Bihar Politics: तेजस्वी को नहीं मिला एक भी बार भाग्य का साथ! नीतीश दोनों बार निकले 'शहंशाह', बचा ली पार्टी और सरकार
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Bihar Politics: तेजस्वी को नहीं मिला एक भी बार भाग्य का साथ! नीतीश दोनों बार निकले 'शहंशाह', बचा ली पार्टी और सरकार

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में जो भी सियासी उथल पुथल चल रही है, उसकी पूरी स्क्रिप्ट नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द ही घूमती है. नीतीश कुमार जब चाहते हैं बिहार में सियासी उबाल आ जाता है. ऐसा ही इस बार फिर नीतीश कुमार ने किया है.

फाइल फोटो

पटना: Bihar Politics: बिहार की राजनीति में जो भी सियासी उथल पुथल चल रही है, उसकी पूरी स्क्रिप्ट नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द ही घूमती है. नीतीश कुमार जब चाहते हैं बिहार में सियासी उबाल आ जाता है. ऐसा ही इस बार फिर नीतीश कुमार ने किया है. नीतीश कुमार ने साल 2022 में NDA का साथ छोड़ राजद के साथ आगे सरकार चलाने की सोची और महागठबंधन में कांग्रेस, राजद सहित कई अन्य सियासी दलों को जोड़ा गया तो लगा था बात एकदम सामान्य है. यह तो नीतीश का स्वभाव है वह कभी भी पलटी मार सकते हैं. दरअसल, तब नीतीश कुमार ने साफ कहा था कि आरसीपी सिंह भाजपा के साथ मिलकर पार्टी तोड़ना चाह रहे थे. अब बिहार की राजनीति के चाणक्य का खेला देखिए, उन्होंने एक झटके में तेजस्वी के अरमानों का तो खून किया ही, ललन सिंह की पार्टी विरोधी सोच को भी छलावा दे गए. 

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दरअसल, नीतीश की पार्टी को तोड़ने के लिए लालू यादव की पार्टी की तरफ से एक कोशिश 2017 में भी की गई थी. तेजस्वी के नसीब ने तब भी उन्हें धोखा दिया था और वह बिहार का सीएम बनते-बनते रह गए थे और यही खेला नीतीश ने अब भी किया और 2023 में भी तेजस्वी का नसीब दगा दे गया और नीतीश कुमार अपनी पार्टी और अपनी सरकार दोनों बचाने में कामयाब हो गए. 

2017 का वह समय याद कीजिए जब तेजस्वी यादव तत्कालीन बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से मिलने का समय मांग चुके थे और वह अचानक से बीमार हो गए. तेजस्वी के नसीब ने उन्हें धोखा दिया और नीतीश कुमार इस पूरे मामले को तब भी भांप गए थे. वह जान गए थे कि लालू यादव की तरफ से जदयू में बड़ी तोड़फोड़ की स्क्रिप्ट लिखा जा चुकी है. नीतीश को सब पहले से समझ में आ रहा था उन्होंने तब पार्टी की कमान अपने हाथों में ली और फिर क्या था तेजस्वी के खिलाफ जैसे ही जांच एजेंसियां एक्टिव हुईं नीतीश कुमार ने पलटी मार दी और तब अपनी पार्टी और सरकार दोनों बचा ली. तब भी भाजपा ने नीतीश का साथ दिया और सरकार फिर से पटरी पर आ गई. नीतीश के हाथ में ही बिहार की सत्ता रह गई. 

इसके बाद नीतीश को साल 2022 में यह भनक लगी कि आरसीपी सिंह बिहार में भाजपा के साथ मिलकर ऑपरेशन लोटस चलाने की फिराक में हैं, नीतीश ने इस पर कहा भी. उन्हें उनकी पार्टी के विधायक की तरफ से इसका अंदेशा भी मिल गया और उन्होंने महागठबंधन का हाथ थाम लिया और फिर सरकार चल निकली. हालांकि, नीतीश के महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के साथ ही वह पार्टी को तोड़ने की कोशिश का सिलसिला नहीं थमा. नीतीश कुमार की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लालू यादव और तेजस्वी के करीब होते चले गए. 

ललन सिंह लालू और तेजस्वी के मुताबिक तेजस्वी को बिहार का सीएम बनाने की बात लेकर नीतीश से मिले भी लेकिन नीतीश ने इसे नकार दिया. अब एकदम ऑपरेशन लोटस की तर्ज पर ललन सिंह पार्टी के अंदर विधायकों के साथ डील करने लगे और तेजस्वी की ताजपोशी की तैयारी में लगे रहे. हालांकि नीतीश कुमार को इस बात का अंदेशा हो गया था लेकिन तब यह ज्यादा पुख्ता हो गया जब नीतीश कुमार द्वारा INDI अलायंस की पूरी पटकथा लिख देने के बाद भी इसकी किसी भी बैठक में लालू यादव की तरफ से नीतीश को एकमुश्त समर्थन नहीं मिला. 

वहीं दूसरी तरफ नीतीश की पार्टी के होने वाले बागी जो ललन सिंह के साथ बैठक में शामिल थे, उन्होंने नीतीश के सामने पूरी बैठक का मजमून खोलकर रख दिया. नीतीश इस बार ज्यादा चौकन्ने थे और उन्होंने पुरानी वाली पटकथा फिर से दोहराई और ललन सिंह पार्टी में कोई खेला करते उससे पहले ही उनके हाथ से पार्टी की कमान छुड़वाकर उसे अपने हाथ में थाम लिया. नीतीश का इतना करना भर था, बिहार में वे सरकार भी बचा ले गए और तेजस्वी के सीएम बनने के अरमानों पर पानी भी फेर गए.    

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