पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़वाने की कोशिश है. अखिलेश यादव काफी पहले ही नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ने का निमंत्रण दे चुके हैं. जदयू भी अब नीतीश कुमार के लिए यूपी की कोई सुरक्षित सीट खोजने में लगी है.
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Lok Sabha Election 2024: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. आम चुनावों को देखते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की गोलबंदी के लिए विपक्ष नई रणनीति तैयार कर रही है. मोदी को टक्कर देने के लिए नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़वाने की कोशिश है. अखिलेश यादव काफी पहले ही नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़ने का निमंत्रण दे चुके हैं. जदयू भी अब नीतीश कुमार के लिए यूपी की कोई सुरक्षित सीट खोजने में लगी है. जेडीयू का मानना है कि नीतीश कुमार की छवि राष्ट्रीय नेता की बनाने के लिए उन्हें बिहार से बाहर निकलना होगा.
दूसरी ओर बिहार में 40 सीटें हैं, इसमें भी महागठबंधन की भीड़ में उन्हें ज्यादा से ज्यादा 16 सीटें ही मिलने के आसार समझ आ रहे हैं. पीएम बनने के लिए नीतीश को ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहिए. इसलिए उनकी पार्टी बिहार के बाहर भी संभावनाएं खोज रही है. दूसरा बड़ा कारण है कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यहां बीजेपी के सामने विपक्ष काफी कमजोर पड़ चुका है. मोदी को सत्ता से बाहर बीजेपी के विजयरथ को यूपी में ही रोकना बेहद जरूरी है. यदि यहां बीजेपी को 30 से कम सीटों पर समेट दिया गया तो उसकी कमर टूट सकती है.
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वहीं मोदी भी पीएम बनने के लिए यूपी की वाराणसी सीट से चुनाव लड़ते हैं. लिहाजा नीतीश कुमार को यूपी से चुनाव लड़वाने की योजना है. जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार के लिए यूपी की कुर्मी बहुल फूलपुर सीट की भी पहचान की गई है. इस सीट की खासियत यह भी है कि यहां से जवाहरलाल नेहरू से लेकर कांशीराम और वीपी सिंह तक चुनाव लड़ चुके हैं. अखिलेश यादव भी नीतीश कुमार को यूपी से लड़वाने की पैरोकारी कर रहे हैं. उन्होंने पूरी मदद करने का वादा किया है. दरअसल, नीतीश कुमार को यूपी लाने के पीछे मंशा जातीय समीकरण को दुरुस्त करने की है.
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नरेंद्र मोदी के कारण यूपी के ओबीसी वोटबैंक पर अखिलेश यादव की पकड़ ढ़ीली पड़ चुकी है. अब वो सिर्फ यादवों के नेता बनकर रह चुके हैं. लगातार चुनाव हारने से यादव वोटर भी उनका साथ छोड़ता दिखाई दे रहा है. वहीं नीतीश कुमार भी पिछड़ा वर्ग के कुर्मी समाज से ताल्लुक रखते हैं. यूपी में कुर्मी समाज का खासा राजनीतिक प्रभाव है. मुलायम सिंह यादव के वक्त समाजवादी पार्टी में बेनी प्रसाद वर्मा नंबर दो की हैसियत रखते थे. अखिलेश यादव के कार्यकाल में नरेश उत्तम पटेल समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. फिर वो इस समुदाय को अपनी पार्टी के साथ नहीं जोड़ पा रहे हैं. मौजूदा दौर में यूपी में कुर्मी समाज से अनुप्रिया पटेल सबसे बड़ी नेता हैं और वो बीजेपी के साथ हैं. ऐसे में नीतीश को यूपी लाकर इस समुदाय को अपनी तरफ मोड़ने का प्लान है.
दूसरी ओर अखिलेश यादव भी पार्टी सपा और ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी फिर से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना चाहती हैं. इसके लिए दोनों ने एक-दूसरे को अपने-अपने राज्य में एक-एक सीट देने का फैसला लिया है. अखिलेश ने किरणमय नंदा के लिए ममता बनर्जी से एक सीट मांगी है. बता दें कि किरणमय नंदा वर्तमान में सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और लंबे समय से पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार में मंत्री रहे हैं. बदले में अखिलेश यूपी में टीएमसी को एक सीट देंगे. यूपी में टीएमसी के नेता ललितेश पति त्रिपाठी को टिकट मिल सकता है.