Bihar Politics: पुलिस को भनक तक नहीं लगी और प्रशांत गांधी मैदान में बैठ गए आमरण अनशन पर
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Bihar Politics: पुलिस को भनक तक नहीं लगी और प्रशांत गांधी मैदान में बैठ गए आमरण अनशन पर

Bihar Politics: बिहार में अगले दो दिनों के घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो सकते हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चाओं ने राजनीतिक सरगर्मी पैदा कर दी है तो दूसरी ओर, बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन ने पुलिस प्रशासन के माथे पर शिकन ला दी है. 

पुलिस को भनक तक नहीं लगी और प्रशांत गांधी मैदान में बैठ गए आमरण अनशन पर

Bihar Politics: पटना पुलिस प्रशासन बापू परीक्षा केंद्र पर रद्द हुई परीक्षा कराने की तैयारी में व्यस्त है, दूसरी ओर प्रशांत किशोर ध्वस्त शिक्षा और भ्रष्ट परीक्षा व्यवस्था का आरोप लगाते हुए गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन बैठ गए हैं. प्रशांत किशोर ने कहा, मेरा आमरण अनशन शुरू हो गया है. उनके आमरण अनशन शुरू होते ही जनसुराज पार्टी के वक्ताओं ने कहा, युवाओं के हित में, बिहार के हित में, बीपीएससी अभ्यर्थियों के हित में, प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. आप सभी से आग्रह है कि साथ में बैठकर शांति बनाए रखें. आज का दिन बिहार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. प्रशांत किशोर अपने लिए नहीं, बिहार के बच्चों के लिए, बिहार के भविष्य के लिए, बिहार के नौजवानों के लिए, आमरण अनशन पर बैठ गए हैं.

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प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन पर बैठते हुए 5 प्रमुख मांगें रखी हैं. उनकी मांगों में 70वीं बीपीएसएसी परीक्षा में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच और पुनर्परीक्षा, 2015 में किए गए 7 निश्चय के वादों के तहत 18 से 35 साल के बीच के उम्र के हर बेरोजगार को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए, पिछले 10 सालों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए पेपर लीक की जांच और दोषियों पर हुई कार्रवाई को लेकर श्वेतपत्र जारी किया जाए, लोकतंत्र की जननी बिहार की धरती पर लाठीतंत्र थोपने के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो और ​बिहार की सरकारी नौकरी में राज्य के युवाओं के लिए कम से कम दो तिहाई हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू की जाए.

बता दें कि ​बिहार लोक सेवा आयोग की 13 दिसंबर, 2024 को संपन्न हुई 70वीं ​संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा फिर से कराने की मांग को लेकर पिछले 15 दिनों से पटना के गर्दनीबाग में अभ्यर्थियों का आंदोलन चल रहा है. छात्रों की इस मांग का एनडीए को छोड़कर सभी विपक्षी दलों का समर्थन हासिल है. तेजस्वी यादव ने भी छात्रों की मांग का समर्थन किया है तो पप्पू यादव और प्रशांत किशोर भी पूरे जोर शोर से इस आंदोलन में सहभागिता कर रहे हैं. 3 जनवरी को प्रशांत किशोर ने अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में बिहार में चक्का जाम का आह्वान किया है तो अब प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं.

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प्रशांत किशोर के आमरण अनशन के लिए कोई पंडाल या शेड नहीं बनाया गया है. पिछले रविवार को गांधी मैदान में ही गांधी जी की मूर्ति के नीचे छात्र संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रशांत किशोर भी शामिल हुए थे. प्रशांत किशोर के नेतृत्व में छात्रों का सीएम हाउस तक मार्च निकलना शुरू हुआ, जिसे जेपी गोलंबर के पास रोक दिया गया. छात्रों ने वहां हंगामा करना शुरू कर दिया तो पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर बितर किया. इस दौरान प्रशांत किशोर पर आरोप लगा कि वे छात्रों को आगे कर भाग खड़े हुए. हालांकि बाद में प्रशांत किशोर ने इस बाबत अपनी सफाई भी दी थी.

प्रशांत किशोर के साथ आमरण अनशन पर बैठने वालों में आफाक अहमद, आनंद मिश्रा, सीमाराम यादव, ललन यादव, किशोर कुमार, वसीम नैयर अंसारी, अनुराधा यादव और डॉ. बीबी शाही आदि शामिल हैं. इन नेताओं का कहना है कि जब तक अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिल जाता, उनका आमरण अनशन जारी रहेगा.

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