CM नीतीश के ड्रीम यूनिवर्सिटी का खस्ताहाल, छोटी सी बिल्डिंग में चल रहा है पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय
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CM नीतीश के ड्रीम यूनिवर्सिटी का खस्ताहाल, छोटी सी बिल्डिंग में चल रहा है पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय

Bihar News:  जिस विश्वविद्यालय को सीएम ने खुद ड्रीम यूनिवर्सिटी बताया था उस विश्वविद्यालय का कामकाज एक छोटी सी बिल्डिंग में चल रहा है. 

 

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का खस्ताहाल (फाइल फोटो)

Patna: 18 मार्च 2018 को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. जुलाई 2018 में इस यूनिवर्सिटी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे सपनों का विश्ववविद्यालय यानि ड्रीम यूनिवर्सिटी बताया था.

जिस विश्वविद्यालय को सीएम ने खुद ड्रीम यूनिवर्सिटी बताया था उस विश्वविद्यालय का कामकाज एक छोटी सी बिल्डिंग में चल रहा है. अब इस यूनिवर्सिटी को मीठापुर में करीब 6.08 एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई है.लेकिन ये अभी शुरुआती कार्रवाई है बिल्डिंग कब तैयार होगी और इसमें दूसरी सुविधा क्या होगी इसका जवाब विश्वविद्यालय के पास नहीं है.
 
छोटी सी बिल्डिंग में हो रहा है यूनिवर्सिटी संचालन

दूसरी ओर छोटी सी बिल्डिंग में यूनिवर्सिटी के संचालन होने की वजह से विश्वविद्यालय के छात्रों, प्रिंसिपल को पढ़ाई सहित दूसरी दिक्कत आ रही हैं. कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रिंसिपल डॉक्टर तपन शांडिल्य भी मानते हैं कि यूनिवर्सिटी को सिर्फ काम चलाने के लिए एक छोटा सा ठिकाना या एक छोटी सी इमारत दे दी गई है. लिहाजा पढ़ाई और दूसरे शैक्षणिक काम में दिक्कत आती है. हालांकि सच्चाई ये भी है कि नीतीश कुमार जी शिक्षा के लिए संवेदनशील है और यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग का मामला भी सुलझ जाएगा.
 
मगध यूनिवर्सिटी को दो हिस्सों में बांटकर एक नई यूनिवर्सिटी बनी

दरअसल, मगध यूनिवर्सिटी को दो हिस्सों में बांटकर एक नई यूनिवर्सिटी बनाई गई जिसे नाम दिया गया पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी. पटना के राजेंद्रनगर में पहले से ही गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी का एक्सटेंशन ब्रांच चल रहा था और इसी बिल्डिंग में पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी की शुरुआत की गई. लेकिन बिल्डिंग में जगह कम होने के कारण पोस्ट ग्रेजुएट के विषयों की पढ़ाई अलग-अलग कॉलेजों में होती है.

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लिहाजा छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सवाल ये है कि आखिर यूनिवर्सिटी को जमीन कब तक मिलेगी और बिल्डिंग कब तक तैयार होगी और इसमें अब तक अपडेट क्या है? पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय प्रबंधन के मुताबिक, पहले विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 8.05 एकड़ जमीन मिलनी थी लेकिन अब इसे 6.08 एकड़ ही जमीन उपलब्ध कराई गई है. यूनिवर्सिटी ने ज्यादा एकड़ जमीन की मांग की लेकिन पटना मेट्रो का हवाला देकर मांग खारिज कर दी गई.
 
मीठापुर बस स्टैंड में यूनिवर्सिटी को जमीन दी गई है

मीठापुर बस स्टैंड में यूनिवर्सिटी को जमीन दी गई है. जब यहां से बसों की आवाजाही खत्म होगी तब जिला प्रशासन यूनिवर्सिटी को जमीन ट्रांसफर करेगी. यूनिवर्सिटी के मुताबिक, पोजेशन मिलने के बाद डीपीआर बनाने में ही छह महीने का वक्त लग जाएगा. शिक्षा विभाग बिल्डिंग निर्माण के लिए कितने पैसे देगा ये डीपीआर बनने के बाद ही पता चलेगा.यानि काम शुरू होने में ही छह महीने का वक्त लगेगा, पूरी बिल्डिंग कब तक तैयार होगी ये भविष्य के गर्त में है.
 
नई बिल्डिंग में क्या-क्या होगा 
 

बहुमंजिली इमारत में प्रशासनिक और शैक्षणिक ब्लॉक होंगे. यहां पीजी की पढ़ाई भी होगी.ग्राउंड के साथ 8 मंजिली इमारत बनाने की तैयारी हो रही है. यूनिवर्सिटी को अपनी बिल्डिंग के लिए अभी कुछ और समय इंतजार करना होगा. यानि यूनिवर्सिटी को अपनी बिल्डिंग के इंतजार में अभी लंबा वक्त लगना तय है. ऐसे में पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी. क्योंकि फिलहाल पाटलिपुत्र विवि में पीजी के 18 विषयों की पढ़ाई होती है जिसमें साइंस के अधिकतर विषयों की पढ़ाई अनुग्रह नारायण कॉलेज में होती है. एमए के अधिकतर विषयों की पढ़ाई कॉलेज ऑफ कॉमर्स जबकि एमकॉम की पढ़ाई बीडी इवनिंग कॉलेज में होती है.

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने ये कहा
 
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जीतेंद्र कुमार के मुताबिक, नई बिल्डिंग के निर्माण को लेकर अभी काफी कुछ साफ होना बाकी है. जीतेंद्र कुमार मानते हैं कि इमारत नहीं होने की वजह से नुकसान आखिर छात्रों को ही उठाना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जीतेंद्र कुमार  ने कहा, ‘हमसे कहा गया जो मिल रही है उसे ले लीजिए नहीं तो वो भी नहीं मिलेगी. जरा सोचें उस यूनिवर्सिटी के छात्रों का भविष्य कैसे बन सकता है कि जिनका काम काज एक कामचलाऊं बिल्डिंग में चल रहा है.’

सीएम ने पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी को ड्रीम यूनिवर्सिटी बताया था लेकिन ये यूनिवर्सिटी तब उन मानकों को पूरा कर पाएगी जब इसके पास एक सभी सुविधाओं से लैस बड़ी जगह में बिल्डिंग हो. उच्च शिक्षा केवल काम चलाने वाली चीज नहीं है क्योंकि इसी से बिहार का भविष्य भी तैयार होता है.

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