पंचायत से संसद तक चलेगा 'ऑपरेशन लोटस', कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में जुटी भाजपा
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पंचायत से संसद तक चलेगा 'ऑपरेशन लोटस', कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में जुटी भाजपा

इसी महीने तेलंगाना के हैदराबाद में हुए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने यह दावा किया कि देश में अगले 30-40 साल तक भाजपा का युग रहेगा.

देश के ज्यादातर क्षेत्रीय दलों में परिवार का ही वर्चस्व है.

पटना: दो लोक सभा सदस्यों के साथ शुरू हुई भाजपा की राजनीतिक यात्रा राम मंदिर आंदोलन, अटल बिहारी के गठबंधन युग, ऑपरेशन कमल, लगातार चुनावी विजय की यात्रा और कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के पड़ावों से गुजरते हुए विपक्ष मुक्त भारत बनाने के अभियान तक पहुंच गई है.

मध्य प्रदेश के बाद महाराष्ट्र और अब गोवा प्रकरण को लेकर विपक्षी दल लगातार भाजपा पर हमला करते हुए विपक्ष को डराने और दबाने का आरोप लगा रहे हैं. इन आरोपों पर बात करते हुए महाराष्ट्र से जुड़े भाजपा के एक नेता ने कहा कि लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विपक्ष का होना बहुत जरूरी होता है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि विपक्ष को भी मजबूत बनाने की जिम्मेदारी भाजपा की ही है. उन्होंने कहा कि अपनी गलतियों की वजह से विपक्षी राजनीतिक दल बिखरते जा रहे हैं तो इसमें भला भाजपा क्या कर सकती है?

आपको याद दिला दें कि, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को अक्सर यह कहा करते थे कि अब वक्त आ चुका है कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक पूरी शासन व्यवस्था भाजपा के हाथ में हो. शाह उस समय, उदाहरण देते हुए यह कहा करते थे कि देश की आजादी के बाद शुरूआत के कुछ दशकों के दौरान पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक की व्यवस्था कांग्रेस के हाथ में थी और अब भाजपा का समय आ गया है. भाजपा कार्यकर्ताओं से मेहनत करने का आह्वान करते हुए शाह यह भी कहा करते थे कि भाजपा कार्यकर्ताओं को 50 साल तक पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक विजय के बारे में सोचना चाहिए.

2019 के लोक सभा चुनाव के बाद अमित शाह देश के गृह मंत्री बन गए और जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लेकिन भाजपा लगातार अपने मिशन में जुटी रही, चुनाव दर चुनाव जीतती रही. इसी महीने तेलंगाना के हैदराबाद में हुए पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने यह दावा किया कि देश में अगले 30-40 साल तक भाजपा का युग रहेगा.

2014 लोक सभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की तरफ से उस समय प्रधानमंत्री के पद के लिए उम्मीदवार बनाए गए नरेंद्र मोदी ने पहली बार कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के नारे का इस्तेमाल किया था जो आगे चलकर भाजपा के तमाम नेता अपने भाषणों और रैलियों में बोलते नजर आए. इस लोक सभा चुनाव में जीत हासिल कर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. उस समय पार्टी की कमान संभाल रहे राजनाथ सिंह को मोदी ने अपनी सरकार में गृह मंत्री बनाया और पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव और अपने सबसे करीबी अमित शाह को भाजपा का अध्यक्ष.

कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को साकार करने के लिए नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने जमकर काम किया. सरकार और भाजपा पार्टी दोनों ने मिलकर ऐसी रणनीति बनाई कि भाजपा एक के बाद एक चुनाव जीतने लगी और आज कांग्रेस की हालत यह हो गई है कि सिर्फ दो राज्यों - राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही उसकी अपनी सरकारें बची हैं. कांग्रेस आज संसद में भी कमजोर है और देश भर की विधानसभाओं में भी कमजोर है. भाजपा 2023 में कांग्रेस को राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता से भी बाहर करने की योजना पर काम कर रही है.

लेकिन भाजपा यहीं थमती नजर नहीं आ रही है. भाजपा का सबसे बड़ा सपना अभी अधूरा है और वो सपना है दक्षिण भारत के राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी भगवा लहराना. तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी विस्तार के लिए भाजपा जोर-शोर से प्रयास कर रही है और इसलिए हैदराबाद की कार्यकारिणी में परिवारवाद और वंशवाद जैसी तमाम पार्टियों पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद को लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अभिशाप तक बता डाला था.

साफ जाहिर है कि कांग्रेस की हालत पस्त करने के बाद अब भाजपा क्षेत्रीय दलों से भी दो-दो हाथ करने को तैयार है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना से एकनाथ शिंदे को तोड़कर उन्हीं की पार्टी के विधायकों के बल पर मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं और अन्य दलों के असंतुष्ट नेताओं को इशारा भी दे दिया है.

दरअसल, यह बात सही है कि देश के ज्यादातर क्षेत्रीय दलों में परिवार का ही वर्चस्व है और लगभग हर राजनीतिक दल में शिंदे की तरह जनाधार वाले असंतुष्ट नेता भी हैं. हाल ही में भाजपा के तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष बी. संजय कुमार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर निशाना साधते हुए यह दावा किया था कि उनकी पार्टी टीआरएस में कई एकनाथ शिंदे हैं.

राजनीतिक मामलों के जानकार भले ही इसे 'ऑपरेशन कमल ' के नए प्रारुप की संज्ञा दें लेकिन भाजपा का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि अपने राजनीतिक दल को एकजुट रखने की जिम्मेदारी उस दल विशेष के नेता और अध्यक्ष की है और अगर वो अपने नेताओं को संतुष्ट नहीं रख पाते हैं तो इसके लिए भाजपा को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

(आईएएनएस)

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