बिहार में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है. वहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने महागठबंधन की नीतीश कुमार की सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह महागठबंधन के लिए बुरी खबर है.
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बिहार में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है. वहां हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी ने महागठबंधन की नीतीश कुमार की सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह महागठबंधन के लिए बुरी खबर है. पिछले दिनों हम की ओर से नीतीश सरकार में मंत्री संतोष मांझी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और नीतीश कुमार ने तत्काल उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए 16 जून को सोनबरसा के विधायक रत्नेश सदा को मंत्री भी बना दिया था.
इस्तीफा देते वक्त संतोष मांझी ने कहा था कि जेडीयू की तरफ से उन पर अपनी पार्टी के विलय के लिए दबाव डाला जा रहा था, लेकिन वे अपनी पार्टी का अस्तित्व खत्म नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने महागठबंधन की सरकार छोड़ दी और अपना इस्तीफा दे दिया. जेडीयू ने भी संतोष मांझी की बात का खंडन नहीं किया. संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री निवास पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और ललन सिंह के अलावा वित्त मंत्री विजय चैधरी की लंबी मीटिंग चली.
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मीटिंग से बाहर निकलकर ललन सिंह ने कहा, छोटी-छोटी दुकान चलाने से क्या फायदा. हमने जीतनराम मांझी से कहा था कि अलग-अलग लड़ने से कोई फायदा नहीं है. हम अगर एक साथ हो जाते हैं तो अच्छे से बीजेपी का मुकाबला कर पाएंगे. अगर इससे वे नाराज हैं और इस्तीफा देकर चले गए तो इसमें हम क्या कर सकते हैं. तेजस्वी यादव ने उस मौके पर कहा था- कोई यह नहीं कह सकता कि जीतनराम मांझी का तिरस्कार किया गया. उन्हें महागठबंधन में पूरी इज्जत बख्शी गई. नीतीश कुमार जी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से नवाजा और राजद कोटे से उनके बेटे को एमएलसी बनाया गया.
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अब सवाल यह है कि जीतनराम मांझी और उनके बेटे संतोष मांझी का अगला कदम क्या होगा. बताया जा रहा है कि वे शाम को ही दिल्ली जा रहे हैं, जहां उनकी मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने का प्रोग्राम तय है. माना जा रहा है कि जीतनराम मांझी अब एनडीए का दामन थाम सकते हैं. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि पिछले दिनों अमित शाह से उनकी मुलाकात में उन्हें लोकसभा चुनाव बाद राज्यपाल बनाने का प्रस्ताव दिया गया है और बिहार की एकमात्र गया सीट से उनके बेटे संतोष मांझी को लड़ाया जा सकता है.
जीतनराम मांझी के शामिल होने से दलित वोटों का एकतरफा झुकाव एनडीए की तरफ हो सकता है. इसका कारण यह है कि दलितों की राजनीति करने वाले चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस और अब जीतनराम मांझी तीनों ही एनडीए का हिस्सा हो सकते हैं. उनके अलावा मुकेश साहनी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान भी एनडीए में शामिल होने वाले हैं.