Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में सरकार ने नहीं बनवाया पुल तो ग्रामीणों ने बना डाला देशी ब्रिज
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Muzaffarpur News: मुजफ्फरपुर में सरकार ने नहीं बनवाया पुल तो ग्रामीणों ने बना डाला देशी ब्रिज

Muzaffarpur News: लोगों का कहना है कि जब चुनाव का समय आता है तो नेताजी आते हैं, पुल बनवाने का आश्वाशन देते हैं और वोट लेकर चले जाते हैं. उसके बाद उनका पुल का सपना सपना ही रह जाता है. 

गांववालों ने बनाया जुगाड़ पुल

Muzaffarpur News: बिहार में लगातार टूट रहे पुलों पर सरकार घिरी हुई है. ऐसे में शायद अधिकारी नए पुल बनाने का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. तभी तो मुजफ्फरपुर में बागमती नदी के किनारे बसे सैकड़ों गांवों को बिना पुल के छोड़ दिया गया है. गांववाले सरकारी अफसरों से पुल बनवाने की गुहार लगाते-लगाते थक गए तो अब खुद ही जुगाड़ू पुल का निर्माण कर डाला. ये घटना है कि बाढ़ प्रभावित औराई के बहनगांवा पश्चिमी गांव की. यहां ग्रामीणों ने आने जाने में हो रही कठिनाई को देखते हुए बागमती नदी के उप धारा पर देशी पुल ही बना डाला है. बांस से बनाए गए चचरी पुल पर लोग फर्राटे मार कर चल रहे हैं.

लोगों का कहना है कि उनका गांव बागमती नदी के मुख्य धारा और उप धारा के बीच में हैं. जिससे उन्हें ओराई प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ता है. ऐसे में उनके बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती है. अगर गांव मे कोई बीमार पड़ जाए तो अस्पताल पहुंचना मुश्किल होता है. गांव में एंबुलेंस आ नहीं पाती तो मरीज को खाट पर लाद कर अस्पताल ले जाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जब बागमती नदी में पानी बढ़ जाता है तो गांव वाले निजी नांव के सहारे आवागमन करना पड़ता है. कभी किसी साल सरकार की तरफ से नाव मिल जाती है तो उन्हें सहुलित होती है. 

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लोगों का कहना है कि जब वोट का समय आता है तो नेताजी आते हैं, पुल बनवाने का आश्वाशन देते हैं और वोट लेकर चले जाते हैं. उसके बाद उनका पुल का सपना सपना ही रह जाता है. इसी तरह से बेतिया के नरकटियागंज के शिकारपुर गांव में युवाओं ने चंदा करके पुल की मरम्मत का काम शुरू करा दिया है. दरअसल, यहां बीती 29 जून को पुल ध्वस्त हो गया था. जिसके कारण दर्जनों गांवों का संपर्क टूट गया था. ग्रामीणों ने अधिकारियों से पुल की मरम्मत कराने की अपील की थी, लेकिन अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेगी. जिसके बाद गांववालों ने खुद ही पुल का निर्माण कराने की जिम्मेदारी उठाई. 

इनपुट - मणितोष कुमार

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