Diwali Kali Puja: दिवाली की रात क्या है काली पूजा का महत्व, जानिए क्यों होती है महानिशा पूजा
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Diwali Kali Puja: दिवाली की रात क्या है काली पूजा का महत्व, जानिए क्यों होती है महानिशा पूजा

Diwali Kali Puja: तंत्र शास्त्र के अनुसार महाविद्याओं में देवी कालिका सर्वोपरि है. काली शब्द हिन्दी के शब्द काल से उत्पन्न हुआ है. जिसके अर्थ हैं समय, काला रंग, मृत्यु देव या मृत्यु. 

Diwali Kali Puja: दिवाली की रात क्या है काली पूजा का महत्व, जानिए क्यों होती है महानिशा पूजा

पटना: Diwali Kali Puja: दिवाली के दिन सिर्फ महालक्ष्मी ही नहीं बल्कि काली पूजा का भी विधान है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस और अमावस्या को महानिशा का अनुष्ठान किया जाता है. दिवाली के पंच दिवस उत्सव का यह दूसरा दिन होता है. काली चौदस का पर्व भगवान विष्णु के नरकासुर पर विजय पाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है तथा इस पर्व का देवी काली के पूजन से गहरा संबंध है. वहां अमावस्या की तिथि देवी काली को ही समर्पित है.

तंत्र शास्त्र के अनुसार महाविद्याओं में देवी कालिका सर्वोपरि है. काली शब्द हिन्दी के शब्द काल से उत्पन्न हुआ है. जिसके अर्थ हैं समय, काला रंग, मृत्यु देव या मृत्यु. तंत्र के साधक महाकाली की साधना को सर्वाधिक प्रभावशाली मानते हैं और यह हर कार्य का तुरंत परिणाम देती है. साधना को सही तरीके से करने से साधकों को अष्ट सिद्धि प्राप्त होती है.

आज यह उपाय जरूर करें -
काली अमावस  के दिन कालिका के विशेष पूजन-उपाय से लंबे समय से चल रही बीमारी दूर होती है. काले जादू के बुरे प्रभाव, बुरी आत्माओं से सुरक्षा मिलती है. कर्ज़ मुक्ति मिलती हैं. बिजनैस की परेशानियां दूर होती हैं. दांपत्य से तनाव दूर होता हैं. यही नहीं काली चौदस के विशेष पूजन उपाय से शनि के प्रकोप से भी मुक्ति मिलती है.

यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो आज रात्रि में पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी-नारायणाय नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है.

यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीड़ित हो तो आज रात में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर काले धागे में पिरोकर उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेवन कराते रहें. अवश्य लाभ मिलेगा.

 

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