Inside Story: नीतीश कुमार ने क्यों इंडिया के संयोजक का पद ठुकराया, आखिर ऐसी क्या रही मजबूरी
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2060906

Inside Story: नीतीश कुमार ने क्यों इंडिया के संयोजक का पद ठुकराया, आखिर ऐसी क्या रही मजबूरी

Bihar Politics: शनिवार (13 जनवरी) को हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में सीपीआई एम महासचिव सीताराम येचुरी ने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा. इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ममता बनर्जी नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने के खिलाफ हैं. इसके बाद नीतीश कुमार ने संयोजक पद लेने से इनकार कर दिया. 

फाइल फोटो

Inside Story: नीतीश कुमार ने इंडिया ब्लॉक का संयोजक बनने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे इंडिया ब्लॉक के अध्यक्ष बन गए हैं, जिसके बारे में जी न्यूज ने सबसे पहले आपको सूचना दे दी थी. जी न्यूज ने 3 जनवरी को प्रकाशित खबर में यह स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस नीतीश कुमार को फ्री हैंड देने नहीं जा रही है. अगर नीतीश कुमार को संयोजक बनाना भी पड़ा तो कांग्रेस अध्यक्ष पद अपने पास रखेगी और संयोजक का पद नीतीश कुमार को सौंपेगी. हुआ भी यही, लेकिन नीतीश कुमार ने ऐन मौके पर संयोजक का पद लेने से इनकार कर दिया. अब आइए, इसकी इनसाइड स्टोरी आपको बताते हैं. 

दरअसल, शनिवार को हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में सीपीआई एम महासचिव सीताराम येचुरी ने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा. इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ममता बनर्जी नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने के खिलाफ हैं. इसके बाद नीतीश कुमार ने संयोजक पद लेने से इनकार कर दिया. अब ये अलग कहानी है कि ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार के नाम पर सहमति क्यों नहीं जताई. पहले इस बात पर फोकस कर लेते हैं कि नीतीश कुमार ने पद लेने से इनकार क्यों कर दिया. 

दरअसल, आज की तारीख में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 16 सांसद हैं. जेडीयू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 में उसे जीत हासिल हुई थी. अब जेडीयू 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इतनी ही सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. जेडीयू का कहना है कि 17 सीटों पर वह चुनाव लड़ेगी, बाकी कांग्रेस और वामदल को कितनी सीटें देनी है, यह राजद अपना तय कर ले. साफ बात है कि नीतीश कुमार की पार्टी अपनी 17 सीटों पर किसी तरह का समझौता करना नहीं चाहती. 

ये भी पढ़ें- नीतीश अगर वापस आते हैं तो BJP को फायदा होगा या नुकसान, फिर NDA का स्वरूप क्या होगा?

उधर, वामदलों ने 5 सीटों पर दावा ठोका है तो कांग्रेस भी बिहार में 9 से 10 सीटें लेने की फिराक में है. अब नीतीश कुमार के इस पैंतरे से लालू प्रसाद के माथे पर बल पड़ गए हैं. नीतीश कुमार को मनाने के लिए राजद और कांग्रेस कई तरह की कवायद कर रहे हैं. तभी तो 4 साल बाद लालू प्रसाद यादव को खिचड़ी पर दही चूड़ा भोज का आयोजन करना पड़ा. नीतीश कुमार मानते हैं या नहीं, यह अलग कहानी बनेगी. फिलहाल नीतीश कुमार अपनी बातों पर कायम हैं. 

जहां तक संयोजक न बनने की बात है, तो यह फैसला भी नीतीश कुमार ने सोच समझकर ही लिया है. अगर नीतीश कुमार संयोजक बन जाते तो दलों के बीच सुलह, सीट शेयरिंग या फिर कोई मसला सुलझाने की जिम्मेदारी संयोजक की होती. अगर वे संयोजक बन जाते तो बिहार में कांग्रेस, राजद और वामदलों को राजी करने की जिम्मेदारी उनकी होती. अगर ऐसा होता तो संभव था कि नीतीश कुमार को अपनी सीटों में से समझौता करना पड़ता, जो वे करना नहीं चाहते.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार मतलब नंबर-1! CM ने INDIA का संयोजक न बनकर लालू यादव की नींद उड़ाई

संयोजक पद स्वीकार करने के बाद नीतीश कुमार के पास पलटी मारने वाला विकल्प भी खत्म हो जाता और भाजपा की ओर से दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाते. अभी नीतीश कुमार के पास यह विकल्प है कि या तो चुनाव से पहले या फिर चुनाव के बाद वे भाजपा के पाले में जा सकते हैं. संयोजक पद पर रहते ऐसा करना संभव नहीं होता.

Trending news