जीतन राम मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार संभल नहीं रहा है, इस कारण यहां राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए.
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Bihar Politics: बिहार की राजधानी पटना में 13 जुलाई को पुलिस लाठीचार्ज में बीजेपी नेता विजय कुमार सिंह की मौत पर बवाल जारी है. बीजेपी समेत तमाम विरोध दल इसे हत्या बता रहे हैं. वहीं प्रशासन का कहना है कि बीजेपी नेता की मौत लाठीचार्ज में नहीं हुई. पटना के डीएम चंद्रशेखर और एसएसपी राजीव मिश्रा शुक्रवार (14 जुलाई) की देर शाम मीडिया के सामने आए. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि विजय सिंह की टाइम और लोकेशन चेक किया गया. जांच में पता चला है कि विजय सिंह का लोकेशन लाठीचार्ज के लोकेशन में नहीं है. वहीं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इसे पुलिस की साजिश बताया है.
मांझी ने इस पूरे घटनाक्रम की CBI जांच कराने की मांग की है. इतना ही नहीं मांझी ने नीतीश सरकार पर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ने का आरोप लगाते हुए बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार संभल नहीं रहा है, इस कारण यहां राष्ट्रपति शासन लगना चाहिए. मांझी ने कहा कि लाठी में तेल पिलाने वालों की संस्कृति के साथ जाने के बाद नीतीश कुमार की संस्कृति बदल गई. उन्होंने अपनी संस्कृति गिरवी रख दी.
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मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार का विश्वास प्रजातंत्र पर नहीं लाठीतंत्र पर है. उन्होंने कहा कि केंद्र को बिहार के मामले में हस्तक्षेप कर राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए. मांझी ने कहा कि ये घटना बदले की कारवाई है. तेजस्वी यादव ने पहले ही बीजेपी से बदला लेने की बात कही थी. मांझी ने लाठीचार्ज में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता विजय कुमार सिंह के परिजनों को एक करोड़ रुपए मुआवजा देने की मांग की. उन्होंने कहा कि विजय सिंह की मौत पर प्रशासन लीपापोती कर रहा है, इस कारण इस घटना की जांच सीबीआई से करानी चाहिए.
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उधर पटना के डीएम चंद्रशेखर ने कहा कि विजय सिंह की टाइम और लोकेशन चेक करने से पता चला है कि विजय सिंह का लोकेशन लाठीचार्ज के लोकेशन में नहीं है. डीएम ने बताया कि एक जगह की फुटेज में बीजेपी नेता आराम से बात करते दिख रहे हैं. उस वक्त विजय सिंह के साथ तीन लोग और साथ में थे. वहीं, सांसद जनार्दन सिग्रीवाल पर लाठीचार्ज मामले पर डीएम ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ी. पुलिस प्रशासन ने दावा किया कि सांसंद जनार्दन सिग्रीवाल और उनके कार्यकर्ता पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया.