आयोजन किया. वहीं  बीजेपी कार्यालय में 15 जनवरी को 'दही-चूड़ा भोज' का आयोजन किया जाएगा. इसका आयोजन भाजपा किसान मोर्चा की ओर से किया जाएगा. 

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उधर जदयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन की ओर से भी आज (13 जनवरी) को 'दही-चूड़ा' के भोज का आयोजन कर रहे हैं. इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार के अलावा पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं के मौजूद रहने की संभावना है. वहीं राजद की ओर से राबड़ी आवास में 14 जनवरी को दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया जाएगा. कहा जा रहा है कि लालू यादव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. लालू यादव का दही-चूड़ा भोज हमेशा से बिहार की सियासत को नए रूप देता रहा है. इस कार्यक्रम में भी कई दलों के नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इंडी गठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच यहां सुलझाया जा सकता है.

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