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किशनगंज: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा किशनगंज में शेरशाहबादी मुस्लिम पर जमीन कब्जा करने का आरोप लगाने के बाद किशनगंज में शेरशाहबादी मुस्लिम समुदाय को लेकर राजनीति चरम पर है. राजद जिला अध्यक्ष सह पूर्व विधायक कमरुल होदा ने जीतन राम मांझी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किशनगंज में शेरशाहबादी मुस्लिम समुदाय नहीं बल्कि आदिवासी समुदाय के लोग मुस्लिमों के खाते की जमीन पर रातों रात कब्जा करते है.
उन्होंने किशनगंज के चकला स्थित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शाख खोलने के लिए बिहार सरकार के द्वारा लीज पर दिए गए जमीन का उदाहरण देते हुए कहा कि उस जमीन पर भी बाहर से आये आदिवासियों ने डेरा डंडा जमा लिया था,बाद में प्रशासन के द्वारा खाली करवाया गया. उन्होंने दावा कर कहा कि जरूरत पड़ी तो और भी साक्ष्य देने के लिए वो तैयार है.
कमरुल होदा ने कहा कि जीतन राम मांझी सीनियर नेता है जो किशनगंज आकर ऐसा विवादित बयान देकर चले गए जिससे जान बूझकर एक समुदाय को टारगेट किया है. राजद जिला अध्यक्ष ने कहा कि शेरशाहबादी समुदाय को उन्होंने विदेशी बताया है. कमरुल ने जीतन राम मांझी पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए में जाने के बाद बीजेपी और आरएसएस की भाषा जीतन राम मांझी बोल रहे है. जबकि इंडो नेपाल और बंगलादेश बॉर्डर पर तैनात केंद्र की सेना है. CBI और CID भी उनके है. उसके बाद भी बंगलादेश बॉर्डर से कैसे घुसपैठ हो रहा है.अगर घुसपैठ हो रहा है तो इसका जिम्मेदार केंद्र सरकार है.
राजद जिला अध्यक्ष कमरुल होदा ने शेरशाहबादी मुस्लिमों की वकालत कर करते हुए कि ये लोग विदेश से नहीं वल्कि पश्चिम बंगाल के मालदह,मुर्शिदाबाद और हुगली जिले से आकर सीमांचल के इलाके में बसे है. अपने मेहनत और पसीना बहाकर यहां के बंजर पड़े जमीन को उपजाऊ इन्होंने ही बनाया है. ये लोग मेहनती होते है और अपने मेहनत के दम पर आज सीमांचल में ये लोग खुशहाल हैं.
उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी को जवाब देना पड़ेगा कि कहां एससी और एसटी के जमीन पर शेरशाहबादी मुस्लिम कब्जा जमाया है. कमरुल होदा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को बयान देने से पहले यहां की इतिहास और स्थिति को जानना था फिर कोई बयान देना था.