Muslim Caste Census: मुसलमानों में भी हैं कई जातियां? फिर जाति जनगणना केवल हिंदुओं की क्यों?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2411235

Muslim Caste Census: मुसलमानों में भी हैं कई जातियां? फिर जाति जनगणना केवल हिंदुओं की क्यों?

Muslim Politics: बिहार में जब जातीय सर्वेक्षण हो रहा था तब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जैसे बीजेपी के कुछ नेताओं ने मुसलमानों की जातीय गणना कराने की मांग की थी. हालांकि, तत्कालीन महागठबंधन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया था.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Muslim Caste Census: विपक्ष ने इस लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना को अपना प्रमुख हथियार बनाया और चुनावों में उसे इसका फायदा भी हुआ. इस मुद्दे ने बीजेपी के हिंदुत्तवाद और राष्ट्रवाद की हवा निकाल दी. लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी को देखते हुए विपक्ष इस मुद्दे पर अड़ा हुआ है. अब इस मुद्दे पर बीजेपी के सहयोगी दल भी विपक्ष की भाषा बोलने लगे हैं. सूत्रों की मानें तो अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) कल्याण पर संसदीय समिति की हुई पहली बैठक में विपक्ष ने एक सुर में जाति जनगणना की बात उठाई तो जेडीयू और लोजपा ने भी हां में हां मिलाई, जिससे केंद्र की मोदी सरकार पर राष्ट्रीय स्तर पर जाति जनगणना करवाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. हालांकि, विपक्ष की ओर से जातीय जनगणना की बात सिर्फ हिंदुओं के लिए होती है. मुसलमानों की जाति पता करने के लिए कोई कुछ नहीं बोलता, जबकि भारतीय मुसलमान भी जातियों में बंटा हुआ है.

एक विदेशी न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय मुसलमान मुख्यतः तीन जाति समूहों में बंटा हुआ है. इन्हें 'अशराफ़', 'अजलाफ़', और 'अरज़ाल' कहा जाता है. ये जातियों के समूह हैं, जिसके अंदर अलग-अलग जातियां शामिल हैं. हिंदुओं में जैसे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्ण होते हैं, वैसे ही मुसलमानों में अशराफ़, अजलाफ़ और अरज़ाल को देखा जाता है. अशराफ़ वर्ग में सैयद, शेख, पठान, मिर्जा, मुगल जैसी उच्च जातियां शामिल हैं. मुस्लिम समाज की इन जातियों की तुलना हिंदुओं की उच्च जातियों से की जाती है. वहीं अजलाफ़ में अंसारी, मंसूरी, राइन, क़ुरैशी जैसी कई जातियां शामिल हैं. हिंदुओं में उनकी तुलना यादव, कोइरी, कुर्मी जैसी जातियों से की जा सकती है. इसी तरह से अरज़ाल में हलालखोर, हवारी, रज्जाक जैसी जातियां शामिल हैं. हिंदुओं में इनकी तुलना अति पिछड़ा वर्ग की जातियों से की जा सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, मुसलमानों में भी जाति प्रथा हिंदुओं की तरह ही काम करती है. विवाह और पेशे के अलावा मुसलमानों में अलग-अलग जातियों के रीति-रिवाज भी अलग-अलग हैं.

ये भी पढ़ें- 40 महिलाओं के बाद अब 40 मुसलमानों को टिकट देने का ऐलान, PK चूलें हिलाने में लगे हैं!

हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी लोग अपनी ही जाति देखकर शादी करना पसंद करते हैं. हालांकि, मस्जिद में जाति व्यवस्था लागू नहीं होती, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है. इसके बावजूद कई जगहों पर जाति के आधार पर कई मस्जिदें बनाई गई हैं. गांव-गांव में जातियों के हिसाब से कब्रिस्तान बनाए गए हैं. अशराफ़ वर्ग की जातियों के कब्रिस्तान में अजलाफ़ या अरज़ाल वर्ग के लोगों को दफनाने की अनुमति नहीं होती है.

ये भी पढ़ें- बिहार का सबसे शिक्षित जिला कौन, जानें प्रदेश में सबसे कम पढ़े-लिखे लोग कहां पर हैं?

जातिवाद की इतनी कट्टरता के बावजूद विपक्ष का कोई नेता मुस्लिम समाज में जाति जनगणना कराने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण वोटबैंक है. दरअसल, विपक्षी नेता हिंदुओं को जातियों में बांटकर और मुसलमानों का एकमुश्त वोट लेकर सत्ता की मलाई चाटना चाहते हैं. एक समय पीएम मोदी ने पसमांदा मुसलमानों के लिए आवाज उठाई थी. मुसलमानों में यह तबका आज भी काफी पिछड़ा हुआ है. पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में इस वर्ग को ऊपर उठाने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन लोकसभा चुनाव में इस वर्ग ने भी बीजेपी का साथ नहीं दिया.

बिहार-झारखंड की नवीनतम अपडेट्स के लिए जी न्यूज से जुड़े रहें. यहां पढ़ें Bihar-Jharkhand News in Hindi और पाएं Bihar-Jharkhand latest news in hindi  हर पल की जानकारी. बिहार-झारखंड की हर खबर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और अपडेटेड बने रहें.

Trending news